Bhalachandra Sankashti Chaturthi: आज है भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानिये  पूजा विधि और गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के तरीके 

Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2024: पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. इस दिन पूजा करने पर माना जाता है कि जीवन से दुख हट जाते हैं. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Bhalachandra Sankashti Chaturthi Puja: संकष्टी चतुर्थी पर की जाती है गणपति बप्पा की पूरे मनोभाव से पूजा. 

Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. इसीलिए हर माह की के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने पर और पूरे मनोभाव से गणपति बप्पा (Lord Ganesha) का पूजन करने पर जीवन से सभी दुख हट जाते हैं और बप्पा कष्टों का निवारण कर देते हैं. पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी (Bhalachandra Sankashti Chaturthi) के नाम से जाना जाता है. इस साल 28 मार्च, गुरुवार के दिन भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है. 

Papmochini Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर इस स्त्रोत का पाठ करना माना जाता है बेहद शुभ, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा | Bhalachandra Sankashti Chaturthi Puja

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि 28 मार्च की शाम 6 बजकर 56 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 29 मार्च की रात 8 बजकर 20 मिनट पर हो जाएगा. संकष्टी चतुर्थी की पूजा चंद्रोदय के बाद ही सफल मानी जाती है इसीलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 मार्च के दिन ही रखा जाएगा. 

Advertisement

29 या 30 मार्च, किस दिन मनाई जाएगी रंग पंचमी, जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सुबह की पूजा का मुहूर्त (Puja Muhurt) आज 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है. शाम की पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 4 मिनट से शाम 6 बजकर 37 मिनट है. वहीं, चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 28 मिनट बताया जा रहा है. 

Advertisement

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करके भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं. पूजा करने के लिए मंदिर की सफाई की जाती है और चौकी पर कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है. इसके बाद बप्पा के समक्ष दीपक जलाकर उनकी पूजा-अर्चना होती है, आरती की जाती है और शुभ मंत्रों का जाप किया जाता है. इस दिन बप्पा को मोदक और तिल के लड्डुओं का भोग (Bhog) लगाना बेहद शुभ मानते हैं. रात में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा संपन्न की जाती है. 

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
MP Elephant Tradegy: Bandhavgarh Tiger Reserve में 10 हाथियों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा