Shradh ka niyam : हिन्दू धर्म में जब किसी की मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार के बाद श्राद्ध किया जाता है. इसमें पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज, पंचबलि कर्म आदि शामिल है. शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है. अगर श्राद्ध नहीं किया जाता है तो फिर आत्मा भटकती रहती है. सामान्य तौर पर श्राद्ध पुरुष ही करते हैं लेकिन क्या महिलाओं को पिंडदान का अधिकार है? आज इसी के बारे में इस लेख में विस्तार से बात करेंगे.
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श्राद्ध कौन कर सकता है - Who can perform Shraddha?
- अगर परिवार में पिता की मृत्यु होती है तो पुत्र को ही श्राद्ध का अधिकार होता है. वहीं, अगर किसी पिता के एक से अधिक बेटे हैं तो फिर बड़े बेटे को ही अंतिम संस्कार करना चाहिए.
- हां, अगर बड़ा बेटा नहीं है तो फिर छोटा बेटा श्राद्ध कर सकता है. वहीं, सभी भाई अलग-अलग रहते हैं तो फिर सभी को श्राद्ध करना चाहिए.
- वहीं, अगर किसी के पुत्र नहीं है तो फिर उसका श्राद्ध पौत्र, प्रपौत्र, पत्नी, भाई, बेटी का पुत्र, भतीजा, पिता, मां, बहु, बहन और भांजा श्राद्ध कर सकते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार, अगर पितृ पक्ष में कोई नहीं है, तो फिर मातृ पक्ष का व्यक्ति श्राद्ध कर सकता है.
- पिता का पिंडादान कर्म बेटे को ही करना चाहिए, लेकिन बेटा नहीं है तो पत्नी कर सकती है. पत्नी नहीं है तो कोई सहोदर भाई कर सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)