Ram Mandir Dhwajarohan 2025: राम मंदिर की धर्म ध्वजा में ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष का क्या है महत्व?

Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan 2025: अयोध्या स्थित भगवान राम के भव्य मंदिर में कल सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म ध्वजा फहराएंगे. रामलला मंदिर में 191 फीट की ऊंचाई पर फहराये जाने वाले केसरिया ध्वज पर बने कोविदार वृक्ष, ॐ और सूर्य का आखिर क्या धार्मिक महत्व है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

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Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan 2025: राम मंदिर की धर्म ध्वजा के प्रतीक चिन्ह
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Ram Mandir Flag Significance: भगवान राम की नगरी अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में इन दिनों मंत्रों और जयश्रीराम के जयकारों से गुंजायमान है. धर्म-कर्म के मर्मज्ञों द्वारा तमाम तरह की पूजा-अर्चना और हवन आदि के बाद अब वह शुभ घड़ी आ गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के भव्य मंदिर में धर्म ध्वजा को फहराएंगे. राम मंदिर के शिखर पर जिस केसरिया रंग की धर्म ध्वजा को फहराया जाएगा उसमें ॐ, सूर्यदेव और कोविदार वृक्ष का चित्र अंकित है. इन तीनों ही चिन्हों का क्या कुछ धार्मिक महत्व है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं. 

सूर्यवंशी थे भगवान राम

राम मंदिर के ध्वज पर बने यदि प्रत्यक्ष देवता सूर्य की बात करें तो इन्हें स्वयं नारायण माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी थे. सूर्य देवता के पुत्र वैवस्वत मनु से यह सूर्यवंश प्रारंभ हुआ था. मान्यता है कि अयोध्या में जब रामलला का जन्म हुआ तो सूर्य का रथ रुक गया था और एक महीने तक रात नहीं हुई. रामायण काल में भगवान श्री राम के द्वारा भगवान सूर्य की साधना करने का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय पाने से पहले महर्षि अगस्त्य की सलाह पर सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की थी. 

ॐ से होता है ईश्वर से जुड़ाव

सनातन शब्द में ॐ को अत्यंत ही शुभ और पवित्र शब्द माना गया है. यह हिंदू धर्म में उन शुभ प्रतीकों में से एक है, जिसके प्रभाव से स्थान विशेष पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. सनातन परंपरा में प्रत्येक देवी-देवता के मंत्र के पहले इसका उच्चारण किया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार ॐ सिर्फ शब्द नहीं बल्कि इसमें पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान समाहित है. ॐ को ईश्वर सभी स्वरूपों को संयुक्त रूप मानकर जब इसका विशेष रूप से उच्चारण किया जाता है तो मन को आत्मिक शांति मिलती है. यह परमपिता परमेशवर से जुड़ाव का सबसे सशक्त माध्यम है. 

अयोध्या का राजचिन्ह है कोविदार वृक्ष

राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर बने कोविदार वृक्ष का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. यह पावन वृक्ष त्रेतायुग में अयोध्या का राजवृक्ष था, जिसे उस समय ध्वज पर अंकित किया जाता था. मान्यता है कि जब भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता वनवास के लिए निकल गये तो पीछे-पीछे भरत सेना लेकर उन्हें वापस बुलाने पहुंचते हैं. भगवान राम अचानक कुटिया के बाहर कहीं दूर से शोर आने का कारण लक्ष्मण से पूछते हैं तो वे उत्तर की ओर से आ रही सेना के ध्वज पर बने कोविदार वृक्ष को देख कर जान जाते हैं कि अयोध्या की सेना है.

कोविदार को पहला हाइब्रिड पेड़ माना जाता है, जिसे पौराणिक काल में कश्यप ऋषि ने बनाया था. मान्यता है कि उन्होंने इसे पारिजात और मंदार को मिलाकर तैयार किया था. इस पेड़ में बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं. तकरीबन 15 से 25 मीटर ऊंचाई वाले कोविदार का आयुर्वेद में काफी महत्व माना जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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