आषाढ़ माह में होगी गुप्त नवरात्रि, देवी को प्रसन्न करने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी मनोकामनाएं हो जाएंगी पूरी

मान्यता है कि गुप्त नवरात्र की पूजा के दौरान दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

Das Mahavidya Stotra : आदिशक्ति (Goddess Durga) की अराधना के लिए वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है. इसमें दो गुप्त और दो प्रकट होती हैं. गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) आषाढ़ (Ashadha) और माघ के माह में मनाई जाती है.इसमें दस महाविद्याओं की उपसाना की जाती है. इसीलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है. यह पूजा मुख्य तौर पर तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले भक्त करते हैं. इस साल गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई दिन शनिवार को शुरू होगी जो 15 जुलाई दिन सोमवार को समाप्त होगी. गुप्त नवरात्रि की पूजा के दौरान दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से देवी की विषेश कृपा प्राप्त की जा सकती है. आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने वाली दस महाविद्या स्तोत्र.

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दस महाविद्या स्तोत्र (Das Mahavidya Stotra)

दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

मन्त्रार्थ मंत्रचैतन्यं दुर्ल्लभं शवसाधनम्।।

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम्।

क्रियासाधनमं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम्।।

तव प्रसादाद्देवेशि सर्व्वाः सिध्यन्ति सिद्धयः।।

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी।

नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनी।।

शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे।

प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।।

जगत्क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।

करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।।

हरार्च्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्।

गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम्।।

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्।

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।

मंत्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्।।

प्रणमामि महामायां दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम्।।

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्।

नीलां नीलघनाश्यामां नमामि नीलसुंदरीम्।।

श्यामांगी श्यामघटितांश्यामवर्णविभूषिताम्

प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्व्वार्थसाधिनीम्।।

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्।

आद्यमाद्यगुरोराद्यमाद्यनाथप्रपूजिताम्।।

श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मा सुरेश्वरीम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।।

त्रिपुरासुंदरी बालमबलागणभूषिताम्।

शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्।।

सुंदरीं तारिणीं सर्व्वशिवागणविभूषिताम्।

नारायणी विष्णुपूज्यां ब्रह्माविष्णुहरप्रियाम्।।

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यगुणवर्जिताम्।

सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्च्चितां सर्व्वसिद्धिदाम्।।

दिव्यां सिद्धि प्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्।

महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्।।

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्।।

रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम्।

भैरवीं भुवनां देवी लोलजीह्वां सुरेश्वरीम्।।

चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्।

त्रिपुरेशी विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्।।

अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशीनीम्।

कमलां छिन्नभालांच मातंगीं सुरसंदरीम्।।

षोडशीं विजयां भीमां धूम्रांच बगलामुखीम्।

सर्व्वसिद्धिप्रदां सर्व्वविद्यामंत्रविशोधिनीम्।।

प्रणमामि जगत्तारां सारांच मंत्रसिद्धये।।

इत्येवंच वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्।

पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनी।।

कुजवारे चतुर्द्दश्याममायां जीववासरे।

शुक्रे निशिगते स्तोत्रं पठित्वा मोक्षमाप्नुयात्।

त्रिपक्षे मंत्रसिद्धिः स्यात्स्तोत्रपाठाद्धि शंकरि।।

चतुर्द्दश्यां निशाभागे शनिभौमदिने तथा।

निशामुखे पठेत्स्तोत्रं मंत्रसिद्धिमवाप्नुयात्।।

केवलं स्तोत्रपाठाद्धि मंत्रसिद्धिरनुत्तमा।

जागर्तिं सततं चण्डी स्तोत्रपाठाद्भुजंगिनी।।

महाविद्या स्तोत्र के पाठ से लाभ

मान्यता है कि गुप्त नवरात्र की पूजा के दौरान दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस स्तोत्र का पाठ से जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियां और बाधाओं का भी अंत हो जाता है. दस महाविद्या स्तोत्र का पाठ करने से की धन संबंधी समस्याओं का भी हल हो सकता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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