आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से है शुरू ? ज्योतिषाचार्य से जानिए पूजा विधि और घटस्थापना का मुहूर्त

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून को प्रारंभ होगी और 4 जुलाई को समाप्त.

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गुप्त नवरात्र में की गई साधना सैकड़ों गुणा पुण्य देने वाली होती है.

Gupt Navratri puja 2025 : पूरे साल में चार नवरात्रि पड़ते हैं. चैत्र नवरात्रि ,शारदीय नवरात्र और दो गुप्त नवरात्रि, जिसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रमुख रूप से मनाया जाता है. साधना के लिए चारों नवरात्रि महत्वपूर्ण है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून को प्रारंभ होगी और 4 जुलाई को समाप्त. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का घटस्थापना मुहूर्त और पूजा विधि...

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आषाढ़ मास गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2025 -Ashadh Gupt Navratri Ghatasthapana Muhurta 2025

इस दिन घटस्थापना मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 58 मिनट तक. दूसरा मुहूर्त प्रातः 9 बजकर 16 मिनट से 11 बजकर 34 मिनट तक होगा. इस दिन प्रतिपदा तिथि 26 दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी.

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इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो 08 बजकर 46 मिनट से 27 तारीख प्रातः 5 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. अगर आप इस योग में पूजा करते हैं, तो आपको सिद्धि प्राप्त हो सकती है. 

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा विधि - Puja vidhi of Ashadh Gupta Navratri

  • एक चौकी पर लाल कपड़ा या पीला कपड़ा बिछाकर देवी मां की मूर्ति रखें.
  • चौकी घर के उत्तर पूर्व, पूर्व मध्य, उत्तर मध्य में लगाएं.
  • अब कलश को लेकर उस पर श्रीफल पर मौली लपेटकर उसे कलश पर स्थापित करिए.
  • कलश में शुद्ध जल और गंगाजल भरें, अब उसमें बतासे, दूर्वा साबुत हल्दी की गांठ, साबुत सुपारी डालिए.
  • इसके बाद कलश के चारों और आम या अशोक के पत्ते 7 या 11 पत्ते लगाएं.
  • अब मध्य में श्रीफल को रखें. 
  • अब आप गणेश जी, कुलदेवी, नव ग्रह आदि को छोटी-छोटी चावल की ढेरी के रूप में स्थापित करें.
  • अब आप 9 दिन तक देवी जी की पूजा करें. हर दिन आप देवी मां की आरती करें.
  •  जल, रोली, चावल, लौंग , गूगल, प्रसाद फल, फूल माला ,धूप, दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए.
  • प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती पाठ, देवी आराधना, देवी मंत्र जाप, 24 हजार गायत्री मंत्र जाप करें.
  • कुशा या ऊन के बने आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर मुख हो कर पूजा करें.
  • गुप्त नवरात्र में की गई साधना सैकड़ों गुणा पुण्य देने वाली होती है.

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