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आज है अधिक मास की पंचमी, विष्णु-लक्ष्मी की इस विधि से करें पूजा अर्चना, जान लें क्या है शुभ मुहूर्त

माना जाता है कि अधिक मास का समय भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है. मान्यता है कि अधिक मास (Adhik Maas) के इस दिन पर विधि विधान से जो लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं.

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आपको बताते हैं अधिक मास की पंचमी पर कैसे करनी चाहिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा.

Ahikmaas Panchmi Thithi: अधिक मास में जब भी पंचमी तिथि आती है, उसका महत्व बहुत ज्यादा माना जाता है. माना जाता है कि अधिक मास का समय भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है. मान्यता है कि अधिक मास (Adhik Maas) के इस दिन पर विधि विधान से जो लोग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं. भगवान उनकी सभी मुरादों को भी पूरा करते हैं. इतना ही नहीं उन्हें जीवन भर सुखों की  कमी नहीं होती. आपको बताते हैं अधिक मास की पंचमी पर कैसे करनी चाहिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा.

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पूजन विधि (Pujan Vidhi)

  • सुबह जितनी जल्दी उठ सकते हैं, उठे.  और, स्नान कर लें.
  • नहाने के बाद सबसे पहले अपने घर का पूजा घर स्वच्छ करें.
  • मंदिर साफ होने के बाद दीप जला दें.
  • इसके बाद आप  भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर या मूर्ति पर गंगाजल चढाएं.
  • फूल और तुलसी भी अर्पित करें.
  • माता लक्ष्मी को फूल चढ़ाना न भूलें.
  • आरती भी करें और भगवान को भोग लगाएं.
  • ये ध्यान रखें कि भगवान विष्णु को जो भोग  लगाना है उसमें तुलसी जरूर हो. उनके बिना भगवान को भोग प्रिय नहीं लगता.
  • आरती के बाद पूजा में मौजूद सभी सदस्यों को प्रसाद जरूर दें.

क्या होता है अधिक मास?

अधिक मास को ही मलमास कहते हैं. इसका एक नाम पुरुषोत्तम मास भी है. इस नाम के पीछे वजह ये है कि ये माह भगवान विष्णु को अत्याधिक प्रिय माना जाता है. वे खुद इस मास के स्वामी भी होते हैं.  अधिक मास को हर चंद्र वर्ष का एक हिस्सा माना जाता है. जो प्रत्येक 32 महीने, 16 दिन और आठ घटी के अंतर पर आ जाता है. सूर्य के साल यानी सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के अंदर के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए भी अधिक मास गिना  जाता है. आसान भाषा में यूं समझें  कि सूर्य का माह 365 दिन और बचे हुए छह घंटे का होता है. चंद्रमा का साल 354 दिन का होता है. पंचांग या हिंदू कैलेंडर हमेशा सूर्य और चंद्र की गणना के अनुसार चलते हैं. इन दोनों सालों के 11 दिनों के अंतर को हर तीसरे साल में अधिक मास मना कर खत्म किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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