Head Cover During Worship: अक्सर महिलाएं बड़े-बुजुर्गों का सम्मान देने के लिए या पूजा-पाठ (Puja Path) के दौरान सिर ढक लेती हैं. माना जाता है कि शुभ और मांगलिक कार्यों (Auspicious Work) में साड़ी या दुपट्टा से सिर ढकने की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. वैसे तो महिलाओं के लिए सिर ढकना सम्मान का सूचक माना जाता है, लेकिन पूजा-पाठ के दौरान सिर ढकना पुरुषों के लिए भी जरूरी माना जाता है. आइए जानते हैं किन कारणों से पूजा-पाठ के दौरान सिर ढकना महिला ही नहीं पुरुषों के लिए भी जरूरी होता है.
पूजा-पाठ के दौरान इस वजह से ढका जाता है सिर
-माना जाता है कि पूजा के समय सिर मन भटकता नहीं है और पूरा ध्यान पूजा पर एकाग्र रहता है. इसके अलावा भक्त मानसिक रूप से ईश्वर से जुड़ पाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह से बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में सिर ढका जाता है, उसी तरह से भगवान को सम्मान देने के लिए सिर ढका जाता है. इसके अलावा सिर ढकना भगवान के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है.
-आमतौर पर काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि पूजा में काले रंग का इस्तेमाल निषेध माना जाता है. हमारे बाल की काले होते हैं. इसलिए पूजा के दौरान नकारात्मक शक्ति के प्रभाव से बचने के लिए सिर ढकना जरूरी होता है.
-हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा-पाठ के लिए अमूमन सबके लिए एक समान निमय बताए गए हैं. माना जाता है कि पूजा में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों का भी सिर ढकना जरूरी होता है. वहीं कुछ लोगों में बाल झड़ने और डेंड्रफ आदि की समस्या रहती है. ऐसे में पूजा के दौरान पूजन सामग्रियों में बाल या डेंड्रफ आदि गिरने से वो अशुद्ध हो जाते हैं.
-पूजा-पाठ के दौरान सिर ढकने के पीछे कई कथाएं भी प्रचलित हैं. एक कथा के मुताबिक नायक, उपनायक और खलनायक भी सिर ढकने के लिए मुकुट का इस्तेमाल किया करते थे. कहा जाता है कि इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए महिला और पुरुष दोनों के लिए शुभ- मंगल कार्यों में सिर ढकना अनिवार्य कर दिया गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)