12 Jyotirlingas Of Lord Shiva: ये हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग, जानिए क्‍यों खास है काशी विश्वनाथ मंदिर

मान्यता है कि सोमवार के दिन ज्योतिर्लिंग के स्मरण और पूजा से कई गुना पुण्य मिलता है. भारत में कई शिव मंदिर और शिव धाम हैं, लेकिन 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है. आइए जानते हैं भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग देश में कहां-कहां विराजमान हैं.

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12 Jyotirlingas Of Lord Shiva: इन स्थानों पर विराजमान हैं भगवान शिव
नई दिल्ली:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देश भर में भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. माना जाता है कि काशी, भारत के सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक शहरों में से एक है. काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सातवां स्थान रखता है. स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती का आदिस्थान है, इसलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है, इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है. मान्यता है कि सोमवार के दिन ज्योतिर्लिंग के स्मरण और पूजा से कई गुना पुण्य मिलता है. सालभर शिव के पावन धामों में भक्तों का तांता लगा रहता है. देश के अलग-अलग हिस्सों में ये ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं.

Jyotirlingas Of Shiva: काशी विश्वनाथ मंदिर है भगवान शंकर का सातवां ज्योतिर्लिंग, यहां है भोलेनाथ का पावन स्थान

भारत में कई शिव मंदिर और शिव धाम हैं, लेकिन 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन 12 ज्योतिर्लिंगों में दिव्य ज्योति रूप में भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं. ऐसा माना जाता है कि ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से जीवन के सभी कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. हिंदू मान्यता के अनुसार, ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि इन सभी 12 जगहों पर भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां ये ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए. बता दें, ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'रोशनी का प्रतीक'. आइए जानते हैं भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंग देश में कहां-कहां विराजमान हैं.

पहला- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित ये ज्योतिर्लिंग देश का पहला ज्योतिर्लिंग है, जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है. शिव पुराण के अनुसार, जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था, तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी. ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. बता दें कि यहां पर देवताओं द्वारा बनवाया गया एक पवित्र कुंड भी है, जिसे सोमकुण्ड या पापनाशक-तीर्थ कहते हैं.

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दूसरा- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)

दूसरा ज्योर्तिलिंग में आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है. इस ज्योर्तिलिंग को मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह मंदिर देवी पार्वती के 18 शक्तिपीठों में से एक है. माना जाता है कि लिंगम द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण दूसरी शताब्दी में किया गया था और तब ये वहीं खड़ा हुआ है. धार्मिक महत्व की बात करें तो मल्लिकार्जुन के रास्ते में स्थित श्रीकेश्वर मंदिर पुनर्जन्म की स्थिति में शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो इस मंदिर के दर्शन करता है उसे पुनर्जन्म नहीं मिलता है. यहां मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महाशिवरात्रि और नवरात्रि हैं.

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तीसरा- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जहां रोजाना होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है. इस ज्योर्तिलिंग का विशेष महत्व है. यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योर्तिलिंग है. मंदिर के अंदर अलग-अलग दिशाओं में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की छवियां हैं. नागचंद्रेश्वर की भी एक मूर्ति है, जिनके दर्शन केवल नाग पंचमी के दौरान ही करने को मिल सकते हैं.

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चौथा- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्‍य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर स्थित है. मान्‍यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं. इस स्थान पर पहाड़ी के चारो ओर नदी बहती है और ऊॅं का आकार बनता है. इस मंदिर में देवी पार्वती और पांच मुखी गणपति के भी मंदिर हैं. ऐसा कहा जाता है कि, जब विंध्याचल पर्वतमाला को नियंत्रित करने वाले देवता विंध्य अपने पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की पूजा कर रहे थे, तो उन्होंने रेत और मिट्टी से बना एक लिंगम बनाया. इस भाव से प्रसन्न होकर शिव दो रूपों में प्रकट हुए- ओंकारेश्वर और अमरेश्वर और क्योंकि वह मूर्ति ओम आकार में थी, इसलिए द्वीप का नाम ओंकारेश्वर पड़ा.

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पांचवां- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है. यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है. मान्‍यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्‍फल है. बता दें कि केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. मौसम यहां अधिकतर खराब रहने की वजह से केदारनाथ के मंदिर में छह महीने ही पूजा करने की अनुमति है. फिर इसे ऊखीमा ले जाया जाता है, जहां अगले छह महीनों तक इसकी पूजा की जाती है. इतिहास कहता है कि, यह मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था और इसे शिव के मंदिरों में सबसे पवित्र माना जाता है. यह भारत के छोटा चारधाम तीर्थयात्रा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

छठवां- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में स्थित है. यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है. इस ज्योर्तिलिंग को भीमशंकर ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. यह सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के घाट क्षेत्र में स्थित है और भीमा नदी का स्रोत भी है. यह संरचना 13वीं शताब्दी में बनाई गई थी. मंदिर को स्वयंभू लिंगम कहा जाता है. मंदिर के अंदर भगवान शनि को समर्पित एक मंदिर भी है, जिसे शनेश्वर कहा जाता है और नंदी की एक मूर्ति है. ऐसा कहा जाता है कि भीमराथी नदी का निर्माण उस समय हुआ था, जब राक्षस त्रिपुरासुर के खिलाफ लड़ाई के दौरान शिव के शरीर से पसीना निकला था.

सातवां- रामेश्वरम् ज्योर्तिलिंग (तमिलनाडु)

सातवां ज्योर्तिलिंग तमिलनाडु के रामनाथम में स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस ज्योर्तिलिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्री राम ने की थी. इस ज्योर्तिलिंग को रामेश्वरम् ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है.

आठवां- नागेश्वर ज्योर्तिलिंग (गुजरात)

आठवां ज्योर्तिलिंग गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के पास में स्थित है. इस ज्योर्तिलिंग को नागेश्वर ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर. द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है.

नवां- बाबा विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग ( उत्तर प्रदेश)

बाबा विश्वनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी माने जाने वाली वाराणसी शहर में स्थित है. इस ज्योर्तिलिंग को बाबा विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है.

दसवां- त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग (महाराष्ट्र)

दसवां ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है. इस ज्योर्तिलिंग को त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है. इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है.

ग्यारहवां- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड प्रांत के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है. धार्मिक पुराणों में शिव के इस पावन धाम को चिताभूमि कहा गया है. 

बारहवां- घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग ( महाराष्ट्र)

बारहवां ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र में स्थित है. यह अंतिम ज्योर्तिलिंग है. इस ज्योर्तिलिंग को घुश्मेश्वर ज्योर्तिलिंग के नाम से भी जाना जाता है. जिस स्थान पर यह ज्योर्तिलिंग स्थित है, उसे शिवालय के नाम से भी जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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