Explainer: क्या हर भारी बारिश 'क्लाउड बर्स्ट' होती है, ये क्‍या है और क्‍यों होता है? समझिए पूरा विज्ञान

What is Cloudburst: हर घटना क्लाउड बर्स्ट या बादल फटना नहीं होती लेकिन अचानक भारी बारिश से तबाही को ऐसा कह दिया जाता है. इनका पहाड़ों के भूगोल, मानसूनी हवाओं और तापमान से गहरा संबंध होता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
क्‍लाउड बर्स्‍ट यानी बादल फटने की घटना को विस्‍तार से समझिए
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • क्लाउड बर्स्ट अत्यधिक बारिश की एक वैज्ञानिक रूप से परिभाषित घटना है, जो सामान्य बारिश से भिन्न होती है.
  • क्लाउड बर्स्ट में एक घंटे के भीतर एक स्थान पर 100 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश होती है.
  • क्लाउड बर्स्ट तब होता है जब ऊंचाई पर गई नमी, भारी बारिश में बदल जाती है. हालांकि हर भारी बारिश क्‍लाउड बर्स्‍ट नहीं.
  • हिमाचल प्रदेश के कुछ जिलों में क्लाउड बर्स्ट की घटनाएं अधिकतर देखी जाती हैं. पिछले दिनों भी ऐसी कई घटनाएं हुईं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

Cloudburst Explained: हर साल बरसात के इन दिनों में हम देखते हैं कि पर्वतीय इलाकों में मॉनसूनी बारिश अपने साथ तबाही लेकर आती है. इसकी तस्वीरें हर बरसात में सुर्ख़ियां बनती हैं. भारी बारिश को कई बार क्लाउड बर्स्ट कह दिया जाता है. वैसे हर घटना क्लाउड बर्स्ट या बादल फटना नहीं होती लेकिन अचानक भारी बारिश से तबाही को ऐसा कह दिया जाता है. इनका पहाड़ों के भूगोल, मानसूनी हवाओं और तापमान से गहरा संबंध होता है. क्लाउड बर्स्ट और उससे जुड़े सवालों का जवाब हम यहां दे रहे हैं. 

1. क्लाउड बर्स्ट क्या है और क्‍या हर भारी बारिश, क्लाउड बर्स्ट है?

दरअसल होता ये है कि भारी नमी लिए मॉनसूनी हवाएं जब उच्च हिमालयी इलाकों तक पहुंचती हैं तो ऊपर की ओर उठती हैं जिसे Orographic Lift कहते हैं.लेकिन एक ऊंचाई तक जाने के बाद कम तापमान के कारण बादल इस नमी को संभाल नहीं पाते. ये नमी मोटी बूंदों में बदल जाती है नतीजा होता है मूसलाधार बारिश, जिसमें कई बार बादल फटने की घटनाएं भी शामिल होती है. 

क्लाउड बर्स्ट कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से परिभाषित मौसमी आपदा है, जिसकी गहराई से समझ और सतर्कता बेहद जरूरी है. तकनीकी तौर पर हर मूसलाधार बारिश क्लाउड बर्स्ट नहीं होती. मीडिया और आम लोगों में यह धारणा बन चुकी है कि किसी भी तबाही वाली बारिश को 'बादल फटना' कह दिया जाए, लेकिन वैज्ञानिक परिभाषा इससे अलग है.

Advertisement

2. क्लाउड बर्स्ट की वैज्ञानिक परिभाषा क्या है?

क्लाउड बर्स्ट का मतलब होता है– किसी एक जगह पर एक घंटे के भीतर 100 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश होना. यानी यह न केवल अत्यधिक वर्षा की स्थिति है, बल्कि समय और स्थान दोनों के लिहाज़ से बेहद सीमित और तीव्र घटना होती है.

Advertisement

3. क्लाउड बर्स्ट कैसे और क्यों होता है?

जब नमी से भरी मानसूनी हवाएं ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों से टकराकर ऊपर उठती हैं (इस प्रक्रिया को ओरोग्राफिक लिफ्ट कहते हैं), तो तापमान कम होने के कारण हवा नमी को संभाल नहीं पाती और वह मोटी बारिश की बूंदों में बदल जाती है. इस तेज बारिश से जब एक जगह पर बहुत पानी गिरता है तो उसे क्लाउड बर्स्ट कहा जाता है.

Advertisement

4. देश में कहां सबसे ज्यादा क्लाउड बर्स्ट होते हैं और क्यों?

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला, सिरमौर, चंबा और मंडी ज़िलों में ये घटनाएं अधिक देखी गई हैं. NIT हमीरपुर की रिपोर्ट बताती है कि इन क्षेत्रों में पहाड़ अचानक ऊंचाई पर चले जाते हैं, जिससे मानसूनी बादल मजबूरन ऊपर उठते हैं और नमी का भार नहीं झेल पाते. परिणामस्वरूप क्लाउड बर्स्ट होता है.

Advertisement

5. जलवायु परिवर्तन और क्लाउड बर्स्ट के बीच क्या संबंध है?

जलवायु परिवर्तन के कारण अतिवृष्टि (Extreme Precipitation) की घटनाएं बढ़ रही हैं. इससे छोटे-छोटे इलाकों में सीमित समय में बेहद ज्यादा बारिश होती है, जो भारी तबाही का कारण बनती है. यही कारण है कि क्लाउड बर्स्ट जैसी घटनाएं अब अधिक बार और अधिक क्षेत्रों में देखने को मिल रही हैं.

6. क्या मानवीय गतिविधियां क्लाउड बर्स्ट की तबाही को और बढ़ा रही हैं?

हां. जहां-जहां पहाड़ों में सड़कें, भवन या अन्य निर्माण कार्य हुए हैं, खासकर नदियों के प्राकृतिक रास्तों में, वहां ज्यादा नुकसान देखा गया है. बारिश के समय नदियां अक्सर अपने पुराने रास्ते पर लौट आती हैं और रास्ते में बना निर्माण बहा ले जाती हैं. इसके अलावा सड़क बनाते समय ढाल को स्थिर (स्टेबलाइज) नहीं किया गया तो भूस्खलन और सड़क धंसने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं.

Featured Video Of The Day
Top Headlines: Trump Tariff War | BRICS Summit 2025 | PM Modi Brazil Visit | Gopal Khemka Murder