Explainer : क्या AI छीन लेगा इंसानों की नौकरी, ये वरदान है या अभिशाप?

आज AI का दायरा बहुत बड़ा हो गया है. पहले जहां कंप्यूटर गणना और कुछ अन्य जटिल कामों में इंसानों से आगे थे. अब AI से मशीनों को इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों से प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे इंसान की तरह सोच सकें, फैसले ले सकें. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर मशीनें इंसान की तरह काम करने लगेंगी, तो इंसान का क्या होगा? क्या इससे कई नौकरियां खत्म नहीं हो जाएंगी?

विज्ञापन
Read Time: 7 mins

करीब सौ साल पहले कैलिफोर्निया के एक मेयर ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने औद्योगीकरण से जुड़ी तकनीकियों को लेकर भविष्यवाणी की थी कि ये एक ऐसा भयानक राक्षस साबित होगी, जो विनिर्माण के क्षेत्र में इतनी क्रांति लाएगी कि हमारे समाज की सभ्यता खत्म हो जाएगी. लेकिन यह भविष्यवाणी गलत साबित हुई. फिर साठ के दशक में जब दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) यानी आईटी क्रांति के कदम उठाए जा रहे थे, तो कई वैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन को एक खत लिखा, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि साइबरनेशन रिवोल्यूशन (Cybernation Revolution) से गरीबों, अकुशल मजदूरों और बेरोजगारों का एक अलग देश बन जाएगा, जो अपनी सामान्य ज़िंदगी जीने में सक्षम नहीं होंगे. लेकिन समय के साथ यह भविष्यवाणी भी गलत साबित हुई.

वास्तव में, हर बार जब भी कोई नई तकनीक आई है, तो निराशावादी भविष्यवाणियां सामने आई हैं. लेकिन वे समय के साथ गलत साबित होती रही हैं. अब एक और तकनीकी विकास ने हमारे सामने नई आशंकाएं पैदा की हैं और वह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI). आजकल यह माना जा रहा है कि AI जल्द ही इंसान पर हावी हो जाएगा. कई नौकरियां खत्म हो जाएंगी, लाखों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे और यहां तक कि AI मानव सभ्यता की बर्बादी का कारण बन सकता है. 

आज AI का दायरा बहुत बड़ा हो गया है. पहले जहां कंप्यूटर गणना और कुछ अन्य जटिल कामों में इंसानों से आगे थे. अब AI से मशीनों को इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों से प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे इंसान की तरह सोच सकें, फैसले ले सकें. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर मशीनें इंसान की तरह काम करने लगेंगी, तो इंसान का क्या होगा? क्या इससे कई नौकरियां खत्म नहीं हो जाएंगी?

Advertisement

टेक्नोलॉजी में प्रगति और रोजगार
अब तक हम देख चुके हैं कि किसी भी नई तकनीक के साथ एक तरफ कुछ नौकरियां खत्म होती हैं. वहीं, दूसरी तरफ नए रोजगार भी पैदा होते हैं. जैसे कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों ने खेतों में काम करने वाले लोगों की संख्या घटा दी, लेकिन औद्योगिक क्रांति ने उन्हें फैक्ट्रियों में रोजगार के अवसर दिए. फिर जब ऑटोमेशन आया, तो वह भी बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र से कामकाजी आबादी को बाहर कर दिया. लेकिन इसके साथ ही सेवा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला.

Advertisement

ऐसा ही कुछ IT क्रांति के दौरान हुआ, जब सूचना प्रौद्योगिकी ने कई पुराने उद्योगों को बदल दिया और नए रोजगार पैदा किए. यही वजह है कि आज भी तकनीकी प्रगति के बावजूद रोजगार का स्तर रिकॉर्ड पर है. लेकिन जब बात AI की होती है, तो यह सच है कि इस बार कुछ अलग हो सकता है, क्योंकि AI का विकास पहले की तकनीकों से कहीं ज्यादा तेज और शक्तिशाली है. इसके आने से, बहुत से विशेषज्ञ चिंतित हैं कि AI इंसान की भूमिका पर भारी पड़ सकता है.

Advertisement

AI का प्रभाव और उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पेरिस में आयोजित AI Action Summit में इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए AI की ताकत और इसके संभावित खतरों पर बात की. उन्होंने कहा कि AI स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है और यह सतत विकास के लक्ष्यों को तेजी से हासिल करने में मदद कर सकता है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने AI से जुड़ी चिंताओं का भी जिक्र किया, खासकर नौकरियों पर इसके प्रभाव को लेकर.

Advertisement

आईएमएफ़ (IMF) की 2024 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में 40% रोज़गार AI से प्रभावित होंगे. यह रिपोर्ट कहती है कि ऐतिहासिक तौर पर ऑटोमेशन और IT ने सामान्य कामों को ज्यादा प्रभावित किया, लेकिन AI का असर विशेष रूप से उच्च कौशल वाले कामों पर होगा. विकसित देशों में इस तरह के कार्यों में 60% तक AI का प्रभाव दिखाई देगा. AI कुछ कामों में इंसान से बेहतर होगा, जबकि कुछ कामों को यह खुद करने लगेगा, जिससे लेबर डिमांड में कमी आएगी और तनख़्वाहें घट सकती हैं.

वहीं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में इस प्रभाव की संभावना 40% तक हो सकती है, जबकि पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं में यह असर 26% तक सीमित रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक AI का असर आर्थिक असमानता को बढ़ा सकता है. यानी जो लोग AI से जुड़ी नई तकनीकों को अपनाएंगे, उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी, जबकि जो लोग इस बदलाव से पीछे रह जाएंगे, उनका पिछड़ना तय है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस चुनौती का सामना करने के लिए 'Skilling' और 'Reskilling' यानी नई क्षमताओं और हुनर को सिखाने पर जोर दिया. उनका मानना है कि आने वाले समय में केवल वही लोग कामयाब होंगे जो अपनी दक्षताओं को बढ़ाएंगे और नई तकनीकों को अपनाएंगे.

AI के साथ नई चुनौतियां और भविष्यवाणियां
AI के बढ़ते प्रभाव के बीच कई दिग्गज तकनीकी विशेषज्ञ अपनी भविष्यवाणियां दे रहे हैं. गूगल के इंजीनियर और प्रसिद्ध भविष्यवादी रे कर्ट्ज़वाइल ने अपनी किताब "The Singularity is Nearer" में यह दावा किया है कि AI जल्द ही मानव बुद्धिमता को पार कर जाएगा. उनका कहना है कि 2045 तक वह बिंदु आएगा जब AI मानव से कहीं अधिक शक्तिशाली हो जाएगा. वे AI और जीव विज्ञान के आपसी मिलन को प्रमुख कारण मानते हैं, जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाएगा और इंसान को अमरता की दिशा में एक कदम और आगे ले जाएगा. 

कर्ट्ज़वाइल का दावा है कि नैनो तकनीक की मदद से मेडिकल नैनोबॉट्स बहुत छोटी-छोटी रोबोट्स बन सकते हैं जो कोशिकाओं के स्तर पर काम करके बीमारियों का इलाज करेंगे. इसके अलावा, AI और क्लाउड कंप्यूटिंग का मिलाजुला रूप इंसान की सोचने की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकता है. यही नहीं, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि AI के माध्यम से "डिजिटल अमरता" का सपना भी हकीकत में बदल सकता है, जिससे इंसान अपने मृत रिश्तेदारों की डिजिटल सिमुलेशन बना सकता है. 

लेकिन इन भविष्यवाणियों पर आलोचना भी हो रही है। कई विशेषज्ञ, जैसे मेटा के AI प्रमुख यान लेकुन, मानते हैं कि हम अभी तक ऐसी मशीनें बनाने से बहुत दूर हैं जो इंसान की तरह सोच सकें. उनका कहना है कि AI के प्रभुत्व वाले भविष्य की बातें ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर की जा रही हैं और हम उस स्तर की तकनीकी क्षमता तक नहीं पहुंचे हैं.

AI के नियंत्रण की जरूरत
कई विशेषज्ञों का मानना है कि AI को यदि बगैर नियंत्रित किया गया, तो इसके अत्यधिक विकास से बड़े खतरें पैदा हो सकते हैं. AI के रचनाकारों और विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि AI के विकास को नैतिक और कानूनी दायरों में रखा जाए. जैसे AI को सही दिशा में चलाने के लिए एथिक्स फ्रेमवर्क को सुधारने की जरूरत है और उसे मानवता की भलाई के लिए सही दिशा में प्रोत्साहित किया जाए.

इसलिए AI के क्षेत्र में काम कर रहे कई जानकार यह मानते हैं कि AI का अधिकतम फायदा तभी मिलेगा जब वैश्विक स्तर पर इसका नियमन किया जाए और इसे नियंत्रित किया जाए, ताकि यह इंसानियत के लिए वरदान साबित हो, न कि अभिशाप.

वर्तमान में हम एक ऐसे युग में हैं जहां तकनीक के विकास के साथ-साथ कई नैतिक, सामाजिक और व्यावहारिक सवाल उठ रहे हैं. AI हमारे समाज को सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है, लेकिन इसके नियंत्रण के बिना यह एक खतरनाक प्रक्षिप्त बन सकता है. इस बदलाव के साथ हमें अपनी तैयारी करनी होगी और नए कौशल विकसित करने होंगे, ताकि हम इसे अपनी भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकें. AI का विकास एक स्वर्णिम भविष्य का संकेत है. लेकिन यह भविष्य तब तक सुरक्षित रहेगा जब तक इसे सही दिशा में नियंत्रित किया जाएगा.