आखिर इस्तीफा देकर 'अग्निपरीक्षा' क्यों देना चाहते हैं केजरीवाल? 5 पॉइंट्स में समझिए

CM केजरीवाल ने रविवार को कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये बता दिया है कि मैं भ्रष्टाचारी नहीं हूं. मैं राजनीति में पैसा कमाने नहीं आया था. मेरा मकसद सिर्फ और सिर्फ देश सेवा है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने रविवार को अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर सभी को चौंका दिया. उन्होंने रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अगले दो दिनों में सीएम के पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं. और मैं अब इस कुर्सी पर तभी बैठूंगा जब जनता मुझे ईमानदार मानकर दोबारा चुनेगी. सीएम केजरीवाल ने अपने सहयोगी मनीष सिसोदिया को लेकर भी कुछ ऐसी ही बात कही. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मैं पद का त्याग करने जा रहा हूं वैसे मनीष भी अब एक बार फिर से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री तभी बनेंगे जब जनता उन्हें दोबारा जीताएगी. केजरीवाल ने अपने इस्तीफे की घोषणा के साथ ही चुनाव जल्द कराने की भी बात कही. सीएम अरविंद केजरीवाल के इस ऐलान के बाद अब सवाल ये है कि अपने इस्तीफे से आखिर क्या नया संदेश देना चाह रहे हैं केजरीवाल? और क्या इस तरह के फैसले से उन्हें और उनकी पार्टी को भविष्य में फायदा होगा ? चलिए आज हम आपको विस्तार से बताते हैं कि सीएम केजरीवाल के इस ऐलान के क्या कुछ हैं सियासी मायने. 

तो का क्या जेल से इसलिए नहीं दिया था इस्तीफा

शराब नीति मामले में जेल जाने के बाद से ही सीएम केजरीवाल पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उनसे लगातार पद छोड़ने को कह रही थी. लेकिन केजरीवाल ने जेल में रहते हुए अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया. वो किसी के दबाव में नहीं आए.सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों उन्हें इस मामले में जैसे ही जमानत दी तो उन्होंने जेल से निकलने के बाद इस्तीफा देने में दो दिन भी नहीं लगाए. आखिर केजरीवाल ऐसा क्यों कर रहे हैं. राजनीति के जानकार मानते हैं कि वो इस समय राजनीतिक फायदा और बीजेपी पर रणनीति के आधार पर बड़ी बढ़त लेना चाहते हैं. साथ ही वो दिल्ली की जनता को ये भी बताना चाहते हैं कि वो अपनी राजनीति बीजेपी के हिसाब से नहीं करेंगे. साथ ही साथ उन्होंने अगले दिनों में इस्तीफे की बात कहकर ये भी साफ कर दिया कि उन्हें किसी पद का मोह नहीं है.माना जा रहा है कि केजरीवाल का यह मूव उन्हें 2025 में होने वाले दिल्ली चुनाव में फायदा जरूर पहुंचा सकता है.

क्या केजरीवाल को मिलेगी जनता की सहानुभूति

कहा जा रहा है कि जेल से बाहर आने के तुरंत बाद ही जैसे सीएम केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की उससे इतना तो साफ है कि वो फिर एक बार जनता के बीच जाने की तैयारी में हैं. सीएम केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि अब हम जनता की अदालत में जाने को तैयार हैं. अगर जनता को लगता होगा कि मैं ईमानदार हूं तो वो मुझे दोबारा चुनकर लाएंगे और अगर उन्हें मेरी ईमानदारी पर शक होगा तो वो मुझे वोट नहीं देंगे. सीएम केजरीवाल ने कहा था कि हम राजनीति में सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता हासिल करने नहीं आए थे. हम देश सेवा के लिए राजनीति में आए थे. बीते कुछ महीनों बीजेपी के लोगों ने मेरे बारे काफी कुछ भला बुरा कहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुझे जमानत देकर ये साबित कर दिया कि मेरे पर लगे तमाम आरोप बेबुनियाद हैं. मैं राजनीति सिर्फ जनता के लिए कर रहा हूं. इसलिए मेरे पर जो आरोप लगे हैं अब उनका जवाब दिल्ली की जनता देगी. माना जा रहा है कि केजरीवाल ने जिस तरह का भाषण दिया उसका एक मकसद दिल्ली की जनता की साहनुभूति हासिल करना भी था. 

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हरियाणा चुनाव में भी पार्टी को होगा फायदा ?

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद अब माना जा रहा है कि उनके इस फैसले से आम आदमी पार्टी को आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में फायदा हो सकता है.ऐसा माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल की भावुक अपील से उनकी पार्टी को हरियाणा में भी फायदा होगा. अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण के दौरान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया था जिसके तहत कोर्ट ने कहा था कि वह जेल में रहते हुए भी सरकार चला सकते हैं. कहा जा रहा है कि सीएम केजरीवाल ने इस बात का जिक्र एक सोची समझी रणनीति के तहत किया.वह ऐसा बोलकर एक तरफ तो ये बताने की कोशिश कर रहे थे देश संविधान के मुताबिक चलता है और दूसरी तरफ उन्होंने ये भी बता दिया कि इस केस में उन्हें मिली जमानत ये साबित करती है उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है. ऐसे में उनको जबरदस्ती जेल में भेजना उन्हें और उनकी पार्टी को तोड़ने भर की कोशिश थी. 

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आम आदमी के बीच फिर 'आम'दिखने की है तैयार

अरविंद केजरीवाल जब राजनीति में आए थे तो उनकी छवि एक आदमी की थी. चाहे बात उनके पहनावे की हो या फिर उनके आवास की. राजनीतिक करियर के शुरुआती कुछ सालों तक किसी बड़े नेता या सीएम वाला तामझाम उनसे कोसों दूर दिखता था. लेकिन जैसे जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी उनके आसपास सुरक्षा का घेरा बढ़ा और इसके साथ ही उनके आवास का रंग रूप भी बदला. एक समय पर बीजेपी ने उनके आवास के रिनोवेशन में किए खर्च को भी एक मुद्दा बनाया. उनके नए आवास को लेकर कई तरह की बातें की गईं. खास तौर पर जितनी लागत से सीएम आवास को नया रूप दिया था, उसे लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे. इन सबके बीच बीजेपी ने कई बार आरोप लगाया कि केजरीवाल अब वो आम आदमी नहीं हैं जो एक आंदोलन से निकले थे. इन तमाम आरोपों के बीच अरविंद केजरीवाल शराब नीति मामले में जेल चले गए. अब जब वह जेल से बाहर आए हैं तो वो अपनी आम आदमी वाली छवि के साथ ही जनता के बीच जाने की तैयारी में हैं. 

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विपक्षी एकता की धुरी बनेंगे केजरीवाल ? 

ऐसा माना जा रहा है कि केजरीवाल के इस फैसले से उनका राजनीतिक कद अब और बढ़ेगा. अगर ऐसा हुआ तो ये विपक्षी एकता को भी मजबूत करने वाला फैसला साबित हो सकता है. लोकसभा के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था. अब जब सीएम केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया है तो ये मानकर चला जा रहा है कि अगर 2025 में उनकी फिर सत्ता में वापसी हुई तो वो आज कि तुलना में ज्यादा मजबूत छवि के साथ राजनीति करते नजर आएंगे. 

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