कौन बनेगा दिल्ली का मुख्यमंत्री ? इन नामों की चर्चा आखिर क्यों हो रही, अहम फैक्टर जानिए

Delhi CM: दिल्ली का सीएम कौन बनेगा, ये हर कोई जानना चाहता है. सवाल ये भी है कि बीजेपी क्या इस बार पूर्वांचली विधायकों पर दांव खेलेगी. इससे उसके एक तीर से दो शिकार हो सकते हैं. बीजेपी ने पूर्वांचल बहुत 27 सीटों में से 19 पर जीत हासिल की है. इसलिए इनकी दावेदारी सरकार में अहम हो जाती है.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के दावेदार.
नई दिल्ली:

बीजेपी ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है. भगवा की ऐसी बयार चली कि झाड़ू बिखर गया और कमल खिल गया. अब सवाल यही है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन (Who Will Be Delh CM) बनेगा. दिल्ली की जनता और मीडिया कई सवालों में उलझी हुई है. दिल्ली में 27 साल बाद लौटी बीजेपी के विधायकों में सरकार बनने को लेकर उत्साह है लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर उदासीनता भी. विधायक ये अच्छी तरह से जानते हैं कि मुख्यमंत्री पद किसे मिलेगा, ये बात सिर्फ़ पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा मिलकर ही तय करेंगे.

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मीडिया हर एक विधायक में मुख्यमंत्री का चेहरा खोज रही है. लेकिन दिल्ली का क़रीब-क़रीब हर विधायक चाहता है उसका नाम मीडिया में न चले. इसके पीछे की वजह बीजेपी के फैसले के पीछे छिपे दो अहम पहलू-सीक्रेसी और सस्पेंस है. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी हो या राजस्थान के भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मोहन यादव, इन सभी को देख लीजिए. मीडिया में नाम चला किसी और का और इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद मिला किसी और को. इसीलिए फ़िलहाल सभी 48 विधायक मुख्यमंत्री पद के दावेदार मानते जा सकते हैं.

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कौन बन सकता है दिल्ली का मुख्यमंत्री?

मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए इसे लेकर संभावनाओं पर बात करें तो  इसके पीछे सामाज और जाति बड़ा फैक्टर है. मीडिया में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का चल रहा है. उनके बारे में जानिए.

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प्रवेश वर्मा- प्रवेश एक ताकतवर जाट नेता हैं जो दिल्ली के गांवों से जुड़े हैं. बाहरी दिल्ली के गांवों से बीजेपी को भरपूर समर्थन मिला.  बाहरी दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी की झोली में आ गईं. इस लिहाज़ से वह मुख्यमंत्री की रेस में हैं. प्रवेश वर्मा अमित शाह के नज़दीकी हैं. लेकिन सवाल ये भी है कि क्या वह कार्यकर्ताओं की भी पसंद है.

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मोहन सिंह बिष्ट- वह छठी बार विधायक बनें हैं. वह मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट से चुनकर आए हैं. वह लंबे समय तक विधायक रहे है. वह पहाड़ी समाज के क़द्दावर नेता हैं. इनको भी मीडिया मुख्यमंत्री या स्पीकर के पद पर संभावित चेहरे के तौर पर देख रही है. दिल्ली की सियासत में मोहन सिंह बिष्ट सबसे अनुभवी विधायक माने जाते हैं. 

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विजेंद्र गुप्ता- बीजेपी बीते दस साल से दिल्ली की सत्ता से भले ही दूरी रही हों लेकिन विजेंद्र गुप्ता लगातार रोहिणी से जीतते रहे हैं. वह बीजेपी के स्टैंड को दमदार तरीक़े से विधानसभा में रखते रहे हैं. सरकारी कामकाज और दिल्ली सरकार की बारीकियों को बखूबी समझते हैं. रोहिणी में विकास के जो काम उन्होंने किए उसकी वजह से अमित शाह भी उनकी तारीफ़ कर चुके हैं.वह दिल्ली में बनिया जाति के दमदार नेता के तौर पर जाने जाते हैं. 

राजकुमार चौहान- दिल्ली में 12 सुरक्षित सीटों में बीजेपी को इस बार चार सीटें मिली है. इनमें सबसे प्रमुख नाम राजकुमार चौहान का है. वह कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं. बीजेपी ने उनको मंगोलपुरी सीट से उतारा था. उनको कामकाज का लंबा अनुभव है लेकिन कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनका नकारात्मक बिंदु है.  रवि इंद्रराज सिंह भी रेस में हैं.

कैलाश गंगवाल- मादीपुर से आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला को हराने वाले कैलाश गंगवाल का नाम भी सीएम की रेस में माना जा रहा है. जबकि बवाना से जीते रवि इंद्राज समेत चार दलित विधायकों को सरकार में अहम ज़िम्मेदारी मिल सकती है.

सतीश उपाध्याय- दिल्ली में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश उपाध्याय और पवन शर्मा को भी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर देखा जा रहा है. सतीश ने आम आदमी पार्टी के क़द्दावर नेता सोमनाथ भारती को मालवीय नगर से हराया है.उनको संगठन के कामकाज का लंबा अनुभव है और अनुभवी कार्यकर्ता की उनकी छवि है. 

पवन शर्मा- उत्तम नगर से जीत का परचम बुलंद करने वाले पवन शर्मा भी दिल्ली के सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं. इसकी वजह यह है कि वह खामोशी से काम करने वाले कार्यकर्ता रहे हैं. माना जाता है कि विधानसभा चुनाव का टिकट पाने में RSS से उनकी नज़दीकियां भी अहम वजह रही हैं. 

शिखा राय और रेखा गुप्ता-  मुख्यमंत्री पद के लिए अगर महिला दावेदार की बात करें तो शिखा राय और रेखा गुप्ता का नाम सामने आ रहा है. शिखा राय ने आम आदमी पार्टी के ताकतवर नेता सौरभ भारद्वाज को हराया है. MCD से लेकर संगठन तक में कामकाज का उनका लंबा अनुभव है. जबकि रेखा गुप्ता शालीमार बाग से चुनकर आई है. बीजेपी की चार चुनी गई महिला विधायकों में से दोनों सबसे ज़्यादा अनुभवी हैं. 

क्या दिल्ली में पूर्वांचल फैक्टर आएगा काम?

सवाल ये भी है कि बीजेपी क्या इस बार पूर्वांचली विधायकों पर दांव खेलेगी. इससे उसके एक तीर से दो शिकार हो सकते हैं. पहला बीजेपी ने पूर्वांचल बहुत 27 सीटों में से 19 पर जीत हासिल की है. इसलिए इनकी दावेदारी सरकार में अहम हो जाती है. दूसरा पूर्वांचली मुख्यमंत्री बनाकर बिहार चुनाव में सियासी का मायलेज ले सकती है. हालांकि बीजेपी ने पांच पूर्वांचलियों को ही चुनाव लड़वाया था. इनमें सबसे प्रमुख नाम लक्ष्मी नगर से जीते अभय वर्मा और करावल नगर से कपिल मिश्रा का है.अभय वर्मा ने लक्ष्मी नगर से दूसरी बार चुनाव जीता जबकि कपिल मिश्रा बीजेपी के फायरब्रांड लीडर के तौर पर जाने जाते हैं. प्रधानमंत्री के भाषण के बाद अब इस बात की संभावना है कि दिल्ली सरकार में पूर्वांचलियों को अहम पद जरूर दिया जाएगा.

CM पद के लिए इन बाहरी नेताओं के नाम की भी चर्चा

इस बात की भी कई नेता संभावना जता रहे हैं कि हो सकता है दिल्ली के सात सांसदों या बाहर से पैराशूट उम्मीदवार को भी दिल्ली का मुख्यमंत्री पद मिल जाए. इसमें सबसे ज़्यादा चर्चित नाम मनोज तिवारी, बांसुरी स्वराज, वीरेंद्र सचदेवा और रामवीर सिंह बिधूडी का है. 15 फ़रवरी के आसपास प्रधानमंत्री के विदेश दौरे से लौटने पर ही इन अटकलों पर विराम लग सकता है. फ़िलहाल बैठकों का सिलसिला जारी है.
 

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