इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI Airport) पर शुक्रवार (7 October) को हुई सिस्टम फेलियर की घटना को टाला जा सकता था. यह दावा एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने किया है. एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के संगठन ने कहा कि उसने कई महीने पहले ही भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) को सिस्टम की खराब स्थिति और अपग्रेड की जरूरत के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया.
सांसदों को भी लिखा पत्र
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान AI171 दुर्घटना के कुछ दिनों बाद 8 जुलाई को सांसदों को पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया कि यह आवश्यक है कि हवाई नेविगेशन सेवाओं में उपयोग हो रहे ऑटोमेशन सिस्टम की समय-समय पर समीक्षा हो और उन्हें अपग्रेड किया जाए.
पत्र में कहा गया था कि दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर मौजूदा ऑटोमेशन सिस्टम की कार्यक्षमता कमजोर देखी जा रही है. ऐसे में सिस्टम स्लो होने और बार-बार लैग आने की वजह से उड़ानों के संचालन की सुरक्षा और दक्षता पर असर पड़ रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से अपग्रेड हो सिस्टम
इस पत्र में कहा गया है कि भारत के ऑटोमेशन सिस्टम को अब यूरोप के यूरोकंट्रोल (Eurocontrol) और अमेरिका के FAA जैसे सिस्टम की तरह होना चाहिए. इन जगहों पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल में आधुनिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से खतरे की पहचान और रियल-टाइम डेटा शेयरिंग की सुविधा होती है. गिल्ड ने कहा कि उन्होंने यह सुरक्षा संबंधी गंभीर मुद्दे कई बार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को बताए हैं, लेकिन अब तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
दिल्ली एयरपोर्ट पर क्या हुआ?
दिल्ली एयरपोर्ट पर गुरुवार के बाद शुक्रवार को भी और ट्रैफिक कंट्रोल का सर्वर डाउन हो गया था. बताया गया कि ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में हुईं तकनीकी खराबी ने एयर ट्रैफिक को गड़बड़ा दिया, जिसकी वजह से करीब 800 से ज्यादा उड़ानों पर असर पड़ा. इसमें कई फ्लाइटें देरी से रवाना या लैंड हुईं तो 20 उड़ानों को रद्द करना पड़ा. इसके कारण यात्री को भारी परेशानी हुईं. ये असर डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों फ्लाइट पर पड़ा.














