हवा तोल रहे हैं दिल्ली के सरकारी राशन दुकानों के तराज़ू, NDTV रिपोर्ट में जानें क्या है ये झोल

NDTV ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की तो तब पता चला कि दिल्ली में करीब 18 लाख ग़रीबों को राशन देने में इस इलेक्ट्रॉनिक मशीन की वजह से सहूलियत कम और परेशानी ज्यादा हो रही है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के करीब 2000 सरकारी राशन की दुकानों पर हवा की तोल करने वाला इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू हवा तोल रहा है. सोचिए राशन की दुकान पर राशन न तोलकर हवा तोलने वाले इस इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू के किराए पर दिल्ली सरकार अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है. NDTV ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की तो तब पता चला कि दिल्ली में करीब 18 लाख ग़रीबों को राशन देने में इस इलेक्ट्रॉनिक मशीन की वजह से सहूलियत कम और परेशानी ज्यादा हो रही है. दरअसल 2021 में वन नेशन वन राशन कार्ड की मुहिम के तहत दिल्ली की सभी 2000 राशन दुकानों पर EPOSE मशीनों को लगाने की शुरुआत हुई.

एनडीटीवी को मिला क्या झोल

इसके तहत EPOSE मशीनों के साथ एक इलेक्ट्रोनिक तराज़ू को भी उससे जोड़ा गया, ताकि किसी भी गरीब को कम राशन या घटतौली का शिकार न होना पड़े. इसके लिए सरकार ने एक कंपनी को ठेका दिया और बदले में कंपनी को 1844 रुपए महीना दिल्ली सरकार ने किराए के तौर पर भुगतान करना शुरु किया. लेकिन ये व्यवस्था शुरु हो पाती, इससे पहले ही इसके इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू में ख़ामियां दिखने लगी. NDTV की टीम जब राशन की दुकान में पहुंची और इस इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू को देखा तो पता चला कि पंखा चलाने पर या तेज हवा चलने पर इस मशीन में कभी 25 कभी 30 ग्राम की रिडिंग अपने आप दिखनी लगती है और दिक़्क़त यहीं से शुरु होती है.

इलेक्ट्रॉनिक तराजू में क्या दिक्कत

हमने समस्या को जानने के लिए दिल्ली सरकारी राशन डीलर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार गर्ग को विजय विहार के राशन की दुकान पर बुलाया तो उन्होंने बताया कि इस इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू में दिक़्क़त ये है कि जब तक .5 ग्राम की रीडिंग नहीं होगी तब तक EPOSE रिडिंग मशीन काम नहीं करेगी. इसके चलते बीते दस दिनों से राशन वितरण का काम ठप्प पड़ा था. इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू में बार बार वजन का रिडिंग अलग अलग दिखने से EPOSE मशीन से पर्ची नहीं निकलती. ऐसे में ग़रीबों को लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा था.

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जब मशीन ठप्प तो क्यों दिया जा रहा 36 लाख किराया

शिवकुमार गर्ग ने बताया कि केजरीवाल सरकार के वक्त भी ये सिस्टम बनाया गया था. लेकिन इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू के काम न करने से इसको हटा दिया गया था. लेकिन नई सरकार ने 11 जुलाई से फिर इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू को जोड़ने का आदेश दिया था, जिससे राशन वितरण ठप्प रहा था. शिव कुमार गर्ग ने सवाल उठाया जब मशीन काम ही नहीं कर रही है तो फिर दिल्ली सरकार हर महीने क्यों 36 लाख रुपए किराया दे रही है.

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इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू की वजह से सरकार बैंक फुट पर 

NDTV ने जब इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू के बाबत अधिकारियों से बात की तो कैमरे के सामने बात करने की शर्तें पर बताया कि इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू में वेट अलग अलग दिखाने की शिकायत कई जगहों से मिली है इसी के चलते फ़िलहाल इस आदेश को वापस लिया जा रहा है. राशन की दुकान पर इस इलेक्ट्रॉनिक मशीन से राशन नहीं तौला जा रहा है. खुद बीजेपी के सांसद योगेन्द्र चंदौलिया मानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक तराज़ू की ख़रीद या किराया देने के मामले में काफ़ी गड़बड़ी है. इसकी जांच की जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

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