नए लोहे के पुल की तस्‍वीरें आई सामने, जानें कब खुलेगा, दिल्‍ली में अंग्रेजों के बनाए ब्रिज की लेगा जगह

दिल्‍लीवालों को जल्‍द ही नया लोहे का पुल मिलने वाला है, जिसका निर्माण कार्य पूरा हो गया है. ये साल 2003 में शुरू हुआ, जो अब करीब ढाई दशक बाद पूरा हुआ है.

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  • यमुना नदी पर नया रेलवे पुल पूरी तरह बनकर तैयार हो गया है और रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने इसका निरीक्षण किया है
  • नया पुल, पुराने लोहा पुल की जगह लेगा जो 1867 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था
  • इस पुल का निर्माण 2003 में शुरू हुआ था और करीब 227 करोड़ रुपये की लागत से यह 865 मीटर लंबा डबल लाइन पुल बना है
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नई दिल्‍ली:

नए साल के मौके पर राजधानी दिल्ली के लोगों को बड़ी सौगात मिलने जा रही है. यमुना नदी पर ऐतिहासिक लोहे के पुल के समानांतर तैयार हो रहा नया रेलवे ब्रिज अब बनकर पूरा हो गया. बीते दिनों रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने नए लोहा पुल का निरीक्षण भी कर लिया, जिसके बाद अब जल्द ही पुल के शुरू होने की उम्‍मीद है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने अभी कुछ दिन पूर्व ही नए पुल का निरीक्षण किया. इसके बाद अब वो अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपेंगे, जिसके आधार पर पहले ट्रायल और फिर पुल के उद्धघाटन की तैयारी शुरू होगी. अगर कोई अड़चन नहीं आई, तो नए साल में पुल का उद्धघाटन होगा.

इसी साल होना था उद्धघाटन 

दरअसल, नए पुल का इंतजार लोगों को काफी लंबे वक्त से है. पहले उम्मीद की जा रही इसी वर्ष निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा और पुल पर नियमित ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा. लेकिन समय पर निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका जिसके कारण कल उद्घघाटन की तारीख टलती गई. दिलचस्प बात यह है कि पुल को बनाने की स्वीकृति साल 1997-98 में दी गई थी. लेकिन इसका निर्माण कार्य वर्ष 2003 में शुरू हुआ, जो अब करीब ढाई दशक बाद पूरा हुआ है.

 नए पुल की जरूरत क्यों है?

जानकारी के अनुसार, अभी यमुना पर जो पुराना लोहा पुल है, उसे साल 1867 में अंग्रेजों ने बनवाया था. इसका इस्तेमाल सड़क और रेल दोनों के लिए होता था. लेकिन पुल की बनावट नीचे की तरफ होने के कारण इसकी कम ऊंचाई थी. बाढ़ के वक्त जब यमुना में पानी बढ़ता था, तो कई दिनों तक पुल को बंद करना पड़ता था, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित हो जाता था. हालांकि, नए पुल पर ट्रेनों के संचालन शुरू होने के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी.

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आधुनिक तकनीक का हुआ इस्तेमाल

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, नए पुल में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह 25 टन एक्सल लोड सहन कर सकता है. यानी भारी व तेज रफ्तार ट्रेनें पल पर सरपट दौड़ेंगी. पुल के निर्माण में करीब 227 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. यह डबल लाइन फुल 865 मीटर लंबा है. पुल पर नियमित ट्रेनों का संचालन शुरू होने के विशेष रूप से पूर्वांचल, बिहार व उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाली गाड़ियों को राहत मिलेगी. साथ ही यात्रा समय भी कम होगा. नया पुल चालू होने के बाद पुरानी दिल्ली स्टेशन से ट्रेनों को सीधा मार्ग मिलेगा. 

पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन

रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस आधुनिक व बहुप्रतीक्षित पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराने की योजना है. यह पुल आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग कौशल का शानदार उदाहरण है, जिसे भव्य तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया जाएगा. इस पर ट्रेनों के नियमित संचालन शुरू होने से ना सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरे उत्तर भारत के रेलवे नेटवर्क को नई मजबूती मिलेगी.

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