- दिल्ली विधानसभा कमेटी ने फांसी घर मामले में केजरीवाल समेत अन्य नेताओं को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है.
- समिति अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह राजपूत की अध्यक्षता में फांसी घर की प्रामाणिकता की जांच के लिए बैठक आयोजित होगी.
- बीजेपी सरकार का दावा है कि 'फांसी घर' इतिहास के साथ छेड़छाड़ और धन के दुरुपयोग का मामला है.
दिल्ली विधानसभा में फांसी घर मामले पर सियासत तेज हो गई है. इसे लेकर दिल्ली विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 4 नेताओं को नोटिस जारी किया है. फांसी घर मामले में दिल्ली विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली विधानसभा के पूर्व स्पीकर राम निवास गोयल और दिल्ली विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष राखी बिड़लान को नोटिस जारी किया है. सभी नेताओं को 13 नवंबर को पेश होने का निर्देश जारी किया गया है. हालांकि, सभी नेताओं की पेशी की टाइमिंग अलग-अलग है.
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फांसी घर की प्रामाणिकता की जांच के लिए बैठक
'प्रिविलेज कमेटी' के सदस्यों को सूचित किया गया है कि समिति की बैठक 13 नवंबर को दोपहर 3 बजे विधायक लाउंज-I, विधानसभा परिसर, पुराना सचिवालय, दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जिसमें 9 अगस्त 2022 को दिल्ली विधानसभा परिसर में उद्घाटन किए गए 'फांसी घर' की प्रामाणिकता के संबंध में चर्चा की जाएगी. प्रिविलेज कमेटी के चेयरपर्सन प्रद्युम्न सिंह राजपूत हैं. बता दें कि आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में विधानसभा परिसर में बने तथाकथित 'फांसी घर' को लेकर दावे किए गए थे.
बीजेपी विधायक प्रद्युम्न सिंह राजपूत की अध्यक्षता वाली समिति 13 नवंबर को उस ढांचे की प्रामाणिकता की जांच के लिए बैठक करेगी, जिसका उद्घाटन आम आदमी पार्टी सरकार ने 2022 में किया था. बीजेपी सरकार इसे "मनगढ़ंत" बता रही है. बीजेपी इसे लेकर पिछली आप सरकार पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है.
फांसी घर पर क्या कह रही बीजेपी?
पूरा विवाद नई सरकार द्वारा 'फांसी घर' को ध्वस्त करने के आदेश के बाद शुरू हुआ. रेखा सरकार का कहना था कि यह कभी फांसी घर था ही नहीं, यह ब्रिटिश काल में अधिकारियों को खाना पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक रास्ता मात्र था. सितंबर में विधानसभा सत्र के दौरान, अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दावा किया था कि आप सरकार ने इस जगह को जेल जैसा बनाने के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च किए थे. इसमें स्वतंत्रता सेनानियों केचित्र, प्रतीकात्मक लोहे की सलाखें और यहां तक कि एक जोड़ी फंदे भी लगाए गए थे.
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा था कि यह इतिहास के साथ बहुत ज्यादा छेड़छाड़ है. यह सिर्फ हमारे शहीदों का अपमान ही नहीं बल्कि जनता के साथ घोर विश्वासघात भी है. उन्होंने धन के कथित दुरुपयोग की जांच का ऐलान करते हुए FIR दर्ज करने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया था. हालांकि आम आदमी पार्टी इस पर हमलावर है.
क्या है आम आदमी पार्टी का आरोप?
आम आदमी पार्टी बीजेपी सरकार के इस कदम की जमकर आलोचना कर रही है. वह बीजेपी सरकार पर एक ऐतिहासिक बहस का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी का कहना है कि चुनाव बीते वक्त हो चुका है. अब बीजेपी के लिए राजनीति करने का नहीं बल्कि शासन करने का समय है.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला दे चुका है कि कोई भी आगामी सरकार पिछले कार्यकाल के मामलों पर कार्रवाई नहीं कर सकती.
क्या है सुरंग और 'फांसी घर' की कहानी?
यह विवाद 2016 से जुड़ा है, जब विधानसभा भवन के नीचे एक सुरंग पाई गई थी. यह एक ब्रिटिशकालीन संरचना थी, जिसको 1912 में तब बनाया गया था, जब शाही राजधानी कलकत्ता से दिल्ली ट्रांसफर हुई थी.
2021 में, तत्कालीन अध्यक्ष राम निवास गोयल ने ऐलान किया था कि परिसर में एक फांसीघर मिला है, जिसका एंट्री गेट विधानसभा भवन के ठीक नीचे है. आप सरकार ने बाद में इस जगह का जीर्णोद्धार कर इसका उद्घाटन फांसीघर' के रूप में किया था. इसके मुख्य हॉल के पास मौजद कक्ष में ब्रिटिश काल की बेड़ियां, एक कथित असली फांसी का फंदा और स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित कई कलाकृतियां दिखाई गई थीं.














