दिल्ली की हवा कैसे रहेगी साफ? विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की कार्यकारी निदेशक से समझिए

विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने एनडीटीवी से दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने और दिल्ली में बढ़ते वाहन प्रदूषण के योगदान पर बात की.

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दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण के कारण सरकार को कई तरह के उपाय करने पड़ते हैं और इमरजेंसी जैसी स्थिति हो जाती है. (फाइल फोटो)
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  • दिल्ली में सर्दियों के दौरान हवा धीमी होने से प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ जाता है और बाहर नहीं निकल पाता.
  • पराली जलाने का दिल्ली के कुल प्रदूषण में योगदान केवल एक से दो प्रतिशत के बीच है.
  • दिल्ली में प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों में वाहनों का योगदान चालीस से पचास प्रतिशत तक सबसे अधिक है.
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हर साल दिल्ली में ठंड के दौरान प्रदूषण तेजी से बढ़ता है, क्योंकि हवा धीमी पड़ जाती है और प्रदूषण शहर से बाहर नहीं निकल पाता. हवा में प्रदूषण दब जाती है, जिस वजह से सर्दियों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. इस साल फिर प्रदूषण सांसों पर लगाम लगा रहा है. 

पराली का कितना कसूर

विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने एनडीटीवी से दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने और दिल्ली में बढ़ते वाहन प्रदूषण के योगदान पर बात की. उन्होंने बताया कि 11 अक्टूबर, 2025 से दिवाली के दिन 20 अक्टूबर के बीच दिल्ली में प्रदूषण 1.6 गुना तक बढ़ गया है. हालांकि, इसमें बाहरी कारणों को उन्होंने दरकिनार करते हुए कहा कि अभी दिल्ली के प्रदूषण में पराली का जो कंट्रीब्यूशन है, वह 1% से 2% के बीच में है.

पराली और जली तो क्या होगा

अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली में लोकल पॉल्यूशन का जो प्रभाव है, वह कई गुना ज्यादा है. 15 अक्टूबर से पहले दिल्ली से सटे 6 राज्यों में 70 से 100 तक हर दिन पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड हो रही थीं, लेकिन 15 अक्टूबर के बाद से अब 200 से भी ज्यादा पहुंच चुका है. सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं दिवाली के अगले दिन हुईं, जब आंकड़ा 268 तक पहुंच गया. कल पराली जलाने की 196 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं हैं. 6 राज्यों में अभी पराली जलाने की घटनाएं बढ़नी शुरू हुईं हैं. कल प्रदूषण में पराली जलने की वजह से हुए प्रदूषण का कन्ट्रीब्यूशन 1.6% था.आने वाले दिनों में जब पराली जलाने की घटनाएं बढ़ेंगी तो दिल्ली के प्रदूषण में पराली का कंट्रीब्यूशन और तेजी से बढ़ेगा.

प्रदूषण रोकने के उपाय

कार्यकारी निदेशक ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में सबसे बड़ा हिस्सा वाहनों का है. प्रदूषण के जो लोकल स्रोत हैं, उनमें 40% से 50% तक वाहन कारण हैं. दिल्ली में गाड़ियां सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रही हैं. हमें अब जीरो एमिशन ट्रांजिशन चाहिए और इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम चाहिए. ऑड एंड इवन एक अस्थाई और इमरजेंसी व्यवस्था है, जैसे आप ट्रक और कंस्ट्रक्शन को कुछ दिनों के लिए बंद करते हैं. अगर आप एक हफ्ते के लिए ऑड-इवन स्कीम अगर कर भी लें तो उससे कुछ होने वाला नहीं है. सिर्फ कुछ हद तक राहत मिलेगी. इससे प्रदूषण का स्थाई समाधान नहीं होगा.
 

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