शाहदरा के बाशिंदों का बदल गया पता, रेखा सरकार ने दिल्‍ली में बना दिये 3 नए जिले

दिल्‍ली के नए जिला ढांचे के तहत 11 जिलों को बढ़ाकर 13 और 33 सब-डिविजन को बढ़ाकर 39 सब-डिविजन किया जा रहा है. इससे अधिकारियों पर कार्यभार संतुलित होगा और नागरिकों को सेवाएं अधिक तेजी से मिलेंगी.

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  • दिल्ली में 11 राजस्व जिलों को बढ़ाकर 13 नए जिलों का गठन किया गया है, जिसमें शाहदरा जिला हटा दिया गया है
  • नए जिलों के नाम ओल्ड दिल्ली, सेंट्रल नॉर्थ और आउटर दिल्ली शामिल हैं जो प्रशासन को अधिक संगठित बनाएंगे
  • सभी 13 जिलों की सीमाएं दिल्ली नगर निगम, NDMC और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं के समान कर दी गई हैं
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नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली में रहनेवाले कई लोगों का पता अब बदल गया है, क्‍योंकि देश की राजधानी में अब 11 नहीं 13 जिले हो गए हैं. कई इलाकों के जिले बदले गए हैं. शाहदरा में रहने वाले लोगों का पता अब बदल गया है, क्‍योंकि ये जिला अब हटा दिया गया है. मुख्‍यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में दिल्ली के मौजूदा 11 राजस्व जिलों का पुनर्गठन करते हुए 13 नए राजस्व जिलों के गठन को मंजूरी प्रदान की गई. यह निर्णय शासन को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है. जिलों की संख्‍या को लेकर दिल्‍ली में समस्‍या पिछले काफी समय से बनी हुई थी, जिसे रेखा सरकार ने कुछ ही महीनों में दूर कर दिया है.

दिल्‍ली में जो 3 नए जिले शामिल किये गए हैं, वो हैं- ओल्‍ड दिल्‍ली, सेंट्रल नॉर्थ और आउटर दिल्‍ली. नई व्‍यवस्‍था के तहत एक जिला शाहदरा को हटा दिया गया है.  

पहले दिल्ली में 13 राजस्व जिले थे

  1. ओल्‍ड दिल्‍ली
  2. सेंट्रल नॉर्थ 
  3. आउटर दिल्‍ली
  4. सेंट्रल
  5. ईस्ट
  6. न्यू दिल्ली
  7. नॉर्थ
  8. नॉर्थ ईस्ट
  9. नॉर्थ वेस्ट
  10. साउथ
  11. साउथ ईस्ट
  12. साउथ वेस्ट
  13. वेस्ट



दिल्‍ली में 11 से बढ़ाकर क्‍यों किये गए 13 जिले?

मुख्‍यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि जिला प्रशासन किसी भी शासन का केंद्र बिंदु होता है और जनता के जीवन में सरकार की सबसे नज़दीकी इकाई है. दिल्ली की तेज़ी से बढ़ती आबादी, निर्माण गतिविधियों, शहरी विस्तार और नागरिक सेवाओं की जटिलताओं को देखते हुए जिला प्रशासन को और अधिक संगठित, प्रभावी और जवाबदेह बनाना समय की जरूरत था. इसी उद्देश्य से अब दिल्ली में 11 की जगह 13 जिलों का गठन किया जा रहा है.

 

क्रम संख्‍याजिलासब-डिवीजन
1दक्षिण पूर्वजंगपुरा
कालकाजी
बदरपुर
2पुरानी दिल्‍लीसदर बाजार
चांदनी चौक
3उत्‍तरबुराड़ी
आदर्श नगर
बादली 
4नई दिल्‍लीदिल्‍ली कैंट 
नई दिल्‍ली
5मध्‍यपटेल नगर
करोल बाग
6मध्‍य उत्‍तरशकूर बस्‍ती
मॉडल टाउन
शालीमार बाग
7दक्षिण पश्चिमनजफगढ़
मटियाला
द्वारका
बिजवासन
8बाहरी उत्‍तरमुडका
बवाना
नरेला
9उत्‍तर पश्चिमरोहिणी
नांगलाई जाट
किराड़ी
10उत्‍तर पूर्व करावल नगर
गोकल पुरी
यमुना विहार
शाहदरा
11पूर्वगांधी नगर
विश्‍वास नगर
पटपड़गंज 
12दक्षिणछतरपुर
मालवीय नगर
देवली 
महरौली
13पश्चिमविकासपुरी
जनकपुरी
राजौरी गार्डन

 

राजस्व जिलों और नगर निगम की हद अब एक जैसी

मुख्यमंत्री रेखा गुप्‍ता ने बताया कि लंबे समय से दिल्ली के राजस्व जिलों की सीमाएं नगर निगम ज़ोन, NDMC और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं से मेल नहीं खाती थीं. इससे सेवा वितरण में देरी, शिकायतों में भ्रम, भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में कठिनाई और विभिन्न विभागों के क्षेत्रों में असमानता जैसी समस्याएं लगातार खड़ी होती रहती थीं. लेकिन इस कदम के बाद 13 जिलों की सीमाएं पूरी तरह से दिल्ली नगर निगम, NDMC और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं के जैसी ही होंगी, जिससे शासन में स्पष्टता आएगी और विभागों के बीच समन्वय तेज होगा.

13 जिले और 39 सब-डिविजन, सभी जिलों में मिनी सचिवालय

दिल्‍ली के नए जिला ढांचे के तहत 11 जिलों को बढ़ाकर 13 और 33 सब-डिविजन को बढ़ाकर 39 सब-डिविजन किया जा रहा है. इससे अधिकारियों पर कार्यभार संतुलित होगा और नागरिकों को सेवाएं अधिक तेजी से मिलेंगी. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि दिल्ली सरकार सभी 13 जिलों में आधुनिक, बहु-विभागीय ‘मिनी सचिवालय' स्थापित करेगी, जहां नागरिकों को एक ही स्थान पर राजस्व कार्यालय, एसडीएम, एडीएम, तहसील, उप-पंजीयक कार्यालय समेत अनेक सेवाएं उपलब्ध होंगी. उन्होंने कहा कि कई विभागों के दफ़्तर अलग-अलग इमारतों में होने से नागरिकों को भारी असुविधा होती थी. मिनी सचिवालय बनने से सेवाएँ एक ही परिसर में मिलने लगेंगी, समन्वय बढ़ेगा और जिलाधिकारियों द्वारा निगरानी व समीक्षा अधिक प्रभावी हो जाएगी.

सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 होगी

मुख्यमंत्री ने बताया कि संपत्ति पंजीकरण को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 की जा रही है. इन कार्यालयों की सीमाओं को भी सब-डिविजन के साथ पूरी तरह से मेल कराया जाएगा. इसकी वजह से भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन और डिजिटलीकरण में तेजी आएगी. साथ ही नागरिकों को दूर-दूर जाकर पंजीकरण नहीं कराना पड़ेगा. 

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