- दिल्ली सरकार ने 2015 के बाद पहली बार सर्कल रेट रिवाइज करने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है.
- सर्कल रेट रिवाइज होने पर दिल्ली के कमर्शियल और रिहायशी क्षेत्रों में प्रॉपर्टी के दाम और किराए बढ़ सकते हैं.
- राजस्व विभाग ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर स्थानीय निवासियों और संगठनों से सर्कल रेट पर सुझाव मांगे हैं.
राजधानी दिल्ली में जल्द ही प्रॉपर्टी के दाम बढ़ सकते हैं. दरअसल, दिल्ली सरकार सर्कल रेट को रिवाइज करने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है. सर्कल रेट के रिवाइज होने की स्थिति में दिल्ली में कमर्शियल और रिहायशी इलाकों में किराये भी बढ़ जाएंगे. आपको बता दें कि सर्किल रेट को रिवाइज करने की प्रक्रिया के पहले चरण में दिल्ली सरकार ने पब्लिक नोटिस जारी किया है. सरकार सर्कल रेट को बढ़ाने को लेकर सभी पक्षों की इसपर अपनी राय मांग रही है. मिले सुझाव के हिसाब से ही सर्कल रेट को रिवाइज करने का फैसला लिया जाएगा.
2015 के बाद पहली बार हो रही है इसकी समीक्षा
खास बात ये है कि दिल्ली में सरकार 2015 के बाद पहली बार सर्कल रेट को रिवाइज करने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में दिख रही है. राजस्व विभाग की ओर से जारी इस नोटिस में कहा गया है कि यह कदम सूचित दरों को मौजूदा बाजार दरों के अनुरूप लाने और संपत्ति लेन-देन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है. दिल्ली सरकार ने स्थानीय निवासियों, आरडब्ल्यूए, उद्योग संगठनों और संपत्ति मालिकों से 15 दिनों के भीतर अपने सुझाव देने की बात कही है. कोई भी दिल्लीवासी suggestionondelhicirclerates@gmail.com पर जाकर अपना सुझाव दे सकते हैं.
आखिर होता क्या है सर्कल रेट
अगर आपको सर्कल रेट के बारे में बताएं तो ये एक न्यूनतम दर होती है जिसे सरकार जमीन, औद्योगित संपत्तियों, आवासीय की खरीद-बिक्री या ट्रांसफर के लिए तय करती है. आपको बता दें कि दिल्ली में पिछली बार इन दरों में संशोधन फरवरी 2015 में किया गया था. सर्कल रेट को रिवाइज करने को लेकर इसी साल जून में दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक के बाद ही ये तय किया गया था कि दिल्ली में सर्कल रेट को रिवाइज करने के लिए सुझाव मांगे जा सकते हैं, जिनके आधार पर ही इसे बदला जाएगा.
इन 8 कैटेगरी में बांटी जाती है दिल्ली की संपत्तियां
दिल्ली में अलग-अलग संपत्तियों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटी गई है. दिल्ली में पॉश कॉलोनियों को कैटेगरी ए में रखा गया है. ये प्रॉपर्टी सबसे महंगी होती है. इसके बाद जैसे जैसे इलाके के हिसाब से प्रॉपर्टी के दाम कम होते जाते हैं वैसे-वैसे उनकी कैटेगरी भी चेंज की जाती है. दिल्ली में A,B,C,D,E,F,G और H कैटेगरी में संपत्तियों को बांटा गया है. H कैटेगरी की संपत्ति में दिल्ली के गांव और अवैध कॉलोनियां आती हैं. इन कैटेगरी में प्रॉपर्टी का रेट कितना बढ़ेगा ये अभी तय होना है. सरकार फिलहाल सुझाव मिलने के बाद ही नए रेट्स को लेकर किसी तरह का फैसला लेगी.