दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने शुभम सक्सेना नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. शुभम पर 13 करोड़ से ज्यादा की ठगी का आरोप है. शुभम सक्सेना पर आरोप है कि उसने फर्जी विक्रेताओं और फर्मों के खातों के माध्यम से फंड अपने निजी खाते में ट्रांसफर किया. मामले में केस दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार चल रहा था. उसे ग्रेटर नोएडा से पकड़ गया है.
ईओडब्ल्यू के एडिशनल कमिश्नर आर के सिंह के मुताबिक, एल्डेको ग्रुप ऑफ कंपनीज की तरफ से शिकायत मिली थी, जिसमें असिस्टेंट अकाउंट मैनेजर शुभम सक्सेना के खिलाफ कंपनी के फंड के गबन के आरोप लगाए गए थे. आरोप के मुताबिक, फर्जी विक्रेताओं और फर्मों के खातों के माध्यम से फंड को शुभम सक्सेना के निजी खाते ट्रांसफर किया गया.
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि धोखाधड़ी का पता अगस्त के महीने में चला, जब एक भुगतान एक विक्रेता को दो बार ट्रांसफर किया गया. इस मामले को लेकर कंपनी में इंटरनल पूछताछ की गई और यह पता चला कि 2018 के बाद से शुभम सक्सेना ने एल्डेको और उसकी कंपनियों से जुड़ी वास्तविक विक्रेता कंपनियों के नाम से मिलती जुलती कंपनियों के नाम से फर्जी खाता खोलकर करोड़ों रुपये की ठगी की थी. इस तरह कुल 13.65 करोड़ का गबन किया गया.
जांच के दौरान शिकायतकर्ता कंपनी के साथ-साथ बैंकों से दस्तावेज जब्त किए गए. जांच में यह भी पता चला कि सबसे ज्यादा फंड इंटरनेट बैंकिंग के जरिए ट्रांसफर किया गया जिसके लिए शुभम सक्सेना का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी रजिस्टर्ड था.
आरोपी कंपनी में 2009 से अकॉउंट विभाग में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर नौकरी कर रहा था. उसने अपने नाम और अपनी पत्नी और मां के नाम पर तीन फर्में बनाईं. उसने फ़र्ज़ी बिल भी बनाए और इन्हें स्वीकृत करवाया.
आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक, फर्जी वेंडर को पैसे देने के बाद वह दस्तावेजों को नष्ट कर देता था. केस दर्ज होने के बाद से आरोपी फरार था. उसे ग्रेटर नोएडा के घर से गिरफ्तार कर लिया गया है.
जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी ने बड़ी मात्रा में नकद निकाल लिया. आगे आरोपी ने सैलून और मकानों में भी पैसा लगाया. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में 2 फ्लैट, 2 दुकानों की खरीद, हुंडई क्रेटा और मारुति सियाज की खरीद से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए गए. आरोपी ने इग्नू से बीकॉम किया है. वह 2009 में रिटेनरशिप के आधार पर एल्डेको ग्रुप में शामिल हुआ.