इंसानियत की मिसाल! दिल्ली पुलिस ने सड़क पर घूम रही महिला को परिवार से ऐसे मिलवाया

कोर्ट में पेशी के दौरान जज ने SHO सीमापुरी, जांच अधिकारी SI अनुपम और HC अंकुश की सराहना करते हुए कहा कि इन अधिकारियों ने बेहद संवेदनशीलता और लगन से काम करते हुए इस केस को सफलता से संभाला है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
दिल्ली पुलिस ने पेश की इंसानियत की मिसाल.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • दिल्ली पुलिस ने मानसिक रूप से अस्वस्थ गर्भवती महिला को 37 दिन की मेहनत के बाद परिवार से मिलवाया.
  • सीमापुरी थाना पुलिस को 1 सितंबर को महिला बेसहारा हालत में सड़क पर मिली थी, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
  • महिला के परिवार का पता लगाने के लिए पुलिस ने मध्यप्रदेश में गांव-गांव जाकर खोजबीन की थी.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने एकबार फिर इंसानियत मिसाल पेश की है. 37 दिन की कड़ी मेहनत के बाद एक मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला को पुलिस ने उसके परिवार से मिलवा दिया. दोनों एक दूसरे से मिलकर भावुक हो गए. वहीं इस काम के लिए दिल्ली पुलिस की जमकर तारीफ हो रही है. ये काम किया है सीमापुरी थाना पुलिस ने. पुलिस को एक मानसिक रूप से अस्वस्थ और गर्भवती महिला सड़क पर बेसहारा मिली थी. 

ये भी पढ़ें- बिहार NDA में बन गई सीटों पर बात, 101+100+26+7+6, ये रहा सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला

37 दिन की मेहनत के बाद मिली कामयाबी

पुलिस ने महिला को उसके परिवार से मिलवाने के लिए पूरे 37 दिन तक लगातार मेहनत की. आखिरकार 7 अक्टूबर को जब महिला का परिवार उससे IHBAS अस्पताल में मिला, तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं.

कैसे शुरू हुई कहानी?

1 सितंबर को सीमापुरी थाने में एक एक कॉल आई थी कि इलाके में एक गर्भवती महिला बेसहारा हालत में घूम रही है. पुलिस टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया. महिला की उम्र लगभग 21 साल है. जानकारी के मुताबिक, वह मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के रानीखेड़ा गांव की रहने वाली है.

अस्पताल से कोर्ट और फिर इलाज

4 सितंबर को महिला को GTB अस्पताल से डिस्चार्ज कर दियागया, जिसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने महिला को मानसिक स्वास्थ्य जांच के लिए IHBAS अस्पताल भेजने के निर्देश दिए.  इसी दौरान पुलिस टीम ने उसके परिवार को खोजने की जिम्मेदारी संभाली.

परिवार की तलाश में पुलिस का संघर्ष

मुख्य कांस्टेबल अंकुश और कॉन्स्टेबल राज को मध्यप्रदेश भेजा गया. वे गांव-गांव घूमे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. महिला की फोटो और जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया और पंजाब केसरी जैसे अखबारों में प्रकाशित कराई गई, ताकि परिवार उसे पहचान ले. इसी बीच 7 सितंबर को महिला ने IHBAS अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन बच्ची को बचाया नहीं जा सका. 

Advertisement

बागेश्वर धाम से मिला सुराग

पुलिस ने हार नहीं मानी. टीम दोबारा मध्यप्रदेश के बागेश्वर धाम पहुंची, जहां स्थानीय लोगों और भिखारियों ने महिला को पहचान लिया. पुलिस ने वहां पोस्टर लगाए और इलाके के मुखियाओं और पुलिस से संपर्क किया. धीरे-धीरे जानकारी जुड़ती गई और आखिरकार महिला के परिवार का पता चल गया.

37 दिन बाद हुआ भावुक मिलन

7 अक्टूबर 2025 को महिला का परिवार दिल्ली पहुंचा और IHBAS अस्पताल में उससे मिला. कोर्ट में पेशी के दौरान जज ने SHO सीमापुरी, जांच अधिकारी SI अनुपम और HC अंकुश की सराहना करते हुए कहा कि इन अधिकारियों ने बेहद संवेदनशीलता और लगन से काम करते हुए इस केस को सफलता से संभाला है. पुलिस की ऐसी कोशिशें समाज में भरोसा बढ़ाती हैं.

Advertisement

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पुलिस सिर्फ अपराधियों को पकड़ने का ही काम नहीं करती, बल्कि मानवता और संवेदनशीलता के साथ समाज की सेवा भी करती है.

Featured Video Of The Day
Pawan Singh का टिकट Jyoti की वजह से कटा? | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon | PK
Topics mentioned in this article