अप्रैल और मई 2021 ये दो महीने ऐसे थे जब देश में कोरोना (Covid-19) ने तांडव मचाया हुआ था. इस दौरान देश मे 1,66,632 लोगों की आधिकारिक रूप से कोरोना से जान गई, लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि सिर्फ़ 645 बच्चे ही पूरे देश मे ऐसे थे, जिनके माता-पिता की जान कोरोना से गई. केंद्र सरकार ने संसद में जो जवाब दिया है उसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों आंकड़े दिए गए हैं. इसमें देश की राजधानी दिल्ली के बारे में बताया गया है कि यहां केवल एक ही बच्चा ऐसा था, जिसने अपने माता-पिता को इन दो महीनों में कोरोना के चलते खो दिया. दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के इस दावे का खंडन कर रही है और बता रही है कि उसके पास अभी 70 ऐसे मामले आ चुके हैं. दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से बात की हमारे संवाददाता शरद शर्मा ने.
दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि केंद्र सरकार की यह जानकारी बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं है, गलत है. 645 वह पूरे देश के लिए बोल रहे हैं, लेकिन 1,000 तो अकेले उत्तर प्रदेश में होंगे. दिल्ली में हम अभी 70 ऐसे मामलों की पहचान कर चुके हैं जिनके माता-पिता दोनों चले गए (ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा, क्योंकि डेटा कलेक्शन चल रहा है). मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार आर्थिक सहायता योजना में 850 लोगों ने एकमुश्त मुआवजा(₹50,000) के लिए आवेदन किया है जबकि 1000 लोगों ने ₹2500 की मासिक मदद के लिए आवेदन दिया है. केंद्र सरकार ने हमसे अभी तक ऐसा कोई डाटा नहीं मांगा और न ही हमने केंद्र सरकार को दिया है.
बता दें कि इससे पहले ऑक्सीजन से हुई मौतों पर केंद्र के संसद में दिए बयान की काफी आलोचना हुई है. कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में सवाल पूछा था कि क्या कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बहुत सारे कोविड मरीज़ों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम तोड़ दिए? इसके लिखित जवाब में नव नियुक्त केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण कुमार ने कहा, "स्वास्थ्य राज्य का विषय है. मौत की रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय को रेगुलर बेसिस पर मुहैया कराते हैं. राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है."