GRAP के बीच कंस्ट्रक्शन मजदूरों की मुश्किलें, 10 हजार की मदद के लिए क्यों लग रही हैं लंबी कतारें?

दिल्ली सरकार की ओर से आर्थिक मदद का ऐलान जरूर हुआ है और कुछ मजदूरों तक इसका लाभ पहुंचा भी है, लेकिन ज्यादातर मजदूर अब भी कभी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं तो कभी फोन घुमा रहे हैं.

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दिल्ली में प्रदूषण के चलते इस वक्त GRAP-4 लागू है. इससे पहले GRAP-3 (11 से 26 नवंबर) और अब GRAP-4 (13 दिसंबर से लागू) के तहत सभी तरह के कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक है. इन पाबंदियों का सबसे ज्यादा असर उन दिहाड़ी और निर्माण मजदूरों पर पड़ा है, जिनकी रोज़ी-रोटी रोज के काम पर निर्भर करती है. काम ठप होने से प्रभावित मजदूरों को राहत देने के लिए दिल्ली सरकार ने एकमुश्त 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया था. लेकिन यह मदद जमीनी स्तर पर किस हद तक पहुंची है, इसी की पड़ताल के लिए NDTV की टीम दिल्ली के करमपुरा स्थित लेबर वेलफेयर ऑफिस पहुंची.

दफ्तर खुलने से पहले ही लंबी कतारें

करमपुरा लेबर वेलफेयर ऑफिस के बाहर सुबह 9 बजे से ही मजदूरों की लंबी लाइनें लगनी शुरू हो गईं, जबकि दफ्तर का आधिकारिक समय सुबह 10 बजे है. बंद दरवाजों के बाहर बड़ी संख्या में महिला और पुरुष मजदूर इंतजार करते नजर आए. लाइन में खड़े ज्यादातर मजदूरों के हाथों में लेबर पहचान पत्र और आधार कार्ड थे. कुछ को वेरिफिकेशन के लिए फोन कॉल मिले थे, तो कुछ के पास मैसेज पहुंचे थे.

मदद से पहले सबूत देना जरूरी

यहां मजदूरों को यह साबित करना पड़ रहा है कि GRAP लागू होने के वक्त वे किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे थे, जो अब बंद हो चुकी है. वेरिफिकेशन के दौरान उनसे ठेकेदार का नाम, कंस्ट्रक्शन साइट का पता, ठेकेदार का फोन नंबर और काम बंद होने से जुड़ी अन्य जानकारियां मांगी जा रही हैं. 

फिलहाल GRAP-3 (11 से 26 नवंबर) के दौरान काम बंद होने से प्रभावित मजदूरों का ही वेरिफिकेशन किया जा रहा है. GRAP-4 (13 दिसंबर से लागू) के तहत प्रभावित मजदूरों की प्रक्रिया में अभी समय लगने की बात कही जा रही है.

मजदूरों का सवाल: लेबर कार्ड है तो दोबारा जांच क्यों?

लाइन में खड़े कई मजदूरों का कहना है कि जब उनका लेबर कार्ड पहले से बना हुआ है और हर साल उसका नवीनीकरण भी कराया जाता है, तो फिर दोबारा वेरिफिकेशन की जरूरत क्यों पड़ रही है.

कितने मजदूर, कितना वेरिफिकेशन?

लेबर ऑफिस में कार्यरत प्रिंस के मुताबिक, करमपुरा लेबर वेलफेयर ऑफिस के अंतर्गत 58 हजार से ज्यादा रजिस्टर्ड मजदूर हैं. इनमें से अब तक करीब 15 हजार मजदूरों का ही वेरिफिकेशन हो पाया है, जबकि बाकी के लिए प्रक्रिया अभी जारी है.

यूनियन का आरोप

सम्पूर्ण दिल्ली भवन निर्माण मजदूर यूनियन एसोसिएशन के महासचिव विकास शर्मा का कहना है कि दोबारा वेरिफिकेशन का कोई औचित्य नहीं है. उनके मुताबिक, इससे मजदूरों का बेवजह शोषण हो रहा है. विकास शर्मा का दावा है कि बहुत कम मजदूरों के खातों में ही यह पैसा पहुंचा है. उनके अनुसार, सरकारी ऐलान अपनी जगह है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

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लेबर ऑफिस का पक्ष

श्रम कल्याण दफ्तर में काम करने वाले अनुराग ने बताया कि फिलहाल GRAP-3 के दौरान बंद हुए कामों से प्रभावित मजदूरों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है और जल्द ही GRAP-4 के तहत प्रभावित मजदूरों के लिए भी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस योजना के दायरे में प्लंबर, वेल्डर और इलेक्ट्रीशियन शामिल नहीं हैं.

ऐलान और इंतजार के बीच मजदूर

दिल्ली सरकार की ओर से आर्थिक मदद का ऐलान जरूर हुआ है और कुछ मजदूरों तक इसका लाभ पहुंचा भी है, लेकिन ज्यादातर मजदूर अब भी कभी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं तो कभी फोन घुमा रहे हैं. रोज कमाने-खाने वाले इन मज़दूरों के लिए प्रदूषण एक समस्या है, लेकिन उससे भी बड़ी परेशानी काम बंद होने से घर चलाने के लिए पैसों की कमी है. कई मजदूरों ने उधार लेने तक की मजबूरी की बात कही.

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CHD ने उठाए सिस्टम पर सवाल

सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (CHD) ने निर्माण मजदूरों की परेशानियों को लेकर दिल्ली सरकार के श्रम मंत्रालय को एक चिट्ठी भी लिखी है. CHD के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुनील कुमार अलेडिया का कहना है कि मजदूर सिर्फ़ जहरीली हवा से ही नहीं, बल्कि एक जटिल और बोझिल वेलफेयर सिस्टम से भी परेशान हैं.

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