दिल्ली चुनाव से पहले मेट्रो में 50 फीसदी रियायत की ये पॉलिटिक्स समझिए...

Arvind Kejriwal Metro Politics: अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले हर वर्ग को खुश करने में लगे हुए हैं. यहां जानिए मेट्रो, जाट और महिलाओं को लेकर उनकी रणनीति....

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Arvind Kejriwal Metro Politics: अरविंद केजरीवाल के लिए ये चुनाव सबसे कड़ा माना जा रहा है.

Arvind Kejriwal Metro Politics: दिल्ली में चुनाव का माहौल है. अरविंद केजरीवाल अब तक की अपनी सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. लिहाजा, वो हर तरह के वादे कर रहे हैं. साथ ही हर तरीके से अपने विरोधियों पर हमले कर रहे हैं. भाजपा पर तो निशाना साध ही रहे हैं, इंडिया गठबंधन में शामिल अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को भी नहीं छोड़ रहे. यहां तक की कांग्रेस पर ही भाजपा के साथ मिलीभगत करने और उसके प्रत्याशियों पर भाजपा के फंड से चुनाव लड़ने तक का आरोप लगा रहे हैं.

आंकड़ों से समझें दिल्ली की राजनीति 

  • दिल्ली में कुल वोटर्स 1,55,37,657
  • पुरुष वोटर्स 83,49,645
  • महिला वोटर्स 71,73,952
  • 18-19 साल के वोटर्स 2,08,302
  • जाट वोटर्स करीब 15,53,765

मोहन भागवत के बाद पीएम मोदी

आरएसएस सरसंघचालक को चिट्ठी लिखने के बाद अब अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में आम आदमी पार्टी (AAP) संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पीएम मोदी (PM Modi) से छात्रों को मेट्रो किराए (Metro Fare) में 50% छूट देने की मांग की है.  अब ऐसे में सवाल उठता है कि अरविंद केजरीवाल ने अब तक ऐसी चिट्ठी क्यों नहीं लिखी थी? तो कारण साफ है कि अभी चुनाव है. 18-19 साल के कुल वोटर्स 2,08,302 हैं. अगर केंद्र सरकार इस पर कोई एलान नहीं करती तो केजरीवाल रैलियों में दावे करेंगे कि वो तो छात्रों के लिए छूट की मांग कर रहे हैं, मगर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर रही. ऐसे में ये वोटर केजरीवाल को सपोर्ट कर देंगे.

जाट वोटरों पर भी नजर 

इसी तरह नई दिल्ली विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अपने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतारा तो अरविंद केजरीवाल को जाट आरक्षण याद आ गया. उन्होंने कहा कि दिल्ली के जाट समाज के साथ बीजेपी ने बहुत बड़ा धोखा किया है. दिल्ली सरकार की ओबीसी लिस्ट में जाट समाज आता है, लेकिन केंद्र सरकार की दिल्ली में ओबीसी लिस्ट में जाट समाज नहीं आता. दरअसल, दिल्ली में जाट वोटर्स की संख्या लगभग 10 प्रतिशत मानी जाती है. दिल्ली की कई ग्रामीण सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक माने जाते हैं. दिल्ली की 8 ऐसी सीटें हैं, जो जाट बहुल हैं. इन सीटों पर हार और जीत जाट मतों से तय होता रहा है. जाट बहुल 8 सीटों में से 5 पर अभी आम आदमी पार्टी का कब्जा रहा है. वहीं तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. प्रवेश वर्मा के विधानसभा चुनाव में उतरने से समीकरण गड़बड़ाते देख केजरीवाल ने ये आरोप जड़ दिए थे.

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महिलाओं पर हो रहा आर-पार

इसी तरह जाटों और छात्रों के साथ ही दिल्ली में महिला वोटर्स की अहम भूमिका है. 2020 के चुनाव में जहां पुरुषों का मतदान 62.6% था वहीं 62.5% महिलाओं ने वोट डाला. दोनों का अंतर घटकर सिर्फ 0.1 रह गया. इसी को देखते हुए चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल ने  'महिला सम्‍मान योजना' की घोषणा कर महिलाओं के रजिस्ट्रेशन करना भी शुरू कर दिया. ये रजिस्ट्रेशन दिल्ली सरकार की तरफ से न होकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता करने लगे. महिलाओं को बताया गया कि अगर केजरीवाल की सरकार बनी तो दिल्ली की सभी महिलाओं को 21,00 रुपये महीने देंगे. अब इस पर बीजेपी-कांग्रेस की शिकायत के बाद एलजी ने जांच के आदेश दे दिए हैं. जाहिर है, केजरीवाल ज्यादा से ज्यादा वोटबैंक को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं.

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