- दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच क्लाउड सीडिंग तकनीक का ट्रायल शुरू होगा.
- IIT कानपुर की देखरेख में हिंडन एयरबेस से सेना विमान द्वारा उत्तरी दिल्ली में रासायनिक छिड़काव किया जाएगा.
- परियोजना पर दिल्ली सरकार लगभग ₹3.21 करोड़ खर्च कर रही है, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए अब कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जाएगा. नागर विमानन मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को क्लाउड सीडिंग की अनुमति दे दी है, जिसके बाद यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच कभी भी शुरू हो सकती है. आईआईटी कानपुर की देखरेख में यह ट्रायल किया जाएगा. क्लाउड सीडिंग के लिए सना विमान का इस्तेमाल होगा, जो गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से उड़ान भरेगा और उत्तरी दिल्ली के ऊपर रासायनिक छिड़काव करेगा. इस पूरी परियोजना पर दिल्ली सरकार करीब ₹3.21 करोड़ खर्च कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है.
कृत्रिम बारिश पर पर्यावरण मंत्री ने क्या बताया?
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कुछ शर्तों के साथ क्लाउड सीडिंग की अनुमति मिल चुकी है. यह तकनीक दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, चीन और यूएई में सूखे से निपटने और प्रदूषण कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. पहले यह ट्रायल जुलाई में होना था, लेकिन मौसम की अनुकूल स्थिति न होने के कारण इसे टाल दिया गया था.
दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए होने वाली क्लाउड सीडिंग परियोजना की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को दी गई है.यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से उनकी निगरानी में पूरी की जाएगी.
ऐसे होगी क्लाउड सीडिंग(कृत्रिम बारिश)
- इस परियोजना में कुल 5 ट्रायल उड़ानें होंगी. हर उड़ान 90 मिनट की होगी और 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगी. फिलहाल, यह ट्रायल उत्तरी दिल्ली के इलाके में होगा.
- क्लाउड सीडिंग के लिए एक खास सेसना विमान को तैयार किया गया है. यह विमान हवा में नैनो सिल्वर आयोडाइड और नमक का मिश्रण छोड़ेगा, जिससे कृत्रिम बारिश संभव हो पाएगी.
क्लाउड सीडिंग की मुख्य शर्तें
- अगर किसी भी नियम का उल्लंघन होता है, तो इसकी सूचना तत्काल नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को देनी होगी.
- विमान के क्रू में कोई भी विदेशी नागरिक नहीं होगा
- क्लाउड सीडिंग के दौरान किसी भी तरह की एरियल वीडियोग्राफी (हवाई वीडियो रिकॉर्डिंग) नहीं की जाएगी
- यह प्रक्रिया केवल उसी इलाके तक सीमित रहेगी, जिसके लिए अनुमति दी गई है
- क्लाउड सीडिंग के दौरान उस क्षेत्र में अन्य सभी उड़ानों को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा