AAP नेता सोमनाथ भारती ने जीतनराम मांझी को उनके बयान को लेकर भेजा कानूनी नोटिस

सोमनाथ भारती ने कहा कि जीतनराम मांझी सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से, बिना किसी शर्त के माफी मांगें और भविष्य में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करने का लिखित भरोसा दें. नहीं तो उन पर आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की जाएगी.

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  • सोमनाथ भारती ने जीतनराम मांझी को उनके सांसद और विधायक वर्ग पर लगाए गए आरोपों पर कानूनी नोटिस भेजा है
  • केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा है कि सभी सांसद और विधायक कमीशन लेते हैं.
  • सोमनाथ भारती ने मांझी के बयान को लोकतंत्र पर हमला बताया और बिना सबूत के आरोप लगाने को मानहानि का मामला कहा है
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नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी को उनके बयान पर कानूनी नोटिस भेजा है. उन्होंने कहा कि मांझी के बयान भ्रष्टाचार को उजागर नहीं करते, बल्कि उसे सामान्य बना देते हैं. जब सबको ही चोर कह दिया जाए, तो फिर असली चोर और ईमानदार के बीच फर्क ही खत्म हो जाता है. यही सोच लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक होती है. एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती.

दरअसल जीतन राम मांझी ने गयाजी में रविवार को कहा था कि सभी सांसद और विधायक कमीशन लेते हैं. सांसद को 5 करोड़ रुपये योजना के लिए मिलता है. अगर 10 प्रतिशत कमीशन मिलता है तो 40 लाख रुपया हो जायेगा. हमने खुद अपनी पार्टी को ऐसे कई दफा कमीशन का पैसा दिया है. हमने कहा था कि इन पैसों से गाड़ी खरीद लो.

सोमनाथ भारती ने कहा कि मांझी ने सार्वजनिक मंच से यह कह दिया कि हर सांसद और विधायक कमीशन खाता है. यह बात सुनने में भले ही कुछ लोगों को तालियों के लायक लगे, लेकिन असल में यह पूरे लोकतंत्र पर सीधा हमला है. देश में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को बिना किसी सबूत के चोर कह देना न तो ईमानदारी है और न ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई लड़ाई. यह सिर्फ एक हल्का-फुल्का बयान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की साख पर चोट है.

उन्होंने कहा कि कानूनी नोटिस में यह बात स्पष्ट की गई है कि पूरे सांसद-विधायक वर्ग पर लगाया गया यह आरोप मानहानि की श्रेणी में आता है. कानून पहले से तय है कि बिना तथ्य और बिना जांच किसी पहचान योग्य समूह को अपराधी बताना गलत है. अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह नहीं होता कि कोई भी कुछ भी कह दे और जिम्मेदारी से बच जाए. बोलने की आज़ादी के साथ जवाबदेही भी जुड़ी होती है.

सोमनाथ भारती ने मांझी से कहा है कि वे सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से, उसी माध्यम से, बिना किसी शर्त के माफी मांगें, अपने बयान को वापस लें और भविष्य में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करने का लिखित भरोसा दें. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी हर्जाने की मांग भी शामिल होगी. यह कोई धमकी नहीं, बल्कि कानून का सीधा और साफ रास्ता है.

आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले पर एक बड़ा सवाल भी उठाया है. क्या भाजपा सरकार के मंत्री अब पूरे संसद और विधानसभाओं को ही कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं? क्या ऐसे बयान जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी और असल मुद्दों से हटाने का तरीका नहीं हैं? पार्टी का कहना है कि जवाबदेही जरूरी है, लेकिन झूठे और अपमानजनक आरोपों की कोई जगह लोकतंत्र में नहीं हो सकती.

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