दिल्ली में 15 साल पुराने वाहनों को तेल नहीं, लेकिन जुगाड़बाजों का तोड़ क्या है?     

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने किया है ऐलान. 1 अप्रैल से 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को दिल्ली में नहीं मिलेगा तेल. सरकार का कहना है कि प्रदूषण कम करने के लिए ये फैसला लिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins

दिल्ली में 15 साल पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा तेल

नई दिल्ली:

दिल्ली की बीजेपी सरकार ने राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. दिल्ली सरकार ने ये तय किया है कि आगामी 1 अप्रैल से 15 साल पुराने वाहनों को राजधानी में पेट्रोल या डीजल (डीजल के वाहनों पर 10 साल की समय सीमा है)  नहीं मिलेगा. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शनिवार को कहा कि इस फैसले की जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय को जल्द ही दे दी जाएगी. हम पेट्रोल पंपों पर गैजेट लगा रहे हैं ताकि जो वाहन 15 साल से ज्यादा पुराने हैं उनकी पहचान हो सके. जो वाहन 15 साल से ज्यादा पुराने हैं उन्हें पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा. पर्यावरण मंत्री के इस ऐलान के बाद अब दिल्ली की आम जनता के मन कई तरह के सवाल हैं. आज हम इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे. 

क्या है सरकार का नया फैसला

  • दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए लिया है ये फैसला.
  • सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को पेट्रोल ना देने का ऐलान किया है.
  • 1 अप्रैल से लागू होगा ये नया नियम.
  • दिल्ली में ऐसे कुल 500 पेट्रोल पंप चिन्हित किए हैं. 
  • पेट्रोल पंप पर लगे उपकरण पता लगाएंगे कौन सी गाड़ियां 15 साल से ज्यादा पुरानी हैं. 

प्रश्न: क्या तेल न देने से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का समाधान हो जाएगा?

सरकार के इस ऐलान के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 15 साल पुलाने वाहनों को तेल ना देने भर से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का समाधान हो जाएगा. आपको बता दें कि दिल्ली में पेट्रोल और डीजल से चलने वाला गाड़ियों की संख्या करीब 55 लाख है. इनमें से 66 फीसदी वाहन दोपहिया जबकि 54 फीसदी चारपहिया हैं.दिल्ली के प्रदूषण में गाड़ियों और औद्योगिक यूनिट्स, लगातार हो रहे निर्माण कार्य, 24 घंटे जलने वाले कचरे के पहाड़, एयर कंडिशनर और थर्मल प्लांट्स का योगदान सबसे ज्यादा है. ऐसे में सिर्फ पुरानी गाड़ियों को बंद कर देने भर से प्रदूषण के स्तर में कितना सुधार होगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. 

प्रश्न: क्या जुगाड़बाज इसका तोड़ नहीं निकाल लेंगे?

दिल्ली,NCR के शहरों से चारों तरफ से घिरा हुआ है. दिल्ली का बॉर्डर हरियाणा में फरीदाबाद और गुरुग्राम से जबकि यूपी में नोएडा और गाजियाबाद से लगती हैं. ये बॉर्ड्स हमेशा खुले रहते हैं. ऐसे में जिन वाहनों को दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल नहीं मिलेगा वो क्या आसपास के शहरों में जाकर तेल नहीं भरवा लेंगे. सरकार ने ऐसे लोगों को रोकने के लिए क्या हरियाणा और उत्तर प्रदेश के इन शहरों के पेट्रोल पंपों को भी कोई निर्देश दिए हैं. या ऐसी कोई तैयारी है. बगैर ऐसी व्यवस्था किए दिल्ली में पुराने वाहनों के चलने पर रोक कैसे लगाई जा सकती है? 

Advertisement

वीडियो: दिल्ली में 15 साल पुराने वाहनों पर लगेगा बैन, नहीं मिलेगा तेल

प्रश्न: कहीं तेल की कालाबाजारी तो नहीं बढ़ेगी?

दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर 15 साल पुराने वाहनों को तेल ना देने की घोषणा के बाद अब ये बड़ा सवाल है कि ऐसे वाहन कहां से तेल भरवाएंगे. और कहीं ऐसा तो नहीं है कि पेट्रोल पंप से तेल ना दिए जाने का फायदा वो लोग उठा लें जो तेल की कालाबाजारी करते हैं. सरकार को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई ऐसा ना करे. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो जिस मकसद के साथ इन गाड़ियों को बंद करने का ऐलान किया जा रहा है वो पूरा नहीं हो पाएगा. 

Advertisement

प्रश्न: पेट्रोल पंपों पर 15 साल वाली गाड़ियों की पहचान कैसे होगी?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 15 साल से पुराने वाहनों को पेट्रोल ना देने का ऐलान जैसे ही किया उसके साथ ही आम जनता के मन में एक सवाल भी दौड़ने लगा कि आखिर ऐसे वाहनों की पहचान कैसे होगी. हालांकि, मंत्री जी ने वाहनों की पहचान कैसे की जाएगी, ये भी साफ कर दिया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के तमाम पेट्रोल पंप पर एक खास तरह का उपकरण लगाने जा रहे हैं जो पंप पर आने वाले 15 साल से ज्यादा के वाहनों की पहचान करेगी. एक बार जैसे ही इन वाहनों की पहचान हो जाएगी उसके बाद संबंधित पेट्रोल पंप पर उस वाहन में तेल नहीं भरा जाएगा. दिल्ली में ऐसे 500 पेट्रोल पंप की पहचान की गई है. 

Advertisement

प्रश्न: पेट्रोल पंप पर लगने वाला आवेग सिस्टम क्या है, जो पुराने वाहनों की भी पहचान करेगा?

दिल्ली में 15 साल से पुराने वाहनों की पहचान के लिए आवेग सिस्टम की मदद ली जाएगी, अब सवाल ये है कि आखिर ये सिस्टम होता क्या है और काम कैसे करता है? आपके बता दें कि ये एक ऐसा सिस्टम होता है जिसकी मदद से आप किसी वाहन के बारे में कई अहम जानकारियां जुटा सकते हैं. जैसे कि वह वाहन कब बना था और वह बीते कितने सालों से सड़क पर है. इस सिस्टम की ही मदद से अब दिल्ली सरकार पुराने वाहनों की पहचान करने की तरफ आगे बढ़ रही है. 

Advertisement

प्रश्न: 15 साल पुराने वाहनों पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आदेश का उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? 

शामभवी शुक्ला ने TOI से कहा कि 15 साल से ज्यादा के वाहनों को बैन करने का फैसला स्वागत योग्य है. ये तमाम वो वहान हैं जो पुरानी तकनीक पर आधारित हैं. और इनकी वजह प्रदूषण ज्यादा फैलता है. लेकिन सिर्फ पुराने वाहनों को हटाने से ही बात नहीं बनेगी. जो गाड़ियां 15 साल से पहले की हैं उन्हें भी मेंटेन रखना बेहद जरूरी है. उनकी फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा. अगर ऐसा नहीं किया गया तो वो गाड़ियां समय से पहले ही प्रदूषण ज्यादा फैलाने लगेंगी. वहीं, राजीव मिश्रा ने सरकार के इस फैसले पर बात करते हुए TOI से कहा कि ऐसे वाहनों को चिन्हिंत करने के लिए वाहनों के माइलेज, मेंटेनेंस और उनसे कितना प्रदूषण फैल रहा है, इसे मानक बनाया जाना चाहिए. सिर्फ ये देख लेना कि कौन सा वाहन 15 साल पुराना है ये काफी नहीं है.  

गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को लेकर 'TERI' ने क्या कुछ कहा था?

दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कुछ समय पहले TERI यानी द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट ने अपनी एक रिपोर्ट दी थी. इस रिपोर्ट में उन कारकों का खास तौर पर जिक्र किया गया था, जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या एक जटिल समस्या में बदल चुकी है. TERI की रिपोर्ट में ऐसे 5 कारणों के बारे में बताया गया था. इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण था वाहनों से निकलने वाला धुआं. बताया गया था कि गाड़ियों से निकलने वाला धुआं पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व में करीब 47 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है. 

Topics mentioned in this article