दिल्ली में झंडा कौन फहराएगा? मनीष सिसोदिया से लेकर आतिशी और गोपाल राय तक ने क्या कहा?

Delhi Flag Hoisting Row : आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर उपराज्यपाल वीके सक्सेना को निशाने पर लिया है. इस बार विवाद है कि दिल्ली में झंडारोहण कौन करेगा? जानिए, क्या है मामला

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Delhi Flag Hoisting Row : जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने फैसला किया है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर मंत्री आतिशी (Atishi) राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगी. हालांकि, इस पर विवाद हो गया है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Saxena) के अधीन सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने केजरीवाल के फैसले को "अमान्य" करार दिया है और कहा है कि झंडा कौन फहराएगा, इस पर अभी निर्णय होने का इंतजार है. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) की प्रतिक्रिया को "ओछी राजनीति" बताया है और कहा है कि अगर एक निर्वाचित मंत्री झंडा फहराता है तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.

क्या है मामला?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने हाल ही में मुख्यमंत्री केजरीवाल से मुलाकात की थी. केजरीवाल दिल्ली की अब खत्म हो चुकी शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में तिहाड़ जेल में हैं. अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद गोपाल राय ने जीएडी को केजरीवाल के फैसले से अवगत कराया और उनके स्थान पर आतिशी मार्लेना द्वारा झंडा फहराने की व्यवस्था करने को कहा. हालांकि, जीएडी ने कहा कि केजरीवाल अपनी ओर से आतिशी को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए अधिकृत नहीं कर सकते. गोपाल राय के पत्र के जवाब में, जीएडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन कुमार चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री का निर्देश "कानूनी रूप से अमान्य है और इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती." अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भी पत्र लिखा था, लेकिन एलजी के कार्यालय ने कहा कि उन्हें कोई पत्र नहीं मिला है. तिहाड़ जेल अधिकारियों ने बाद में केजरीवाल को बताया कि उनका पत्र दिल्ली जेल नियमों के तहत उन्हें दिए गए "विशेषाधिकारों का दुरुपयोग" था और इसीलिए उनका पत्र एलजी को नहीं भेजा गया था.

जीएडी का क्या है तर्क?

जीएडी ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस सर्वोच्च संवैधानिक पवित्रता वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम हैं और इसमें किसी तरह की कमी न केवल उसकी पवित्रता को कमजोर करेगी, बल्कि वैधानिक अवैधता भी हो सकती है. इसमें कहा गया है, ''स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को उनके कद के अनुरूप मनाने के लिए विस्तृत प्रावधान हैं, जिसके वे हकदार हैं.'' इसमें कहा गया है कि कोई अन्य प्राधिकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री की जगह नहीं भर सकता. जीएडी ने कहा कि वह छत्रसाल स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर रहा है और मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति का मामला उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाया गया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "मुद्दा उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है और फैसले का इंतजार है."

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सिसोदिया और आतिशी ने क्या कहा?

दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत पर बाहर चल रहे आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia)ने जीएडी के इस फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा, "एक निर्वाचित मंत्री के झंडा फहराने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. मैंने अखबारों में पढ़ा है कि जब कोई ठग सुकेश पत्र लिखता है, तो तिहाड़ प्रशासन उसे विधिवत उपराज्यपाल के कार्यालय में जमा कर देता है. एलजी भी तुरंत उस पर कार्रवाई करते हैं. लेकिन, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री पत्र लिखते हैं, तो एलजी तिहाड़ प्रशासन से कहते हैं कि केजरीवाल के पत्र उनके पास न भेजें. उपराज्यपाल कार्यालय को तिहाड़ जेल महानिदेशक कार्यालय से मुख्यमंत्री केजरीवाल का पत्र भेजने के लिए कहना चाहिए था, लेकिन उन्हें आजादी या देश से कोई लेना-देना नहीं है. सुकेश जैसे लोग उन्हें प्यारे हैं." वहीं आतिशी ने मीडिया से कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली की चुनी हुई सरकार को झंडा फहराने से रोक रहे हैं. इससे बड़ी तानाशाही क्या हो सकती है? हमें देखना होगा कि बीजेपी लोकतंत्र के साथ खड़ी है या तानाशाही के साथ?

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