'द कुंज'- दिल्ली में भारत की कला और क्राफ्ट का नया ठिकाना

द कुंज में परंपरा और आधुनिकता का संगम है. कला को महसूस करें, कलाकारों से जुड़ें और भारतीय शिल्प की आत्मा को अपने साथ लेकर जाएं.

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  • केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने दिल्ली में ‘द कुंज’ नामक हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट मंच का शुभारंभ किया
  • इस पहल से करीब एक करोड़ कारीगर जुड़कर अपनी कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का अवसर प्राप्त करेंगे
  • ‘द कुंज’ मंच पर ग्राहक सीधे कारीगरों से मिलकर उनकी कला और कहानियों को नजदीक से समझ सकेंगे
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नई दिल्ली:

दिल्ली के वसंत कुंज, नेल्सन मंडेला मार्ग पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘द कुंज' का शुभारंभ किया. ये अनोखा मंच भारत के हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट की समृद्ध परंपराओं को दुनिया के सामने लाने का की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. मंत्री ने कहा, “करीब एक करोड़ कारीगर इस पहल से जुड़कर लाभान्वित होंगे. मकसद है कारीगरों को गांव से ग्लोबल तक ले जाना.”

‘द कुंज' क्यों है खास?

  • सीधा कारीगर से जुड़ाव – ग्राहक कलाकारों से सीधे मिल सकेंगे, उनकी कहानियां सुन सकेंगे
  • वर्कशॉप्स और अनुभव – शिल्प को नज़दीक से समझने और सीखने का अवसर

देशभर की कलाओं का संगम

  • भदोही के कालीन
  • खुर्जा की पॉटरी
  • बिहार की मधुबनी पेंटिंग्स
  • पारंपरिक साड़ियाँ
  • झारखंड के बैंबू लैंप्स
  • सिर्फ़ ख़रीदारी नहीं, एक अनुभव

यहां परंपरा और आधुनिकता का संगम है. कला को महसूस करें, कलाकारों से जुड़ें और भारतीय शिल्प की आत्मा को अपने साथ लेकर जाएं. इस अवसर पर मशहूर फिल्मकार मुज़फ्फर अली भी मौजूद रहे, जिन्होंने इसे भारतीय कला का उत्सव बताया और कहा ये एक बढ़िया शुरुआत है. ‘द कुंज'- जहां हर धागा, हर रंग, हर आकृति भारत की आत्मा से आपका परिचय कराती है.

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