पश्चिमी अफ्रीकी देशों में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की पॉपुलैरिटी को देखते हुए नाइजीरिया और घाना जैसी दो बड़ी अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अब अपनी खुद की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) लाने की तैयारी में हैं. दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों ने विदेशी फाइनेंशियल टेक कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत वो अपनी करेंसी का डिजिटल वर्जन तैयार करेंगी. नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, यह देश अपनी करेंसी नैरा (Naira) का डिजिटल वर्जन ई-नैरा (e-Naira) इसी 1 अक्टूबर को ला रहा है. वहीं घाना इस महीने से अपनी करेंसी का डिजिटल वर्जन e-Cedi का ट्रायल शुरू कर रहा है.
नाइजीरिया में बैंकों पर क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन करने पर बैन लगा हुआ है, इसके बावजूद वहां लोगों में क्रिप्टो निवेश को लेकर पॉपुलैरिटी बढ़ी ही है, क्योंकि लोग कमजोर होती नैरा करेंसी, बेरोजगारी और खर्चीले रहन-सहन का खर्च उठाने के लिए इसपर निर्भर हो रहे हैं. लागोस में स्थित इन्वेस्टमेंट फर्म Chapel Hill Denham के रिटेल इन्वेस्टमेंट के हेड आयोदेजी ईबो ने कहा कि 'नाइजीरियाई क्रिप्टो में स्टोर वैल्यू को ऊपर रखते हुए इसमें निवेश कर रहे हैं, ये फंड वो देश के बाहर ले जाना चाहते हैं.'
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डिजिटल पेमेंट्स, क्रिप्टोकरेंसी और निजी तौर पर जारी की जा रही स्टेबलकॉइन्स के ग्रोथ को देखते हुए दुनिया भर के कई देशों के केंद्रीय बैंक वर्चुअल मनी को लीगल टेंडर बनाने के तरीके ढूंढ रहे हैं. केंद्रीय बैंकों के समर्थन से जारी की जाने वाली डिजिटल करेंसी (CBDCs) और क्रिप्टोकरेंसी दोनों ही वर्चुअल मनी हैं, लेकिन इसमें फर्क है ये कि CBDCs को सेंट्रल बैंक जारी करते हैं और इनकी इसपर अथॉरिटी होती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी सरकारी कंट्रोल से बाहर होती हैं.
अमेरिकी थिंक टैंक Atlantic Council के CBDC ट्रैकर के मुताबिक, अपनी डिजिटल करेंसी का ट्रायल लाने वाले चीन पिछले साल ही पहला देश बन चुका है. तबसे पांच और देश हैं, जिन्होंने अपनी डिजिटलीकरण करेंसी जारी की है. केन्या, दक्षिण अफ्रीका और रवांडा जैसे देश भी हैं, जो CBDCs के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, लेकिन नाइजीरिया और घाना जैसे देश हैं, जो इस प्रक्रिया में काफी आगे पहुंच चुके हैं.