Cryptocurrency Jargon: माइनिंग, व्हेल, ब्लॉकचेन; समझिए क्रिप्टो की दुनिया के शब्दों के मतलब

क्रिप्टो में निवेश करने में दिलचस्पी है, लेकिन अब-तब फेर में हैं तो भी आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप क्रिप्टो की दुनिया की भाषा को समझते हों. हम इस आर्टिकल में कुछ ऐसे जरूरी शब्दों के बारे में बता रहे हैं जो आप क्रिप्टो निवेश के सफर में जरूर सुनेंगे.

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Cryptocurrency की दुनिया में कई ऐसे शब्द हैं, जिनका मतलब आपको पता होना चाहिए.
नई दिल्ली:

क्रिप्टोकरेंसी निवेश (Cryptocurrency Investment) का एक जाना-माना माध्यम बन गई है. खासकर युवा इसकी तरफ काफी आकर्षित हैं. हालांकि, क्रिप्टो की दुनिया के शब्द यानी जार्गन्स (Cryptocurrency Jargons) थोड़े अटपटे और हैवी हो सकते हैं, जैसे कि- गैस क्या है, व्हेल क्या होता है, या फिर बिटकॉइन या फिर ब्लॉकचेन में क्या फर्क होता है? इन शब्दों के मतलब आपको पता होंगे तो क्रिप्टो की दुनिया थोड़ी और आसान हो जाएगी. अगर आपकी क्रिप्टो में निवेश करने में दिलचस्पी है, लेकिन आप अब-तब के फेर में हैं तो भी आपके लिए बेहद जरूरी है कि आप क्रिप्टो की दुनिया की भाषा को समझते हों. हम इस आर्टिकल में कुछ ऐसे जरूरी शब्दों के बारे में बता रहे हैं जो आप क्रिप्टो निवेश के सफर में जरूर सुनेंगे.

1. माइनिंग

माइनिंग शब्द थोड़ा भ्रामक हो सकता है क्योंकि माइनिंग शब्द का मतलब खनन होता है और इसे कोयला खनन या ऐसे ही किसी दूसरे खनिज के खनन से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन क्रिप्टो माइनिंग का मतलब नई डिजिटल कॉइन्स जेनरेट करने यानी पैदा करने से होता है. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इक्वेशन सॉल्व करने के बाद रिवॉर्ड के तौर पर यूजर को कॉइन्स मिलते हैं, यहां से इसे या तो किसी बायर को सीधे बेच दिया जाता है या फिर एक्स्चेंज पर इसकी ट्रेडिंग होती है.

 हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं, वो खुद इनकी माइनिंग नहीं करते हैं. वो दूसरों के साथ क्रिप्टो एक्सचेंज कर सकते हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे आप किसी भी इन्वेस्टमेंट टूल में करते हैं.

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2. व्हेल

ऐसे अकाउंट्स, जिनके पास बहुत बड़ी संख्या कॉइन होते हैं और इसकी वजह से वो मार्केट को अपने दम पर प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, उन्हें व्हेल अकाउंट कहते हैं. अधिकतर पॉपुलर क्रिप्टो कॉइन्स के बहुत से ऐसे व्हेल हैं, जो बाजार में बड़ी हैसियत रखते हैं. यहां तक कि अलग से कुछ ऐसी साइट्स हैं जो इन व्हेल्स अकाउंट को ट्रैक करती रहती हैं ताकि बाजार में पारदर्शिता बनी रहे. इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार का रुख कैसा रहने वाला है. बहुत से व्हेल अकाउंट्स या तो बड़े लार्ज फंड्स के हैं, या फिर काफी शुरुआत से क्रिप्टो में निवेश कर रहे निवेशकों के.

3. वॉलेट

निवेशकों को अपनी क्रिप्टो कॉइन्स एक डिजिटल वॉलेट में रखनी होती है. यह क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित होती है और अगर कभी आप अपना पासवर्ड भूल गए तो आप इस वॉलेट का एक्सेस खो देते हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज्ड डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर काम करती है. यानी कि इसका कोई मुख्य केंद्रबिंदु नहीं है, कोई नियमन नहीं है, ऐसे में निवेशकों को अपने पासवर्ड को लेकर सतर्क रहना होता है.

बता दें कि ये वॉलेट दो तरह के होते हैं- हॉट और कोल्ड. हॉट वॉलेट हमेशा इंटरनेट से कनेक्टेड रहता है और इससे ऑनलाइन ट्रेडिंग की जाती है, वहीं, कोल्ड वॉलेट एक ऑफलाइन सेफ यानी तिजोरी की तरह होता है, जिसमें आप अपने कॉइन्स सुरक्षित रखते हैं.

4. ब्लॉकचेन

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग विस्तृत तौर पर पीयर-टू-पीयर नेटवर्क यानी कि दो या उससे ज्यादा पक्षों में आपस में डायरेक्ट नेटवर्किंग के जरिए काम करती है. ब्लॉकचेन एक तरह का डिजिटल लेजर यानी बहीखाता है, जिसपर हर क्रिप्टो एक्सचेंज की डिटेल्स स्टोर होती हैं. चूंकि इसमें कोई सेंट्रल डेटाबेस नहीं होता है और कोई भी कहीं से भी ब्लॉकचेन को एक्सेस कर सकता है, ऐसे में हैकिंग से इन्फॉर्मेशन के हैक होने या करप्ट होने का खतरा नहीं रहता है.

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5. गैस

गैस उस फीस को कहते हैं तो क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन करने के लिए चुकानी पड़ती है. इस फीस से माइनर यानी कि कॉइन को जेनरेट करने वाले का खर्चा कवर होता है. माइनर्स हाई-फाई कंप्यूटर्स पर जटिल मैथेमेटिकल इक्वेशन्स को हल करते हैं, जिनके बदले में उन्हें रिवॉर्ड के रूप में कॉइन्स मिलती हैं. फीस कितनी होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक को माइनर से कितनी जल्दी क्रिप्टोकरेंसी चाहिए.

6. एड्रेस

एड्रेस उस विशेष पता, अकाउंट, या प्लेटफॉर्म को कहते हैं, जहां क्रिप्टो भेजा जा रहा है. यह किसी बैंक अकाउंट जैसा ही होता है, लेकिन इसमें बस क्रिप्टोकरेंसी होती है. हर एड्रेस में अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर होते हैं और इनका इस्तेमाल क्रिप्टो संपत्ति को हाई सिक्योरिटी में रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, क्रिप्टो रिसीव कर रहे रिसीवर को अगर इनपर अपनी ओनरशिप साबित करनी पड़े तो ये एड्रेस काम आते हैं.

7. फ्लैट

अधिकतर इस टर्म का इस्तेमाल हमारी ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी के साथ तुलना के लिए चाहिए, फ्लैट करेंसी को सरकार का समर्थन और कानूनी वैधता मिली हुई है. सरकारी करेंसी के चलते केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यस्था पर अच्छा नियंत्रण देती है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा कुछ नहीं है.

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