क्रिप्टोकरेंसी को इस सदी के शुरुआती दशक के सबसे बड़े बदलावों में से एक कहें तो बहुत अतिशयोक्ति नहीं होगी. यह कॉन्सेप्ट अभी इतना ज्यादा नया है कि इसे लेकर अभी तक न कोई नियम-कानून बन पाया है, न ही सीधे जनमानस में इसकी बहुत मजबूत पकड़ बन पाई है. हां, इसमें कोई दोराय नहीं है कि इसने बहुत तेजी से अपने पैर पसारे हैं और कई देशों में इसकी मौजूदगी हो चुकी है. अकेले भारत में ही क्रिप्टो इकोसिस्टम से करोड़ों निवेशक जुड़ चुके हैं. हालांकि, इसकी वैधता और नियमन को लेकर हर देश में बहस जारी है. अल सल्वाडोर एक ऐसा देश है, जहां क्रिप्टो को ऑफिशियल करेंसी घोषित किया गया है. वहीं, घाना सहित एक-दो और अफ्रीकी देश हैं, जहां क्रिप्टो के तर्ज पर अपनी खुद की क्रिप्टो करेंसी लाने की कोशिश हो रही है.
ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया से एक खबर आई है. यहां के एक धार्मिक गुरुओं के परिषद ने कहा है कि एक करेंसी के तौर पर क्रिप्टो संपत्ति का इस्तेमाल मुस्लिमों के लिए प्रतिबंधित है.
Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडोनेशिया के नेशनल उलेमा काउंसिल (MUI) ने क्रिप्टोकरेंसी को हराम या प्रतिबंधित घोषित किया है. MUI ने कहा क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी के चरित्र में अनिश्चितता, नुकसान और जुएबाजी जैसे तत्व शामिल हैं, ऐसे में ये मुस्लिमों के लिए हराम है.
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धार्मिक आदेश जारी करने वाली संस्था के प्रमुख असरोरुन नियाम शोलेह ने गुरुवार को काउंसिल के एक्सपर्ट्स की सुनवाई के बाद यह बात कही. उन्होंने कहा कि अगर क्रिप्टोकरेंसी एक कमोडिटी या डिजिटल संपत्ति के तौर पर काम करें और शरिया कानूनों का पालन करे, साथ ही इसमें साफ फायदा समझ में आए तो इसकी ट्रेडिंग की जा सकती है.
MUI के इस फैसले से यह साफ नहीं है कि इंडोनेशिया में क्या क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह बैन हो जाएगी या नहीं. हालांकि, हो सकता है वहां मुस्लिम निवेशक शायद क्रिप्टो में निवेश से अभी दूर रहें और स्थानीय वित्तीय संस्थाएं भी अभी क्रिप्टो में लेन-देन को उतना बढ़ावा न दें क्योंकि MUI वहां काफी ऊंची हैसियत रखता है और सरकारी मंत्रालयों में भी इसकी पूछ है.
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