भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार संशय में बना हुआ है. मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) लाने की घोषणा के बाद से क्रिप्टो निवेशकों और क्रिप्टो इकोसिस्टम के भागीदारों में हलचल मची हुई है. लोकसभा की वेबसाइट पर अपने नॉटिफिकेशन में सरकार ने कहा है कि वो संसद के इस शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी बिल लाएगी, जिसके तहत कुछ को अपवाद रखते हुए देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया जाएगा. वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से इस दिशा में डिजिटल करेंसी जारी की जाएगी. इस खबर से बाजार धड़ाम हो गया था. लेकिन संभव है कि ये बिल क्रिप्टोकरेंसी के लिए उतना खतरनाक न हो, जितना पहली नजर में लगा था.
इस विधेयक को लेकर बाकी जानकारी बहुत स्पष्ट नहीं है, ऐसे में क्रिप्टो निवेशक अभी उम्मीद कर रहे हैं कि भारत में फल-फूल रहे इस सेक्टर में उनके निवेश को बनाए रखने के लिए कोई न कोई प्रावधान मिलेगा.
क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति और आगे की संभावनाओं को लेकर हम कुछ अहम सवालों पर नजर डाल रहे हैं.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार कितना बड़ा है?पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी से आरबीआई का बैन हटा दिया था, जिसके बाद पिछले एक साल से ज्यादा वक्त में क्रिप्टोकरेंसी बाजार देश में अप्रत्याशित तरीके से बढ़ा है. Chainalysis की रिसर्च के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में मार्केट 600 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है. Blockchain and Crypto Assets Council (BACC) के मुताबिक, एशिया की तीसरी सबसे अर्थव्यवस्था भारत में कम से 1.5 करोड़ से लेकर 2 करोड़ के बीच में ऐसे निवेशकों की संख्या है, जिन्होंने क्रिप्टो में निवेश किया है.
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वहीं, विज्ञापन बाजार ऐसे ऐड्स से भरा पड़ा है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी, क्रिप्टो एक्सचेंज और NFTs (non-fungible tokens) को बॉलीवुड और क्रिकेट सेलेब्रिटीज़ प्रमोट कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी 'गलत हाथों में पड़कर हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है.' वहीं, आरबीआई ने भी 'मैक्रोइकॉनमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए इसे गंभीर चिंता पैदा करने वाला' बताया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि इस विधेयक के जरिए सरकार क्रिप्टो सेक्टर पर कुछ हद तक नियमन करने की कोशिश करेगी, वहीं इसमें टैक्स कटौती के प्रावधान भी लगाए जा सकते हैं. हालांकि, शायद भारत में वैसा पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगेगा, जैसाकि पड़ोसी देश चीन में लगा हुआ है.
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हम इस बिल के बारे में अब तक क्या जानते हैं?मंगलवार को संसद की एक बुलेटिन में 'The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021' नाम से क्रिप्टोकरेंसी बिल को शीतकालीन सत्र के लिए लिस्ट किया गया था. इस नॉटिफिकेशन में सरकार ने कहा है कि वो सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करना चाहती है. इस बिल के तहत ये प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी. हालांकि, इसकी टेक्नोलॉजी और इस्तेमाल को प्रमोट करने के लिए कुछ अपवाद रखे जाएंगे.
क्या हैं उम्मीदें और अटकलें?क्रिप्टो निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी में कुछ अपवाद पर तो राहत देगी ही, उसके साथ ही जो प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के बैन की बात है, उस 'प्राइवेट' शब्द को लेकर थोड़ी उदारता दिखाएगी. इससे बहुत सारे क्रिप्टोकरेंसी को मुक्त रहने की छूट मिलेगी. जैसे कि Bitcoin और Ethereum जैसी जानी-मानी क्रिप्टोकरेंसी तो पब्लिक ब्लॉकचेन नेटवर्क पर काम करती हैं. इनके ट्रांजैक्शन को ट्रेस किया जा सकता है. लेकिन Monero या Dash जैसी कुछ दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी हैं, जो काम तो करती हैं पब्लिक ब्लॉकचेन पर लेकिन यूजर की प्राइवेसी बनाए रखने के लिए ट्रांजैक्शन का डेटा सार्वजनिक नहीं होने देतीं. ऐसे में हो सकता है कि सरकार की नजर ऐसे कैरेक्टर वाली क्रिप्टोकरेंसी पर ही हो.
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क्या बैन प्रभावी होगा भी या नहीं?क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह आभासी दुनिया की चीज हैं. हां, अब इसका मूल्य पारंपरिक करेंसी की तुलना में निर्धारित किया जा चुका है. एक निश्चित अमाउंट है, जिसकी एक वैल्यू है, लेकिन अंत में देखा जाए तो यह बस डेटा है, नंबर है. ये कॉइन या टोकन पर कोड हैं, जिनका वैल्यू खत्म कर दिया जाए, तो कुछ नहीं बचेगा. इन्हें एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर करना वैसा ही है, जैसा कि आप कोई फाइल एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भेजते हैं.
हां, जिसपर इसका असर होगा, वो हैं क्रिप्टो एक्सचेंज. क्रिप्टो एक्सचेंज पर निवेशक अपना पैसा लगाते हैं, यहां ट्रेडिंग होती है. ऐसे में क्रिप्टो एक्सचेंज सरकार की स्क्रूटनी के अंदर आएंगे.
ऐसा भी हो सकता है कि सरकार डिजिटल करेंसी में निवेश करने के लिए एक न्यूनतम अमाउंट निश्चित कर दे. Bloomberg News की एक रिपोर्ट में अटकल लगाई गई है कि सरकार इनके लीगल टेंडर की तरह इस्तेमाल पर रोक लगा सकती है.
क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म CoinSwitch Kuber के फाउंडर और BACC के को-चेयरमैन आशीष सिंघल ने कहा कि 'जाहिर है कि (बिल की घोषणा के) शब्द डराने वाले थे और इसकी वजह से बाजार में डर फैल गया. इसलिए मैं क्रिप्टो-असेट के निवेशकों से आग्रह करूंगा कि वो अभी शांति से काम लें.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)