रूस पर प्रतिबंधों के कारण Chainalysis ने लॉन्च किए क्रिप्टो वॉलेट स्क्रीनिंग टूल्स

इनमें से एक ऑन-चेन ओरेकल उपलब्ध हो गया है और एक API अगले महीने लॉन्च होने की संभावना है

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इन टूल्स के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा

ब्लॉकचेन एनालिसिस फर्म Chainalysis ने दो स्क्रीनिंग टूल लॉन्च किए हैं. इनसे क्रिप्टोकरंसी इनवेस्टर्स यह तय कर सकेंगे कि उनकी पसंद के वॉलेट रूस पर लगे प्रतिबंधों के तहत आते हैं या नहीं. इनमें से एक ऑन-चेन ओरेकल उपलब्ध हो गया है और एक API अगले महीने लॉन्च होने की संभावना है. इन टूल्स के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा.

रूस पर कई देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ऐसी आशंका है कि रूस इन प्रतिबंधों से बचने के लिए क्रिप्टोकरंसीज का इस्तेमाल कर सकता है. इस वजह से दुनिया भर के नेता और रेगुलेटर्स रूस को ऐसा करने से रोकना चाहते हैं. Chainalysis का दावा है कि यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण डीसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज (DEX), डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) प्लेटफॉर्म, डीसेंट्रलाइज्ड ऑटोनॉमस ऑर्गनाइजेशंस (DAO) और डीसेंटलाइज्ड ऐप डिवेलपर्स जैसे Web3 ग्रुप अपने कस्टमर्स को प्रतिबंधों का पालन करने में मदद के लिए लाइटवेट टूल्स की तलाश में हैं. इन टूल्स से यूजर्स आसानी से यह पुष्टि कर सकेंगे कि वे प्रतिबंध के तहत आने वाली एंटिटीज से जुड़े क्रिप्टो वॉलेट्स के साथ ट्रांजैक्शंस नहीं कर रहे.
 


Chainalysis ने एक प्रेस रिलीज में बताया, "ब्लॉकचेन की पारदर्शिता के कारण रूस की सरकार या फर्मों के लिए क्रिप्टोकरंसी के जरिए प्रतिबंधों से बचना मुश्किल होगा. हालांकि, ट्रेडिशनल फाइनेंशियल सिस्टम का इस्तेमाल कर प्रतिबंध का सामना कर रही रूस की कुछ फर्में क्रिप्टोकरंसी के जरिए प्रतिबंधों से बचने की कोशिश कर सकती हैं." सरकारी एजेंसियों को ब्लॉकचेन ट्रेसिंग टूल्स उपलब्ध कराने और एक्सचेंजों जैसी क्रिप्टो फर्मों को अधिक रिस्क वाले वॉलेट्स की पहचान करने में मदद करने वाली Chainalysis का कहना है कि Coinbase या Kraken जैसे सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों के पास प्रतिबंध के तहत आने वाले लोगों की पहचान करने के लिए पहले से नो युअर कस्टमर (KYC) की जांच मौजूद है लेकिन डीसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों के पास यह सुविधा नहीं है.

रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके अलावा बहुत सी ग्लोबल कंपनियों ने भी रूस के साथ कारोबार नहीं करने का फैसला किया है. इनमें पेट्रोलियम कंपनी शेल भी शामिल है जिसने कहा है कि वह रूस से ऑयल नहीं खरीदेगी. रूस ऑयल का एक बड़ा एक्सपोर्टर है और ऑयल के लिए खरीदार नहीं मिलने से उसकी इकोनॉमी को झटका लग सकता है.

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