आफताब से रिश्ता जोड़ने के बाद से ही प्यार का अरमान सजाए श्रद्धा वालकर को हिंसा का शिकार होना पड़ रहा था. दो साल पहले ही श्रद्धा वालकर ने मुंबई के अपने एक सहकर्मी करण को बताया था कि आफताब पूनावाला उससे मारपीट करता है. करण ने एनडीटीवी को बताया कि उसे श्रद्धा की हत्या के बारे में टीवी पर खबर आने पर ही पता चला. करण ने कहा, मुझे लगा था कि पुलिस और आफताब के माता-पिता के हस्तक्षेप के बाद श्रद्धा और आफताब का रिश्ता टूट गया था.
करण ने कहा, "नवंबर 2020 में पहली बार मुझे उसके साथ होने वाले घरेलू दुर्व्यवहार के बारे में पता चला. वह इससे पहले अक्सर बीमार रहती थी. तब मैंने उसकी मदद करने की कोशिश की थी और कुछ हफ्तों तक उसकी निगरानी करता रहा." आपको बता दें कि श्रद्धा मुंबई में अपने गृहनगर वसई के पास एक कॉल सेंटर में काम करती थी. करण वहां श्रद्धा का टीम मैनेजर था.
करण ने बताया, "मैंने श्रद्धा से मारपीट के बाद की चोट के फोटो व्हाट्सएप पर भेजने के लिए कहा था. फोटो देखकर मैं टूट गया और सोचने लगा कि कोई श्रद्धा के साथ इतनी बुरी तरह से मारपीट कैसे कर सकता है? श्रद्धा की दाहिनी आंख के नीचे चोट के निशान थे, उसकी गर्दन पर भी. बाद में उसकी मदद के लिए मैंने जिस दोस्त से संपर्क किया, उसने भी मुझे बताया कि उसके पेट पर जलने के निशान हैं."
इसके बाद मैंने श्रद्धा को सलाह दी कि वह तत्काल सुरक्षा के लिए अपनी मां और बहन के पास चली जाए या पुलिस से संपर्क करे. करण ने बताया कि वह श्रद्धा और आफताब को शादीशुदा समझता था, क्योंकि श्रद्धा ने आफताब को अपना पति बताया था.
करण ने कहा, "पुलिस में जाने के बाद, श्रद्धा ने एक लिखित शिकायत दी, लेकिन इस बीच, उसने आफताब से बात की और आफताब ने श्रद्धा से कहा कि वह खुद के साथ कुछ बुरा कर लेगा, यदि वह चली गई. श्रद्धा अपने माता-पिता के घर भी गई. आफताब ने बताया वह सभी संबंधों को तोड़ देगा और श्रद्धा को कभी परेशान नहीं करेगा. उसके बाद ही श्रद्धा ने पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करने के बारे में सोचा. हर हफ्ते या दो सप्ताह में, मैं श्रद्धा का पीछा यह सुनिश्चित करने के लिए करता था कि वह सुरक्षित है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह फिर से उसी स्थिति से तो नहीं गुजर रही है. फिर हमें लगा कि अब आफताब उसके साथ नहीं था.
करण ने कहा, "मुझे नहीं पता कि वे बाद में फिर से कैसे मिले. मुझे नहीं पता था कि वह दिल्ली चली गई है. जब यह सब खबरों में आया, तो मुझे पता चला." श्रद्धा (26) और आफताब (28) कॉल सेंटर के कर्मचारी थे और मई में दिल्ली चले आए थे, मगर यहां पहुंचने के चार दिन बाद ही खर्च और बेवफाई के लेकर बहस के बाद आफताब ने श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी. बाद में शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिया, जिसे उसने फ्रिज में रखा और महरौली के जंगलों में 18 दिनों में थोड़ा-थोड़ा कर फेंकता रहा.
पिछले महीने उसके पिता ने मुकदमा दर्ज कराया तो हत्या का पता चला. श्रद्धा ने मई 2021 से अपने पिता से बात नहीं की थी क्योंकि उसके पिता आफताब के साथ उसके संबंधों से नाराज रहते थे. वह पुलिस के पास तब गए, जब श्रद्धा के दोस्तों ने उन्हें बताया कि श्रद्धा से महीनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.
करण ने बताया कि श्रद्धा ने मार्च 2021 में नौकरी छोड़ी, तो उसने बताया कि उसे एक कंटेंट राइटिंग कंपनी में नई नौकरी मिली है, जो उसे यात्रा के अवसर देगी. "मैं उसके लिए बहुत खुश था कि उसे अपना करियर बनाने का मौका मिल रहा है. वह बहुत छोटी थी, सिर्फ 23 या 24 साल की."
श्रद्धा ने एक डॉक्टर को भी बताया था कि आफताब छोटी-छोटी बातों पर हिंसक हो जाता है. उसने डॉक्टर से कहा था कि उसे डर है कि वह उसे, खुद को या दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है. करण ने कहा कि उसे अभी तक पुलिस की तरफ से कोई फोन नहीं आया है, लेकिन "अगर वे मुझसे संपर्क करेंगे तो मैं मदद करने को तैयार हूं. मैं अकेले रहने वाली सभी लड़कियों से कहना चाहता हूं कि खुद को समाज से अलग न करें. हमेशा दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क रखें. हमेशा कोई ऐसा होता है, जो आपका समर्थन करेगा. अपमानजनक रिश्ते से बाहर निकलना बेहतर है."
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