ताज में आतंकियों से लड़ने वाला NSG कमांडो कैसे बना नशे का सौदागर, गिरफ्तारी के लिए चलाया गया ऑपरेशन

पूर्व एनएसजी कमांडो बजरंग सिंह की गिरफ्तारी की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. बजरंग हमेशा अपने साथ एक उड़िया कुक रखता था. एटीएस टीम को कुक के रिश्तेदारों के जरिए जो बजरंग का दुशमन था, उसके ठिकाने का सुराग मिला था. आखिरकार रतनगढ़ में एक बुलेट मोटरसाइकिल पर जाते हुए बजरंग ATS-ANTF टीम की नजर में आया और घेराबंदी कर उसे दबोच लिया गया.

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  • पूर्व NSG कमांडो बजरंग सिंह को राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ से संयुक्त ATS और ANTF टीम ने गिरफ्तार किया
  • बजरंग सिंह तेलंगाना और ओडिशा से गांजे की बड़ी खेप राजस्थान में सप्लाई करता था और उस पर 25 हजार का इनाम था
  • 26/11 मुंबई हमले के दौरान ताज होटल पर आतंकवादियों से लड़ने वाली NSG टीम का बजरंग सिंह एक महत्वपूर्ण सदस्य था
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चूरू:

कभी देश की रक्षा के लिए आतंकवादियों से लोहा लेने वाला NSG कमांडो अब खुद नशे का सौदागर बन गया है. राजस्थान ATS और ANTF की संयुक्त कार्रवाई में कुख्यात ड्रग्स तस्कर और पूर्व NSG कमांडो बजरंग सिंह को चूरू के रतनगढ़ से गिरफ्तार किया गया है. एटीएस की पकड़ में आया नशे का तस्कर बरजंग सिंह कभी मुंबई हमले के दौरान ताज होटल में आतंकवादियों से लड़ने वाली एनएसजी टीम का हिस्सा रह चुका है लेकिन अब बजरंग सिंह कमांडो नशे के कारोबार का बड़ा नाम है. आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए ड्रग्स तस्करी के कुख्यात सरगना और पूर्व एनएसजी कमांडो बजरंग सिंह को चूरू जिले के रतनगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है.

ऑपरेशन ‘गांजनेय' से हुई गिरफ्तारी

लगातार दो महीने की कड़ी मेहनत और सूचनाओं के बाद राजस्थान ATS और ANTF ने ऑपरेशन गांजनेय के तहत 45 साल के बजरंग सिंह को पकड़ लिया. जो सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी का रहने वाला है और उस पर 25 हजार का इनाम घोषित था. बजरंग सिंह की गिरफ्तारी की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. बजरंग हमेशा अपने साथ एक उड़िया कुक रखता था. एटीएस टीम को कुक के रिश्तेदारों के जरिए जो बजरंग का दुशमन था, उसके ठिकाने का सुराग मिला था. आखिरकार रतनगढ़ में एक बुलेट मोटरसाइकिल पर जाते हुए बजरंग ATS-ANTF टीम की नजर में आया और घेराबंदी कर उसे दबोच लिया गया.

तेलंगाना-ओडिशा से गांजे की तस्करी

एटीएस आईजी विकास कुमार के मुताबिक़ बजरंग सिंह तेलंगाना और ओडिशा से गांजे की बड़ी खेप राजस्थान लाता था, उसे पकड़ने के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन को ऑपरेशन गांजनेय का नाम दिया गया.

कमांडो से तस्कर बनने की कहानी

असल में बजरंग सिंह ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी. छह फीट की पहलवानी कद-काठी के चलते वह बीएसएफ में भर्ती हुआ. पंजाब, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान में सीमा सुरक्षा और नक्सलवाद से लड़ाई लड़ी. उसकी फिटनेस और बहादुरी देखकर उसे NSG में चुन लिया गया. सात साल तक कमांडो की सेवा दी. 2008 के मुंबई आतंकी हमले यानी 26/11 में वह होटल ताज पर आतंकवादियों से लोहा लेने वाली कमांडो टीम का हिस्सा था. लेकिन 2021 में रिटायरमेंट के बाद सब कुछ बदल गया.

राजनीति से अपराध की ओर

गांव लौटा, राजनीति में हाथ आजमाया, पत्नी को प्रधानी का चुनाव लड़ाया लेकिन हार मिली. धीरे-धीरे उसका जुड़ाव अपराधियों से हुआ और नशे का कारोबार उसका धंधा बन गया. बजरंग सिंह बड़े पैमाने पर तेलंगाना और ओडिशा से गांजा लाकर राजस्थान में सप्लाई करता था. वह छोटी खेपों में नहीं, बल्कि क्विंटल में तस्करी करता था. साल 2023 में हैदराबाद के पास 2 क्विंटल गांजा तस्करी में पहले ही गिरफ्तार हो चुका था, उसके खिलाफ सीकर में भी केस दर्ज है. जहां कई क्विंटल गांजा बरामद हुआ था. बजरंग गांजे की बड़ी खेप मंगवाकर उसे छोटे हिस्सों में बांटकर राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करता था.

सतर्क और चालाक तस्कर

बजरंग न सिर्फ सतर्क बल्कि चालाक भी था, मोबाइल इस्तेमाल करने से बचता था और अपनी पहचान छिपाने में माहिर था. टीम को उसके कट्टर दुश्मन से इनपुट मिला कि बजरंग सिंह हमेशा अपने साथ उड़ीसा का एक विश्वस्त कुक रखता है. कुक के जरिए बजरंग तक पहुंच बनाई गई. रतनगढ़ में एटीएस और एएनटीएफ की टीम ने उसे बुलेट मोटरसाइकिल पर जाते हुए देखा और पीछा कर उसके ठिकाने से दबोच लिया. एटीएस की बजरंग सिंह से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं और जल्द ही ड्रग्स नेटवर्क के अन्य बड़े चेहरों तक पहुंचने की उम्मीद है.
 

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