उत्तर पूर्वी दिल्ली के वेलकम में एक नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया है. पड़ोस में रहने वाला आरोपी वारदात के बाद से फरार है. पीड़िता एक स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा है. माता-पिता निजी कंपनी में काम करते हैं. वारदात के दौरान माता-पिता काम पर गए हुए थे. पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ घर में थी. इसी दौरान आरोपी आया और उसे बुलाकर अपने कमरे में ले गया. फिर उसके साथ दुष्कर्म किया.
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि पड़ोसी एक दिन पहले भी उसे अपने कमरे में लेकर गया था, जहां उसके दोस्त ने दुष्कर्म किया था. पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है.
उधर लखनऊ में विशेष पॉक्सो अदालत ने शुक्रवार को पांच महीने की बच्ची के साथ बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के दोषी 27 वर्षीय सगे चचेरे भाई प्रेमचन्द्र उर्फ पप्पू दीक्षित को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा है कि उच्च न्यायालय से सजा की पुष्टि के बाद मुल्जिम की गरदन में फांसी लगाकर उसे तब तक लटकाया जाए जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए. दोषी स्वयं विवाहित व एक नाबालिग का पिता है. विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने दोषी पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. उन्होंने इसके अपराध को दुर्लभतम से दुर्लभ करार देते हुए कहा कि जुर्माने की रकम पीड़िता के पिता को दी जाए.
न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा, ‘‘भारत में कन्या को देवी माना जाता है. नवरात्रि में नौ दिन के व्रत के बाद देवी दुर्गा का रूप मान कन्याओं को भोजन कराकर व्रत तोड़ा जाता है. ऐसे में दोषी ने जिस तरह एक शिशु के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या की, उससे यह मामला विरलतम से विरल की श्रेणी में आता है और उसे फांसी से कम की सजा नहीं दी जा सकती.''
अदालत ने कहा, ‘‘दोषी ने जैसा अपराध किया है सभ्य समाज में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. यदि इस अपराध के लिए उसे यह दंड नहीं दिया गया, तो इसका समाज पर व्यापक रुप से गलत प्रभाव पड़ेगा. ऐसी ही घटना की वजह से समाज में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने व व्यवहार करने की आजादी नहीं दे पा रहे हैं. जिसकी वजह से इस देश की नई पीढ़ी अर्थात छोटे बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है.''
(इनपुट भाषा से भी)