मुंबई के बाद अब नोएडा एक्सटेंशन, रिटायर्ड इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर ठग लिए 1.30 करोड़

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले 70 वर्षीय दया दास को व्हाट्सऐप पर शेयर ट्रेडिंग से बड़ा मुनाफा कमाने का लालच दिया गया था. दया दास झांसे में आकर 1.30 करोड़ लुटा बैठे.

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  • ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 70 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर से शेयर ट्रेडिंग का झांसा देकर 1.30 करोड़ ठग लिए
  • ठगों ने मोटे मुनाफे का झांसा दिया और पोर्टल पर रकम बढ़ती दिखाई. जब उन्होंने पैसे निकालने चाहे तब पोल खुली
  • मुंबई पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बुजुर्गों को ठगने वाले गैंग का पर्दाफाश कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया
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साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट आजकल सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं. इनके चंगुल में फंसकर हजारों लोग अपनी जिंदगी भर की जमा-पूंजी लुटा बैठते हैं. ताजा मामला यूपी के ग्रेटर नोएडा वेस्ट का है, जहां एक रिटायर्ड इंजीनियर को शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का झांसा देकर साइबर ठगों ने एक करोड़ 30 लाख रुपये ठग लिए. वहीं मुंबई पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बुजुर्गों को ठगने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. 

व्हाट्सएप पर मैसेज भेजकर फंसाया 

70 वर्षीय दया दास ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहते हैं. 18 अगस्त को व्हाट्सऐप पर उन्हें एक मैसेज आया. ये मैसेज CHCP Global Securities नाम की कथित कंपनी के नाम से भेजा गया था. इसमें शेयर ट्रेडिंग से बड़ा मुनाफा कमाने का लालच दिया गया था. दया दास झांसे में आ गए. 

उन्होंने पहले थोड़ी रकम इन्वेस्ट की. साइबर ठगों ने पोर्टल पर उनके पैसे बढ़े हुए दिखा दिए. इस तरह धीरे-धीरे भरोसा बढ़ाया और दया दास उनके चंगुल में फंसते चले गए. उन्होंने धीरे-धीरे कई खातों में 1.30 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम इन्वेस्टमेंट के नाम ट्रांसफर कर दी.

पोर्टल पर बढ़ते रहे इन्वेस्ट किए पैसे 

कुछ दिन बाद जब उन्होंने पोर्टल पर दिखाई जा रही अपनी रकम को निकालने की कोशिश की तो साइबर ठग असली रूप में आ गए. उन्होंने बुजुर्ग पर और पैसे जमा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. इनकार करने पर उन्हें व्हाट्सऐप ग्रुप से निकाल दिया. तब जाकर दया दास को ठगी का एहसास हुआ. 

दया दास साइबर थाना सेक्टर 36 में पहुंचे और अपनी आपबीती बताकर शिकायत दर्ज कराई. पुलिस का कहना है कि शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. यह पता लगाया जा रहा है कि उनकी रकम किन-किन खातों में भेजी गई थी.

मुंबई में डिजिटल अरेस्ट गैंग का भंडाफोड़

मुंबई पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बुजुर्गों को डरा-धमकाकर ठगने वाले साइबर गैंग का पर्दाफाश किया है. इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के नाम रवि आनंद आंबोरे (35 वर्ष) और विश्वपाल चंद्रकांत जाधव (37 वर्ष) हैं. जांच से पता चला है कि इनके बैंक खातों के जरिए देशभर में साइबर फ्रॉड की कम से कम 7 शिकायतें दर्ज हैं. 

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रिटायर्ड बैंक कर्मी को 50 लाख देने के लिए डराया

मुंबई पुलिस के साइबर थाने ने एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर बंधक बनाकर ठगी के बाद जांच शुरू की थी. बुजुर्ग से 50 लाख से ज्यादा की रकम एक खाते में ट्रांसफर करने को कहा गया था. इसमें से करीब 29 लाख रुपये उल्हासनगर (ठाणे) के रहने वाले एक व्यक्ति के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे. 

मनी लॉन्ड्रिंग में नाम आने का डर दिखाया

रिटायर्ड बैंक कर्मी ने पुलिस को अपनी शिकायत में बताया था कि 11 सितंबर से 24 सितंबर 2025 के बीच एक अज्ञात नंबर से उन्हें व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल आए. कॉल करने वाले ने खुद को नाशिक पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है. उनके केनरा बैंक के खाते से अवैध लेनदेन हुए हैं.

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NIA का कार्ड दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया

फोन करने वाले शख्स ने बुजुर्ग को यकीन दिलाने के लिए सरकारी मुहर और दस्तखत वाले फर्जी डॉक्युमेंट, कथित FIR की कॉपी और NIA अधिकारी का आईडी कार्ड WhatsApp पर भेजा. रिटायर्ड बैंक कर्मी और उनकी पत्नी को डराया धमकाया कि उन्हें “सर्विलांस” में रखा गया है और दोनों को जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है. 

बुजुर्ग ने बताया कि तीन दिनों तक लगातार वीडियो कॉल के जरिए उन्हें पूछताछ के नाम पर बैठाए रखा गया और धीरे-धीरे बैंक खातों की जानकारी निकलवा ली गई. इसके बाद अकाउंट की जांच के नाम पर उनसे 50 लाख 50 हजार 900 रुपये एक खाते में ट्रांसफर करने को कहा गया. डरे-सहमे बुजुर्ग ने रकम ट्रांसफर कर दी. 

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कमीशन के बदले खुले खाते में भेजी रकम

मुंबई पुलिस को तफ्तीश के दौरान पता चला कि इस रकम में से 29.5 लाख रुपये एक ऐसे बैंक अकाउंट में भेजे गए थे जो उल्हासनगर (ठाणे) इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति का था. क्राइम ब्रांच की टीम ने टेक्निकल जांच के बाद 25 अक्टूबर को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में आरोपी ने कबूला कि उसने अपने पर्सनल डॉक्युमेंट्स का इस्तेमाल करके बैंक अकाउंट खुलवाया था और कमीशन के बदले ये अकाउंट साइबर फ्रॉड गैंग को इस्तेमाल के लिए दिया था. उससे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने उसके एक साथी को भी गिरफ्तार कर लिया. 

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