सोशल मीडिया के जरिए अवैध हथियार बेचने वाले गिरोह का भांडाफोड़

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने राजस्थान से एक आरोपी हितेश को किया गिरफ्तार, जांच में पता चला कि इस मॉड्यूल के संबंध पाकिस्तान और राष्ट्र विरोधी तत्वों से भी हैं

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दिल्ली पुलिस ने आरोपी हितेश को गिरफ्तार कर लिया है.
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने सोशल मीडिया के जरिेए अवैध हथियार बेचने वाले गिरोह का भांडाफोड़ किया है. साइबर क्राइम यूनिट के डीसीपी केपीएस मलहोत्रा के मुताबिक राजस्थान से एक शख्स हितेश को गिरफ्तार किया गया है जिसका क्रिमिनल बैकग्राउंड है. एक सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और दो कारतूस इसके पास से बरामद किए गए. जांच में पता चला कि इस मॉड्यूल के संबंध पाकिस्तान और एंटी नेशनल एलिमेंट्स से हैं जिसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता था. यह गैंग कुख्यात बदमाशों को हथियार सप्लाई करता था. इस पर 11 केस पहले से दर्ज हैं. 

स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट ने अवैध हथियार बेचने में शामिल सोशल मीडिया पर चल रहे एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और जोधपुर से हितेश सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक सोशल मीडिया पर नजर रखने  के दौरान, यह पता चला कि फेसबुक पर कुछ लोग अवैध हथियार बेचने के लिए वीडियो डाल रहे हैं. उन्होंने अपने फेसबुक पेजों पर हथियार और कारतूस की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए थे.

डीसीपी मल्होत्रा ने बताया कि इनमें से सबसे प्रमुख लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप के नाम से एक ग्रुप था. रोहिणी कोर्ट शूट आउट में गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या के बाद यह मामला बहुत महत्वपूर्ण था. इस मामले में केस दर्ज कर लॉरेंस बिश्नोई से संबंधित फेसबुक प्रोफाइल की जांच की गई और पाया गया कि फेसबुक पर दोस्तों की लिस्ट में से हितेश राजपूत नाम के शख्स के कई फेसबुक प्रोफाइल हैं. टेक्निकल सर्विलांस और ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए उसके  एक्टिव प्रोफाइल की पहचान की गई. फिर उससे हथियारों का सौदा करके उससे हथियारों के वीडियो मंगाए गए.

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इसके बाद हितेश सिंह उर्फ ​​लंगड़ा को हरियाणा के मानेसर से तब पकड़ा गया जब वह बाकी कैश लेने आया था. उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसके मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच की गई. इससे पता चला कि वह पाकिस्तान में भी कुछ लोगों के संपर्क में था. आरोपी हितेश सिंह पेशे से अपराधी है और राजस्थान की जेलों में काफी लंबे समय तक बंद रहा है.

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पूछताछ में पता चला कि उसने अपनी आपराधिक एक्टिविटी 2010 में शुरू की थी. उसने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक किताब की दुकान में चोरी की थी. जेल से बाहर आने के बाद वह बाइक चोरी करके बेचने लगा. जेल में उसकी मुलाकात एक डकैत धन सिंह पीपरोली उर्फ ​​ठाकुर धनु प्रताप सिंह राठौर से हुई जो उसके गुरु बने. साल 2013 में जब हितेश सिंह जोधपुर जेल से जमानत पर रिहा हुआ, तो उसके गुरु धन सिंह पीपरोली ने उसे शैतान सिंह टेकरा (इनायत बस सेवा के मालिक) को मारने का काम दिया. हितेश सिंह ने सुनियोजित हत्या की योजना बनाई और फायरिंग को अंजाम दिया लेकिन शैतान सिंह बाल-बाल बच गया. फायरिंग का आधार यह था कि निजी बस सेवा चलाने में शैतान सिंह पूरे राजस्थान पर हावी था और छोटे खिलाड़ियों ने शैतान सिंह को मारने के लिए धन सिंह पीपरोली से संपर्क किया था. इसी तरह हितेश सिंह राजस्थान के एक टोल पर डकैती में शामिल था जिसमें टोल के पूरे स्टाफ को लेटा दिया गया था और बुरी तरह पीटा गया था. उस पर 11 आपराधिक मुकदमे दर्ज है.

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