"फर्जी निकला सर्टिफिकेट...", दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर मामले में हाई कोर्ट में दाखिल की स्टेट्स रिपोर्ट

पूजा खेडकर ने भी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा ने कहा था कि उसके पैर में दिक्कत है. ऐसे में उसे दिव्यांग ही माना जाए.

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नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर (Puja Khedkar) मामले में अपनी स्टेट्स रिपोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल कर दी है. इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कई बड़े खुलासे किए हैं. दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया है कि पूजा खेडकर की डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट फर्जी है. इस स्टेट्स रिपोर्ट में कहा गया है कि जो सर्टिफिकेट 2022 और 2023 की सिविल परीक्षा के दौरान दिया गया था वो फर्जी है. इस सर्टिफिकेट में पूजा खेडकर ने अपना नाम भी बदला है. पुलिस ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में कहा है कि इस फर्जी सर्टिफिकेट के महाराष्ट्र से बनाए जाने का दावा भी झूठा है. पुलिस की जांच में पता चला है कि वर्ष 2022 और 2024 में अहमदनगर महाराष्ट्र से दो सर्टिफिकेट जारी किए गए थे. लेकिन पुलिस ने जब मेडिकल अथॉरिटी से इन सर्टिफिकेट की जानकारी मांगी तो अथॉरिटी की तरफ से बताया गया कि उनकी तरफ से कोई विकलांगता सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया है. 

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि हमें अहमदनगर की मेडिकल अथॉरिटी ने लिखित में कहा है कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र (बहु दिव्यांगता) क्रमांक MH2610119900342407 हमारे सिविल सर्जन कार्यालय रिकॉर्ड के अनुसार, मेडिकल अथॉरिटी, अहमदनगर; महाराष्ट्र द्वारा जारी नहीं किया गया है. इसलिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र जाली और गढ़ा होने की संभावना अधिक है.

आखिर क्या है पूरा मामला

महाराष्ट्र के पुणे में 34 साल की ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर (Puja Khedkar)अपने UPSC सिलेक्शन को लेकर विवादों में हैं. उनपर UPSC CSE-2022 एग्जाम में शामिल होने के अपनी पर्सनल इंफॉर्मेंशन और डिसएबिलिटी को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप है. UPSC ने उन्हें अयोग्य करार दिया है.

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पूजा खेडकर ने भी कोर्ट में दी थी याचिका 

इस मामले को लेकर पूजा खेडकर ने भी कुछ दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पूजा खेडकर ने अपनी याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट से सिविल सर्विसेज एग्जाम के उनके 12 अटेम्प्ट में से 7 अटेम्प्ट को नजरअंदाज करने की अपील की थी. खेडकर का दावा था कि उन्हें घुटने में दिक्कत है. लिहाजा उन्हें 'दिव्यांग' कैटेगरी में ही मौके मिलने चाहिए थे. उन्होंने यह भी दलील दी थी कि 47% दिव्यांगता होने के बावजूद वह जनरल कैटेगरी से एग्जाम में बैठीं. सिविल सर्विसेज एग्जाम के लिए डिसएबिलिटी का बेंचमार्क 40% है.

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