दिल्ली पुलिस ने खुद को बीमा एजेंटों के रूप में पेश करके 25 साल पुराने मर्डर केस का किया पर्दाफाश

पुलिस ने कहा कि हत्या क आरोपी रामू ने आधार समेत अन्य पहचान पत्र बनवा लिए थे और अशोक यादव के रूप में लखनऊ में रह रहा था

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके के रहने वाले किशन लाल की फरवरी 1997 की सर्द रात में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी और हत्यारे का पता नहीं चल सका है. किशन लाल की पत्नी सुनीता उस समय गर्भवती थी और अपने पहले बच्चे की मां बनने वाली थी. मौत के मामले में मुकदमा शुरू हुआ और पटियाला हाउस कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी संदिग्ध रामू को लापता घोषित कर दिया. रामू किशन लाल के पड़ोस में ही रहता था.

इस केस की फाइल दो दशकों से अधिक समय तक धूल चाटती रही. दिल्ली पुलिस के उत्तरी जिले की एक टीम जो पुराने मामलों को संभालने के लिए प्रशिक्षित है, ने अगस्त 2021 में इसकी जांच शुरू की. 

एक साल बाद सुनीता को दिल्ली पुलिस का फोन आया और उन्हें तुरंत लखनऊ पहुंचने के लिए कहा गया. दिल्ली पुलिस ने एक 50 वर्षीय व्यक्ति को पकड़ लिया था, जिसके बारे में उनका मानना था कि वह उसके पति का हत्यारा था. पुलिस चाहती थी कि वह संदिग्ध की पहचान की पुष्टि करे. सुनीता जो अपने बेटे सनी (24) के साथ थी, ने पुलिस के सामने पुष्टि की कि वह आदमी रामू था.

Advertisement

पुलिस उपायुक्त (उत्तरी जिला) सागर सिंह कलसी ने पीटीआई को बताया, “जब उन्होंने इस पुराने मामले पर काम करना शुरू किया था तब तक महिला ने न्याय पाने की सभी उम्मीदें छोड़ दी थीं और यहां तक कि हमारी पुलिस टीम के लिए दरवाजे भी बंद कर दिए थे.”

Advertisement

अधिकारी ने एक चौथाई सदी पुराने मामले को सुलझाने के लिए चार सदस्यीय टीम की प्रशंसा की. हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, आरोपी की कोई तस्वीर नहीं थी या उसके ठिकाने का भी कोई सुराग नहीं था.

Advertisement

कलसी ने बताया कि टीम में सहायक पुलिस आयुक्त (संचालन) धर्मेंद्र कुमार के साथ सब-इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह, हेड-कांस्टेबल पुनीत मलिक और ओमप्रकाश डागर, इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह थे

Advertisement

डीसीपी ने कहा, "टीम के लिए यह काफी बड़ी चुनौती थी. कई महीनों तक एक महत्वपूर्ण सुराग पाने की उम्मीद करते रहे थे. इस अवधि के दौरान टीम दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जांच के लिए कई मौकों पर अंडरकवर रही.”

कलसी ने कहा कि जब टीम दिल्ली के उत्तम नगर गई, तो उन्होंने खुद को जीवन बीमा एजेंट के रूप में पेश किया. वहां उन्होंने रामू के एक रिश्तेदार को मृतकों के रिश्तेदारों के लिए पैसे की मदद करने के बहाने खोज लिया. 

उन्होंने कहा कि इसी बहाने टीम उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के खानपुर गांव में भी पहुंचने में सफल रही, जहां वह रामू के रिश्तेदारों से मिली. फर्रुखाबाद में पुलिस ने रामू के बेटे आकाश के मोबाइल नंबर के जरिए छापा मारा. अधिकारी ने कहा कि आपुलिस टीम आकाश के एक फेसबुक अकाउंट तक पहुंची, जिसके माध्यम से उसे लखनऊ के कपूरथला इलाके में खोजा गया.

पुलिस ने आकाश से मुलाकात की और उसके पिता रामू के ठिकाने के बारे में पूछताछ की, जो अब अशोक यादव के नाम से रहता था. उसने टीम को बताया कि वह लंबे समय से अपने पिता से नहीं मिला है और केवल यह जानता है कि वह अब लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में रहते हैं और ई-रिक्शा चलाते हैं. डीसीपी कलसी ने कहा, “यह हाल ही में हुआ और लगभग एक साल से धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे मामले ने अचानक गति पकड़ ली. पुलिस टीम जो गुप्त रूप से जांच कर रही थी, को संदेह था कि उसके बारे में पूछताछ की कोई जानकारी रामू को मिलने पर वह उस तक पहुंचने से पहले कहीं छिप सकता है.”

हत्यारे की तलाश में पुलिस टीम ने एक ई-रिक्शा कंपनी के एजेंटों की आड़ में जानकीपुरम क्षेत्र के कई ड्राइवरों से संपर्क किया. उन्होंने केंद्र सरकार के तहत नए ई-रिक्शा पर सब्सिडी प्रदान करने के बहाने उनसे बातचीत की. अधिकारी ने कहा, “ऐसी एक बातचीत के दौरान, 14 सितंबर को एक ई-रिक्शा चालक उन्हें अशोक यादव (रामू) के पास ले गया. वह एक रेलवे स्टेशन के पास रह रहा था. उसे पूछताछ के लिए पकड़ लिया गया. उसने पहले खुद के रामू होने या कभी दिल्ली में रहने से इनकार किया.”

पुलिस टीम ने फर्रुखाबाद में रामू के रिश्तेदारों से उसकी पहचान का पता लगाने के लिए संपर्क किया और सुनीता को दिल्ली से यह पुष्टि करने के लिए बुलाया कि क्या वह व्यक्ति वास्तव में उसके पति का हत्यारा था?

आखिरकार जब उसकी पहचान की पुष्टि हुई, तो रामू (50) ने यह भी स्वीकार किया कि उसने फरवरी 1997 में एक "समिति" (लोगों के एक छोटे समूह के बीच एक चिट-फंड प्रणाली) से पैसे के लिए किशन लाल की हत्या की थी.

अधिकारियों के अनुसार, उसने 4 फरवरी को एक पार्टी की व्यवस्था की थी, जहां उसने किशन लाल को चाकू से वार करने हत्या कर दी थी. वह पैसे लेकर भागा और लखनऊ में बसने से पहले अलग-अलग स्थानों पर छिपकर रहा.

कलसी ने कहा कि छिपकर रामू ने आधार सहित अन्यपहचान पत्र बनवाया, जिसमें अशोक यादव के रूप में अपनी नई झूठी पहचान बनाई. अधिकारी ने बताया कि अब तिमारपुर थाने में हत्या के 25 साल पुराने मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही की जा रही है.

Featured Video Of The Day
Mahakumbh Stampede: अमृत स्नान पर कैसे गई 30 जान? | Mauni Amawasya | Metro Nation @10
Topics mentioned in this article