बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने दो साल पहले सामूहिक दुष्कर्म के मामले में किशोरावस्था के दौरान पकड़े गए 18 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी. अदालत ने टिप्पणी की कि पुनर्वास की कोशिशों के प्रति उसकी प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है. न्यायमूर्ति भारती डांगरे की एकल पीठ ने यह फैसला 22 अगस्त का दिया था और आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई. उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा अपने परिवार से मिलने का हकदार है.
व्यक्ति गिरफ्तारी के बाद से ही दक्षिण मुंबई के डोंगरी इलाके के एक निगरानी गृह में बंद है. उसे वर्ष 2020 में सात साल की एक बच्ची से हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपी बनाया गया था. घटना के समय उसकी उम्र 16 साल थी जिसकी वजह से उसे निगरानी गृह में भेजा गया था. हाल में ही उसकी उम्र 18 साल हुई है. अदालत ने उसे रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि अब वयस्क हो चुके आवेदनकर्ता की शिक्षा और बाधित नहीं की जा सकती और परिवार के साथ मिलने से उसे पूर्ण क्षमता से अपना विकास करने का मौका मिलेगा.
गौरतलब है कि व्यक्ति ने अपनी अर्जी में दावा किया था कि लंबे समय से निगरानी गृह में बंद होने की वजह से उसकी जिंदगी में बाधा उत्पन्न हुई है और अगर सही अवसर, मार्गदर्शन और समर्थन दिया जाए तो उसमें अच्छी संभावनाएं हैं.