जारी World Cup 2023 में बुधवार को भारत की न्यूजलीलैंड (Ind vs Nz) के खिलाफ सेमीफाइनल में 70 रन से शानदार जीत के बाद अमरोहा (शमी का घरेलू शहर) से लेकर लेकर पूरे क्रिकेट जगत में मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) के ही चर्चे हैं. यह पेसर एकदम से ही भारतीय क्रिकेट में सुपरस्टार बन गया है. और आखिर ऐसा हों भी क्यों न! सेमीफाइनल (1st Semifinal) में शमी (Shami's performace) ने ऐसा गजब का 'सत्ता' जड़ा कि कीवी बुरी तरह से दहल गए. बहरहाल, उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले अमरोहा से निकल 'सुपरस्टार दर्जे' तक का सफर शमी के लिए खासा मुश्किल रास्तों से निकलना रहा है. और इस सफर में कई टर्निंग प्वाइंट भी आए. चलिए बारी-बारी से जान लीजिए कि कैसे इन अहम मोड़ों ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया.
1. यूपी छोड़कर बंगाल जाना
शमी ने शुरुआत में अपनी क्रिकेट घरेलू जिले अमरोहा से शुरू की. शुरुआती दिनों में वह टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला करते थे. और काफी देरी से उन्होंने लेदर बॉल से खेलना शुरू किया. ये वे दिन थे, जब वह गांव में खेला करते थे और टेनिस बॉल खेलने दूर-दूर तक जाते थे. लेकिन उनके बड़े भाई मोहम्मद हसीब ने उन्हें आगे का रास्ता दिखाया और अकादमी में दाखिला दिलाया. इन दिनों में उन्हें झटका भी लगा, जब उन्हें यूपी की अंडर-19 टीम में नहीं चुना गया. कोच बदरुद्दीन ने एक अखबार से बातचीत में कहा, 'तब शमी इतने निराश थे कि उन्होंने खाना खाने से भी इनकार कर दिया. इसके बाद कोच ने उन्हें कोलकाता लीग क्रिकेट खेलने भेजा. और यहां उन्होंने ऐसी छाप छोड़ी कि उनकी महक बंगाल क्रिकेट में फैल गई. यूपी से बंगाल जाना शमी का पहला टर्निंग प्वाइंट रहा.
2. नेट सेशन में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को चौंकाया
भारतीय पूर्व कप्तान सौरव गांगुली द्वारा खास तौर पर आयोजित किए गए नेट सेशन के बाद मोहम्मद शमी का चयन बंगाल की अंडर-22 टीम में हो गया. सौरव यहां से शमी ने ऐसा असर छोड़ा कि दो साल के भीतर ही वह बंगाल की रणजी ट्रॉफी टीम के सदस्य बन गए. और फिर कुछ सालों में ही इस पेसर को टीम इंडिया के लिए भी खेलने का मौका मिला, तो समय गुजरने के साथ यहां भी शमी ने दिखाया कि वह एक उच्च स्तरीय गेंदबाज हैं. सौरव की शमी पर 'विशेष द्रष्टि' उनके करियर का दूसरा बड़ा टर्निंग प्वाइंट बन गया.
3. वसीम अकरम का मार्गदर्शन
रणजी में मौका मिलने के बाद केकेआर ने इस पेसर साल 2011 में अपने साथ जोड़ा. बंगाल रणजी टीम के साथ काम कर चुके डेव व्हॉटमोर ने शमी की पहचान की. लेकिन शमी के के कोच इस पेसर में आए सुधार का श्रेय वसीम अकरम को देते हैं. अकरम के केकेआर के साथ के दिनों में शमी को बहुत ज्यादा फायदा हुआ और लेफ्टी दिग्गज ने शमी की रिलीज (गेंद छोड़ने) और रिस्ट पोजीशन (कलाई की स्थिति) पर खासा काम किया. और यहां से शमी का कौशल अगले और ऊपर होती गई. कोच कहते हैं कि अकरम ने शमी पर बहुत ज्यादा काम किया. केकेआर के लिए सीमित मौके मिलने के बावजूद शमी नियमित रूप से अकरम के नजदीक रहे. आज जो मोहम्मद शमी हैं, वह अकरम की मदद और खुद की कड़ी मेहनत के कारण हैं.
4. सुपरस्टार बनाने में सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट
मोहम्मद शमी कोच राहुल द्रविड़ के प्लान ए में शामिल तक नहीं थे. और वह शुरुआती चार मैचों में नहीं ही खेले. उनकी जगह शार्दुल को खिलाने को लेकर लगातार चैनलों ओर पूर्व क्रिकेटरों में बहस होती रही, लेकिन प्रबंधन टस से मस नहीं हुआ. लेकिन 19 अक्टूबरको पुणे में बांग्लादेश के खिलाफ चौथे मैच में हार्दिक पांड्या सिर्फ तीन गेंद फेंकने के बाद बाहर क्या लौटे, यह शमी की जिंदगी को सुपरस्टार बनाने का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट बन गया. इसके बाद ठीक अगले मुकाबले में 22 अक्टूबर को धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ शमी ने ऐसा पंजा जड़ा, तो फिर यहां से शमी ने विश्व कप में मुड़कर नहीं देखा. हार्दिक की चोट शमी के लिए वरदान बन गई. और अब यह पेसर सेमीफाइनल के बाद सिर्फ 6 मैचों में 23 विकेट चटकाकर सबसे सफल गेंदबाज बनकर एकदम से सुपरस्टार बन गया है.