Womens T20 World Cup 2023: महिला टीम के लगातार नॉकआउट मुकाबले में बाहर होने से उठे ये 5 बड़े सवाल

Australia Women vs India Women, Semi-Final 1: दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी महिला टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जीत की स्थिति में होने के बावजूद पांच रन की हार ने भारतीय महिला टीम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 26 mins
महिला टीम को लेकर बीसीसीआई को गंभीर और सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है
नई दिल्ली:

तरीका अलग हो सकता है लेकिन कहानी वही है. लंदन, मेलबर्न, बर्मिंघम और अब केपटाउन में वही कहानी दोहराई गई. भारतीय महिला क्रिकेट टीम ट्रॉफी तक पहुंचने से पहले ही नॉकआउट में बाहर हो गई. दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी महिला टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों जीत की स्थिति में होने के बावजूद पांच रन की हार ने भारतीय महिला टीम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. वनडे विश्वकप 2017 के फाइनल में पहुंचने से भारत ने महिला क्रिकेट में क्रांति ला दी थी. उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम अब इससे एक कदम आगे बढ़ेगी और ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को चुनौती देगी, लेकिन छह साल बाद भी कहानी में कोई बदलाव नहीं हुआ. भारत वीरवार को केपटाउन में जीत की दहलीज पर पहुंच गया था, लेकिन कप्तान हरमनप्रीत कौर के रन आउट होने से पूरी कहानी बदल गई और टीम को ऐसी हार मिली जिसे खिलाड़ी वर्षों तक नहीं भुला पाएंगे. वीमेन टीम के बाहर बाद कई सवाल टीम और सिस्टम को लेकर उठ रहे हैं. चलिए छह बड़े सवालों के बारे में जान लीजिए.

SPORTS STORIES:

"मुझे विराट की तरह बनना...", पूर्व भारतीय कोच ने कोहली के इस साथी खिलाड़ी का सीक्रेट किया शेयर

ऑस्ट्रेलिया गए पैट कमिन्स नहीं लौटेंगे भारत, तीसरे-चौथे टेस्ट मैच में स्टीव स्मिथ करेंगे कप्तानी

1. कब टूटेगा कंगारुओं का मिथक?
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जबकि भारत नॉकआउट में बाहर हो गया हो. वनडे विश्व कप 2017 में वह फाइनल में इंग्लैंड से हार गया था. इसके बाद 2018 में टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में फिर से इंग्लैंड उसके सामने रोड़ा बना था. भारतीय टीम पिछले टी-20 विश्व कप के मेलबर्न में खेले गए फाइनल और पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक मैच में भी हार गई थी. इन दोनों अवसरों पर उसे ऑस्ट्रेलिया ने पराजित किया.

2. दबाव में क्यों फिसल जाती है टीम?
वर्तमान विश्वकप के लीग चरण में भारतीय टीम का प्रदर्शन असंगत रहा था लेकिन सेमीफाइनल में वह जीत की स्थिति में थी. लचर क्षेत्ररक्षण और औसत गेंदबाजी के बावजूद हरमनप्रीत और जेमिमा रॉड्रिगुएज की बल्लेबाजी से भारत जीत की स्थिति में था. ऐसे में सवाल उठता है कि भारतीय टीम इस तरह के दबाव वाले मैचों में अनुकूल परिणाम क्यों हासिल नहीं करती. क्या यह टीम के चयन से जुड़ा कोई मुद्दा है या फिटनेस जिसके कारण क्षेत्ररक्षण बेहद खराब रहा. या फिर टीम की रणनीति या कुछ और.

Advertisement

3. फील्डिंग और फिटनेस पर दिग्गज का सवाल
वीरवार को भारत का क्षेत्ररक्षण बेहद खराब रहा और क्षेत्ररक्षण कोच शुभादीप घोष को कई सवालों के जवाब देने होंगे. भारत के खराब क्षेत्ररक्षण के कारण ऑस्ट्रेलिया 25 से 30 रन अधिक बनाने में सफल रहा. शेफाली वर्मा ने आसान कैच टपकाया तो विकेटकीपर रिचा घोष ने मेग लैनिंग को स्टंप आउट करने का आसान मौका गंवाया. पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने कहा,‘विश्व कप जीतने वाली भारत की अंडर-19 टीम अधिक फिट और मैदान पर चपल दिख रही थी. मैं शर्त लगाती हूं कि हमारी अधिकतर सीनियर क्रिकेटर यो-यो टेस्ट ( जो पुरुष टीम के लिए अनिवार्य है) पास नहीं कर पाएंगी. खराब फिटनेस के कारण हम अच्छे क्षेत्ररक्षण की उम्मीद नहीं कर सकते.'

Advertisement

4. बल्लेबाजों का स्ट्राइक-रेट और मंधाना भी उठी उंगली
भारतीय बल्लेबाजों का स्ट्राइक- रेट भी अच्छा नहीं थाय शेफाली, दीप्ति शर्मा, यस्तिका भाटिया और कप्तान हरमनप्रीत का टूर्नामेंट में स्ट्राइक रेट 110 से कम था. वर्तमान क्रिकेट में 130 से कम का स्ट्राइक रेट अच्छा नहीं माना जाता है. स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने 138.5 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए, लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था. शेफाली लंबे समय से खराब फॉर्म में चल रही हैं और गेंदबाज शार्ट पिच गेंदों की उनकी कमजोरी को भुना रहे हैं. ऐसे में सलामी बल्लेबाज एस मेघना को मौका दिए जाने की जरूरत है.

Advertisement


5. क्यों कमजोर पड़ गया मजबूत रहा स्पिन पक्ष?
वह बहुत पुरानी बात नहीं जबकि स्पिनरों को भारत का मजबूत पक्ष माना जाता था,  लेकिन विश्व कप में उन्होंने निराश किया. राजेश्वरी गायकवाड़ टूर्नामेंट में एक भी विकेट नहीं ले पाई, जबकि दीप्ति और राधा यादव भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं. तेज गेंदबाजी विभाग में रेणुका सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन शिखा पांडे वापसी पर प्रभावित नहीं कर पाई. इस विभाग में विकल्पों की कमी चिंता का विषय है. बाएं हाथ की तेज गेंदबाज अंजलि सर्वानी को एक मैच में भी नहीं खिलाया गया. मेघना सिंह को भी मौका नहीं दिया गया.

Advertisement

अब यही उम्मीद कर सकते हैं कि महिला प्रीमियर लीग से तेज गेंदबाजी विभाग में कुछ नई प्रतिभाएं सामने आएंगी. भारतीय टीम के पास स्थाई कोचिंग स्टाफ नहीं होना भी सवाल पैदा करता है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के कोचों को महिला टीम से जोड़ने के चलन से बचना होगा. अगला विश्वकप 18 महीने बाद होना है और भारत को उसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

--- ये भी पढ़ें ---

* "'ट्विटर वॉर' के बाद आकाश चोपड़ा ने वेंकटेश प्रसाद को लाइव बहस का दिया न्योता, पूर्व पेसर ने दिया ऐसा जवाब

* 'वो 12 मिनट, वो 12 गेंद से मैं पाकिस्तान का नेशनल हीरो बन जाता..', Shoaib Akhtar ने शाहीन अफरीदी पर निकाली भड़ास

स्पोर्ट्स से जुड़ी खबर के लिए सब्सक्राइब करें NDTV Sports HIndi

Featured Video Of The Day
India Canada Relations: Sanjay Verma ने कहा- कनाडा में मुझे धमकाने की कोशिश की गई