मैदान पर किए गए बर्ताव के बहुत मायने होते हैं और अगर इसका असर मैदान के बाहरी रिश्तों पर पड़ता है, तो फिर ठीक बात नहीं. मैदान पर बात गयी, तो रात गयी! पर शायद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के अपने लिए नियम अलग हैं और बाकियों के लिए अलग. इसका खुलासा अब भारत के लिए खेल चुके रॉबिन उथप्पा ने किया है. साल 2007 में दोनों देशों के बीच खेली गई सीरीज के अनुभवों का खुलासा करते हुए रॉबिन ने कहा कि इस साल से लेकर जब भी दोनों टीम एक-दूसरे के आमने-सामने आयीं, तो दोनों के बीच जमकर गाली-गलौज हुयी. यह साल 2007 साल था, जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को टी20 के उद्घाटक विश्व के सेमीफाइनल में मात दी. इसके बाद भारत ने उसके खिलाफ एक टी20 और सात वनडे मैचों की सीरीज में भी बराबरी की.
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रॉबिन ने स्टैंड-अप कॉमेडियन सौरभ पंत के यू-ट्यूब चैनल पर 'वेक अप विद सौरभ शो' में विस्तार से बताया कि कैसे दोनों टीमों के खिलाड़ी लगातार एक दूसरे के खिलाफ शब्दबाण चला रहे थे. इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में टी20 वर्ल्ड कप में टॉटन में सेमीफाइनल में हुयी थी. वास्तव में जितनी गाली-गलौज हुयी, वह बहुत ही हैरान करने वाला था. मुझे याद है कि कंगारू जब मुझ पर ताने कस रहे थे, तो कुछ ही लोग थे, जो इसका जवाब दे रहे थे. इनमें जहीर भाई और कुछ तेज गेंदबाज शामिल थे. लेकिन हमारे किसी बल्लेबाज ने पलटवार नहीं किया.
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उथप्पा ने कहा कि उस मैच में मेरे पर कंगारुओं के वार करने से अलग गंभीर ने उन पलटवार किया, जबकि मैंने एंड्रयू सायमंड्स, मिचेल जॉनस और ब्रैड हैडिन पर तंज कसे. उस मैच में मेरे लिए सबसे मुश्किल सामना मैथ्यू हेडन से करना रहा. हेडन ने बतौर शख्स और बल्लेबाज मुझे प्रेरित किया. मुझे याद है कि उस मैच में हेडन मेरी बैटिंग के दौरान मुझे पर तंज कस रहे थे, तो ऐसे में मैंने भी फैसला किया कि मैं भी पलटवार करूंगा. ऐसे में जब वह बैटिंग के लिए आए, तो मैंने भी तंज कसे.
रॉबिन ने कहा कि हालांकि उन्होंने हमेशा हेडन की ओर देखा था, लेकिन इस मैच में उन्होंने कुछ न कुछ कहकर हेडन पर पलटवार किया. शब्दों का आदान-प्रदान इतना तीखा रहा है कि हेडन ने अगले कुछ सालों तक मुझसे बात नहीं की. हेडन ने दो-तीन साल तक मुझसे बात नहीं की और इस बात ने मुझे आहत किया. मैंने यह सब जीतने के लिए किया. मेरा काम उन्हें ज्यादा से ज्यादा असहज करना था. हम जीत गए, लेकिन मुझे उस शख्स के साथ संवाद की कमी खेली, जिसने मुझे प्रेरित किया था.
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