Karun Nair creates history: पिछले कुछ दिनों से घरेलू वनडे टूर्नामेंट विजय हजारे (Vijay Hazare Trophy 2025) में बल्ले से कहर बरपाने वाले करुण नायर (Karun Nair) अपने मूल राज्य कर्नाटक के खिलाफ फाइनल में मुकाबले में बड़ी पारी खेलने से चूक गए, लेकिन टूर्नामेंट के आखिरी पारी के साथ ही उन्होंने एक ऐसा इतिहास रच दिया, जिसे भविष्य में कौन बल्लेबाज कब लांघ पाएगा, यह कहना बहुत मुश्किल है. कर्नाटक से जीत के लिए मिले 348 रनों के पीछा करते हुए विदर्भ के कप्तान करुण नायर नंबर तीन पर आए, लेकिन प्रसिद्ध कृष्णा की गेंद पर बोल्ड होने से पहले टूर्नामेंट की आखिरी पारी में 31 गेंदों पर 4 चौकों से 27 रन ही बना सके. विदर्भ मुकाबला जीत पाता है या नहीं, यह तो बाद में ही पता चलेगा, लेकिन करुण नायर ने जो इतिहास रच दिया है, उस पर नजर दौड़ा लेते हैं.
यह मानक बहुत ही तूफानी है!
पिछले कुछ मैचों में एक के बाद शतक बनाने वाले करुण नायर ने टूर्नामेंट के 9 मैचों की 8 पारियों में कुल 389.50 के औसत के साथ समापन किया. फाइनल से पहले तक उनका औसत 752 का था और वह एक ही बार आउट हए थे. फाइनल की 24 रन की पारी ने उनका औसत एकदम आधा कर दिया. इस सफर में उन्होंने 5 शतक और 1 अर्द्धशतक बनाया, तो उनका सर्वश्रेष्ट स्कोर नाबाद 163* रहा.
सचिन भी हुए करुण के मुरीद
एक के बाद एक शतक और धमाकेदार औसत से करुण ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तक भी दिल जीत लिया. और चैंपियंस ट्रॉफी के चयन की पूर्व संध्या पर सचिन ने करुण के कारनामे की जमकर तारीफ करते हुए X पर इसे "असाधारण से कम" करार दिया. हालांकि, यह प्रदर्शन पर उन्हें मेगा इवेंट के लिए टीम में जगह नहीं दिला सका.
इस कारनामे की आज भी होती है चर्चा !
करुण नायर ने साल 2016 में पूरे क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा था, जब उन्होंने अपने करियर के दूसरे ही टेस्ट में चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 303* रन की पारी खेलकर सभी को दांत तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया. लेकिन यहां से उनकी अगली सिर्फ चार ही पारी खराब क्या गईं कि फिर कभी उन्हें टीम इंडिया से बुलावा नहीं आया. इसकी चर्चा तमाम दिग्गज हैरानी के साथ करते हैं, तो अब इसमें विजय हजारे का कारनामा भी शामिल हो गया है