- बीसीसीआई ने तीन फॉर्मेटों में एक कप्तान की पुरानी नीति अपनाने का निर्णय लिया है
- रोहित शर्मा साल 2027 विश्व कप तक फिटनेस और प्रदर्शन के लिहाज से टीम की योजना में शामिल नहीं दिख रहे हैं
- केवल वनडे फॉर्मेट खेलते रहने के कारण रोहित के मैच फिटनेस और लय को बनाए रखना बड़ी चुनौती
Shubman Gill replaces Rohit Sharma: शनिवार को इसी महीने ऑस्ट्रेलिया दौरे (Ind vs Aus) दौरे के लिए टीम इंडिया के ऐलान को हुए 24 घंटे से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन सारी चर्चा रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के इर्द-गिर्द केंद्रित होकर रह गई है. टीम और खिलाड़ियों की चर्चा कम है, रोहित सेंटर में हैं और ऐसा होना स्वाभाविक भी है. रोहित के फैंस हैरान हैं. पूर्व क्रिकेटरों के एक बड़े वर्ग में खामोशी है. गावस्कर जैसे दिग्गज ने फैसले को सही बताया है, तो हरभजन सिंह (Harbhjan Singh) फैसले पर हैरान हैं. बहरहाल, पूरी पड़ताल करने के बाद यूं तो रोहित को कप्तान पद से हटाए जाने के पीछे कई वजह हैं, लेकिन 5 ऐसी सबसे बड़ी वजह रहीं, जिनके कारण चयन समिति ने रोहित को वनडे कप्तानी से हटाने का फैसला किया. आप इन कारणों के बारे में बारी-बारी से जानिए और खुद तय कीजिए कि यह फैसला कितना सही है, कितना गलत?
1. बीसीसीआई पुरानी नीति पर लौट रहा (BCCI on the way to old policy)
पिछले कुछ सालों में टीम इंडिया के हालात ऐसे बन पड़े थे कि तीनों फॉर्मेटों में भारत के अलग-अलग कप्तान थे. गिल टेस्ट में कप्तानी कर रहे थे, तो रोहित वनडे के कप्तान थे. वहीं, पिछले साल विश्व कप की खिताबी जीत के तुरंत बाद रोहित के संन्यास के बाद सूर्यकुमार यादव टी20 में कप्तानी कर रहे हैं. फैंस सहित तमाम लोग यह बिल्कुल भी न भूलें कि एक समय गांगुली ने कोहली को टी20 कप्तानी न छोड़ने (गांगुली के अनुसार) को कहा था क्योंकि BCCI दो फॉर्मेटों में अलग-अलग कप्तान नहीं चाहता था, लेकिन हालिया सालों में तो तीन कप्तान हो चले थे. लेकिन हालिया समय में गिल के उभार के बाद अब बोर्ड फिर से एक कप्तान की नीति की ओर चल पड़ा है. और अगर आने वाले सालों में गिल टी20 के भी कप्तान बन जाते हैं, तो हैरानी वाली बात नहीं होगी
2. रोहित साल 2027 विश्व कप प्लानिंग में फिट नहीं दिख रहे (Rohit doesn't seem fit in policy)
साल 2027 विश्व कप तक रोहित 40 साल के हो चुके होंगे. ऐसे में उस समय तक रोहित की फिटनेस क्या होगी?, क्या वह मानसिक और शारीरिक रूप से विश्व कप के लिए पूरी तरह तैयार होंगे? क्या उनके भीतर पर्याप्त मोटीवेशन और रनों की भूख बरकरार रहेगी? क्या इस उम्र में उनकी फॉर्म साथ देगी? रोहित के समर्थक कह सकते हैं कि धोनी भी तो शीर्ष स्तर पर खेल रहे हैं, लेकिन धोनी की फिटनेस और रोहित की शारीरिक संरचना में खासा अंतर है. वहीं, टीम इंडिया और आईपीएल के बीच भी बड़ा अंतर है. कुल मिलाकर विश्व कप की प्लानिंग में रोहित का फिट न होना दिखाई पड़ना भी सेलेक्टरों के रोहित को कप्तानी से हटाने में एक बहुत बड़ा पहलू रहा.
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3. सिर्फ एक ही फॉर्मेट खेल रहे हैं रोहित ? (Only one format availability)
रोहित टी20 और टेस्ट से पहले ही संन्यास ले चुके हैं और इस साल भारतीय टीम ने अभी तक सिर्फ 8 ही मैच खेले हैं. वैश्विक स्तर पर आप देख सकते हैं कि वनडे मैचों की संख्या कितनी ज्यादा घटी है. ज्यादातर टी20 और टेस्ट क्रिकेट ही हो रही है. ऐसे में सवाल है यह है कि A+ सालाना ग्रेड कैटेगिरी में शामिल रोहित साल भर अपनी मैच फिटनेस (फिटनेस नहीं) का जरूरी स्तर और लय को कैसे बरकरार रख पाएंगे? साफ है कि अगर रोहित साथ-साथ टेस्ट फॉर्मेट भी खेल रहे होते, तो यह उनके पक्ष में जाता. लेकिन सिर्फ एक ही फॉर्मेट खेलना भी रोहित के खिलाफ गया.
4. शुभमन गिल को समय रहते जरूरी स्पेस देना (Shubman Gill requred experience)
अब जब रोहित साल 2027 विश्व की प्लानिंग में फिट नहीं बैठ रहे. और बीसीसीआई की नीति को शामिल करते और गिल की पिछले दिनों शानदार फॉर्म को देखते हुए उनका कप्तान बनने का दावा तो सबसे प्रबल था ही. वहीं, विश्व कप से पहले गिल को वनडे में जरूरी स्पेस देना भी सेलेक्टरों के लिए अनिवार्य था, जिससे वह इस फॉर्मेट में अपनी टीम के साथ सहज और स्थिर हो सकें, सही संयोजन तलाश सकें और गौतम गंभीर के साथ मिलकर बाकी तमाम पहलुओं पर रणनीति भी बना सकें. यह शीर्ष 5 में से एक बड़ी वजह रही. हालांकि, यह बीसीसीआई रोहित को बतौर कप्तान एक विदाई सीरीज दे सकते थे क्योंकि 2027 विश्व कप से पहले टीम इंडिया को करीब 24 वनडे मैच खेलने हैं.
5. बाकी ओपनरों का बढ़ता हुआ दबाव (Jaiswal, Abhishek growing pressure)
इस साल रोहित शर्मा ने खेले 8 वनडे मैचों में 1 शतक से 37.75 के औसत से 302 रन बनाए. रोहित की बल्लेबाजी को लेकर कोई सवाल नहीं था, न ही आलोचना जैसी कोई बात थी, लेकिन जिस तरह यशस्वी जायसवाल शानदार प्रदर्शन के बावजूद पिछले काफी समय से वनडे टीम से बाहर रहे थे, वह ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आ रहा था. और अगर इस पर भी कोई कोर-कसर बाकी थी, तो वह हाल ही में अभिषेक शर्मा के सुनामी अंदाज ने पूरी कर दी. इन दोनों ने वनडे टीम में जगह बनाने को लेकर चयन समिति पर खासा दबाव बना दिया था. यह भी एक पहलू था, जिसने रोहित को कप्तानी से हटाने में कहीं न कहीं अपनी भूमिका अदा की क्योंकि अभिषेक और जायसवाल को सेलेक्टर दूसरे छोर पर ज्यादा इंतजार कराने के मूड में नहीं हैं. जाहिर है कि अब यहां से बदले हालात में रोहित पर प्रदर्शन का भी खासा दबाव बन गया है.