टीम रोहित ऑस्ट्रेलिया में जारी टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2022) से बाहर हो गयी. और पिछले साल के बाद करोड़ों भारतीयों का विश्व कप या आईसीसी ट्रॉफी जीतने का सपना एक बार फिर से चूर हो गया. अब एक बात साफ है कि इस हार का खामियाजा आगे कई रूपों में देखने को मिलेगा. मतलब कुछ खिलाड़ियों का टीम से पत्ता साफ होगा, तो हो सकता है कि कुछ का संन्यास देखन को मिल जाए. बहरहाल, भारत के मेगा इवेंट से बाहर होने का पोस्टमार्टम शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं वो 5 सबसे बड़ी वजहें, जो भारत के विश्व कप से बाहर होने का कारण बनीं.
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1. टीम संयोजन को लेकर राय स्पष्ट नहीं हुई
सेमीफाइनल से एक दिन पहले ही पूर्व दिग्गज रिकी पोंटिंग ने एकदम सही बोला कि टूर्नामेंट में भारत अपनी सर्वश्रेष्ठ इलेवन को लेकर हमेशा भ्रमित रहा. और यह बात एकदम सही निकली. इसे आप कभी कार्तिक, तो कभी पंत को खिलाने के रूप में देख सकते हैं. मैनेजमेंट ने पंत को प्रासंगित हो चुके मुकाबले में खिलाने को लेकर यह कहा कि हम उन्हें एक मैच देना चाहते थे, लेकिन जब प्रासंगिक या करो-मरो का सेमीफाइनल आया, तो भी पंत को जगह दी गयी. यह उदाहरण भर है कि रोहित एंड कंपनी फाइनल इलेवन को लेकर स्पष्ट नहीं रही.
2. कप्तान रोहित प्रदर्शन से नहीं दे सके प्रेरणा
अपने पहले विश्व कप में कप्तानी करने वाले रोहित शर्मा बल्ले से बड़ी निराशा साबित हुए. खेले मैचों की इतनी ही पारियों में उनके बल्ले से केवल एक ही अर्द्धशतक निकाला. और भारतीय कप्तान 6 मैचों में 19.33 के औसत से सिर्फ 116 रन ही बना सके. यह सही है कि रोहित के खराब प्रदर्शन के बावजूद टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने में सफल रही, लेकिन जब सेमीफाइनल का करो या मरो का मौका आया, तो इस मैच में भी रोहित सिर्फ 27 रन ही बना सके और भारत के विश्व कप से बाहर होने में वह एक बड़ी वजह बन गए.
3. अच्छी शुरुआत को तरस गया भारत
भारत टूर्नामेंट में खेले सभी छह मैचों में अच्छी शुरुआत को तरस कर रह गया. जहां रोहित एक ही अर्द्धशतक बना सके, तो कभी केएल राहुल नहीं चले. मतलब ये दोनों मिलकर भारत को नियमित रूप से ठोस शुरुआत नहीं दे सके. इनकी नाकामी के बावजूद टीम अंतिम चार में पहुंची, लेकिन सेमीफाइनल में भी पहले विकेट के लिए 9 ही रन जुड़ सके. जब शुरुआत खराब रही, तो पावर-प्ले भी भारत नहीं ही भुना सका. पावर-प्ले को न भुना पाने की कहानी लगभग सभी मैचों में बरकार रही.
4. सातवें नंबर की कमी आखिर तक खली
टूर्नामेंट से पहले रवींद्र जडेजा के चोटिल होकर विश्व कप से बाहर होने से टीम का संतुलन गड़बड़ाया, तो मैनेजमेंट ने इस भूमिका में अक्षर पटेल को फिट करने की कोशिश की, तो एक मैच में दीपक हुड्डा को भी आजमाया, लेकिन दोनों ही उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके और सेमीफाइनल मुकाबले तक नंबर सात ऑलराउंडर की कमी खली
5. अश्विन को लगादार खिलाने की जिद, चहल को कोई मैच नहीं
सेमीफाइनल में बैटिंग पिच पर इंग्लैंड ने लेग स्पिनर आदिल राशिद को खिलाया, लेकिन भारत ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और वह अश्विन के साथ ही आगे बढ़े. लेग स्पिनर चहल को एक भी मैच में नहीं खिलाया गया. सेमीफाइनल में अश्विन ने दो 2 ओवरों में 27 रन खर्च कर डाले. पूरे विश्व कप में उन्होंने फेंके 19 ओवरों में 6 ही विकेट लिए. उनका इकॉनमी-रेट भी 8.15 का रहा. पूरे टूर्नामेंट में लेग स्पिनर चहल एक भी मैच नहीं खेले, तो कंगारुओं ने एडम जंपा को खिलाया, तो इंग्लैंड ने आदिल राशिद को. वहीं, भुवनेश्वर को टीम में लाना भी बोझ ही साबित हुआ.
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