आखिरी मैच में 10 विकेट, मैन ऑफ द मैच, लेकिन 27 साल की उम्र में करियर खत्म, जानें क्या गड़बड़ हुई प्रज्ञान ओझा के साथ

चयन समिति में जल्द ही दो बदलाव होने जा रहे हैं. और प्रज्ञान ओझा दक्षिण क्षेत्र से अगरकर के साथी बन सकते हैं

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भारत के पूर्व स्पिनर प्रज्ञान ओझा चयन समिति में एंट्री करने को तैयार हैं
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  • भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पाने के लिए खिलाड़ियों का प्रदर्शन निरंतरता के साथ होना अनिवार्य माना जाता है
  • प्रज्ञान ओझा ने 2008 से 2013 के बीच तीनों फॉर्मेट में नियमित खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था
  • 2013 में सचिन तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट में ओझा ने दोनों पारियों में पांच-पांच विकेट लेकर प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे
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नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट टीम में जगह सुरक्षित रखने के लिए प्रदर्शन एकमात्र पैमाना है. प्रदर्शन में निरंतरता बरकरार रखते हुए खिलाड़ी लंबे समय तक राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने रहते हैं. कुछ क्रिकेटरों के साथ ऐसा नहीं होता. अच्छे प्रदर्शन के बाद भी उन्हें अगले ही मैच से ड्रॉप कर दिया जाता है.बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा के साथ भी ऐसा ही हुआ था. प्रज्ञान ओझा का जन्म 5 सितंबर 1986 को भुवनेश्वर, ओडिशा में हुआ था. 10 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था. 2008 में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे में अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण किया था. साल 2009 में उन्होंने टेस्ट और टी20 में डेब्यू किया. उस दौर में टीम में जगह बनाना और सुरक्षित रखना बेहद मुश्किल था. ओझा की प्रतिस्पर्धा हरभजन सिंह जैसे अनुभवी और अश्विन और जडेजा जैसे युवा खिलाड़ियों से थी.

इसके बावजूद ओझा ने अपनी प्रतिभा के दम पर तीनों ही फॉर्मेट में खेलने का मौका लगातार हासिल किया और शानदार प्रदर्शन भी किया. 2008 से 2013 के बीच ओझा ने 24 टेस्ट में 113 विकेट, 18 वनडे में 21 विकेट और 6 टी20 में 10 विकेट लिए. साल 2013 में 14 से 18 नवंबर के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज का आखिरी टेस्ट खेला गया था. यह सचिन तेंदुलकर का आखिरी टेस्ट था. भारत ने इस टेस्ट को 126 रन से जीता था. इस मैच में प्रज्ञान ओझा ने दोनों पारियों में 5-5 विकेट लिए थे. कुल 10 विकेट लेकर वह प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे.

इस मैच के बाद ओझा का करियर आसमान की ऊंचाई पर जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सचिन के साथ 27 साल के प्रज्ञान ओझा का भी यह आखिरी टेस्ट साबित हुआ. साल 2008 से 2015 के बीच 92 आईपीएल मैचों में 89 विकेट लिए. 21 फरवरी 2020 को उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रज्ञान ओझा की बीसीसीआई में बतौर चयनकर्ता वापसी होने वाली है. उन्हें दक्षिण क्षेत्र से भारतीय पुरुष टीम चयन समिति का सदस्य बनाया जा सकता है.

इस वजह से खत्म हो गया ओझा का करियर

दरअसल इसी साल आईसीसी ने प्रज्ञान ओझा के करियर को संदेहास्पद पाया. और उनके खिलाफ साल 2013 में अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया. इसके बाद ओझा ने अपने एक्शन को नियम के हिसाब से दुरुस्त करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन यह सही नहीं ही हुआ. और सही भी हुआ, तो पहले जैसी परफॉरमेंस गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गई. वहीं, रवींद्र जडेजा के उभार के कारण भी  लेफ्ट आर्म स्पिनर ओझा के लिए मौके सीमित हो गए.

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