Kuldeep Yadav IND vs WI 2nd Test: कुलदीप यादव ने अपना पहला टेस्ट मैच 8 साल पहले धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था. उस मैच की पहली पारी में उन्होंने टॉप और मिडिल ऑर्डर के 4 विकेट लेकर अपनी अहमियत साबित कर दी थी. लेकिन 8 साल बाद भी दिल्ली में वो अपना सिर्फ 15वां टेस्ट खेल रहे हैं. अपने 15वें टेस्ट में उन्होंने 5वीं बार पारी में पांच विकेट हासिल किये हैं.
बांये हाथ के कलाई के स्पिनर का रिकॉर्ड
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में बांये हाथ के कलाई के स्पिनर के द्वारा ये सबसे ज़्यादा बार पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा किया गया है. इससे पहले पारी में 5 विकेट 5 बार लेने का ये कारनामा यॉर्कशायर के जॉनी वॉर्डल ने इंग्लैंड के लिए 1948 से 1957 के बीच अपने 28 टेस्ट के करियर में किया था- करीब 70 साल पहले. बांये हाथ से रिस्ट स्पिन करना क्रिकेट की दुनिया का सबसे मुश्किल हुनर माना जाता है. और, कानपुर के 30 साल के कुलदीप इस कला के यकीनन बड़े महारथी हैं.
फिरकी के जादूगर की वापसी
कुलदीप की वापसी दिल्ली में हुई जो उनके लय में बने रहने का एलान साबित हुई है. वेस्टइंडीज़ के खिलाफ कोटला में 82 रन देकर 5 विकेट लेना उनकी काबलियित पर एक और मुहर है. दिलचस्प बात ये है कि क्रिकेट के हर फॉर्मैट में वो टीम इंडिया के मैच विनर साबित हुए हैं.
बड़े मैच का बड़ा खिलाड़ी
हर बड़े मैच और बड़े टूर्नामेंट में फिरकी के इस जादूगर का अलग ही जलवा रहा है. 2023 के वनडे वर्ल्ड कप में उन्होंने 11 मैचों में 15 विकेट हासिल किये (4.45 रन प्रति ओवर की इकॉनमी के साथ) तो 2024 के टी-20 वर्ल्ड कप में उन्होंने 5 मैचों में 10 विकेट (6.95 की इकॉनमी के साथ) झटके. पिछले ही महीने ख़त्म हुए एशिया कप में कुलदीप यादव ने सिर्फ 7 मैचों में (6.27 की इकॉनमी के साथ) 17 विकेट झटके और टूर्नामेंट के सबसे कामयाब गेंदबाज़ साबित हुए.
पंजा छापने की कहानी के जादूगर: पांच विकेट, पांच कहानियां
कुलदीप के प्रत्येक पांच विकेट के पीछे एक कहानी है:
- 5/57 बनाम वेस्टइंडीज़ (राजकोट, 2018) - भारत की नई कलाई स्पिन आशा के रूप में उभरे।
- 5/99 बनाम ऑस्ट्रेलिया (सिडनी, 2019) - कठिन परिस्थितियों में सीनियर दिग्गजों को पछाड़ा।
- 5/40 बनाम बांग्लादेश (चटगांव, 2022) - वापसी ने उनके टेस्ट करियर को पुनर्जीवित किया।
- 5/24 बनाम इंग्लैंड (धर्मशाला, 2024) - घुमावदार परिस्थितियों में सबसे घातक प्रदर्शन।
- 5/82 बनाम वेस्टइंडीज़ (कोटला, 2025) - वर्षों तक बेंच पर रहने के बावजूद क्लास बरकरार.
इग्नोर हुए पर मौका मिलते ही झपट्टा मारा
अपनी सुपर क्षमता के बावजूद कुलदीप यादव अक्सर नज़रअंदाज़ किये गए हैं. पिछले इंग्लैंड दौरे पर तो पांचों टेस्ट में वो बेंच पर ही बैठे रह गए. यहां तक कि पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कहा था कि कुलदीप को कम से कम दो या तीन टेस्ट खेलना चाहिए था. कुलदीप हर सीरीज़ से पहले एक्स्ट्रा कोशिश करते हैं. जी-जान लगाकर प्रैक्टिस करते हैं. कुलदीप मानसिक और तकनीकी दोनों रूप से लगातार निखरते रहे हैं. उनका धैर्य और उनकी मुस्कुराहट युवा पीढ़ी के लिए सीखने जैसी बात है.
कुलदीप हैं टीम इंडिया का 'ब्रह्मोस'
आर अश्विन के रिटायरमेंट और ऑलराउंडर उपकप्तान रविंद्र जडेजा पर एक्सट्रा ज़िम्मेदारी की सूरत में कुलदीप पर टीम का थोड़ा और भार बढ़ा है. एशिया कपकी जीत के बाद NDTV से एक्सक्लूसिव बात करते हुए कुलदीप ने कहा था कि वो अपनी गेंद के लेंथ पर काफी भरोसा करते हैं.
कुलदीप टीम इंडिया का ब्रह्मोस मिसाइल हैं. ब्रहमोस की तरह ही कुलदीप का स्पीड, फ्लाइट और लोअर ट्राजेक्टरी की गेंद भी घातक साबित होती है. ब्रहमोस के बारे में कहा जाता है ‘फायर करो और भूल जाओ' कप्तान शुभमन गिल भी उन्हें गेंद देकर निश्चिंत हो जाते हैं. ब्रह्मोस की तरह ये मिसाइल हर बार टारगेट हिट करने से नहीं चूकता.